Wednesday, August 11, 2010

कोर्ट कि तारीख आज ११ अगस्त बुधवार

जी हाँ आज रोहिणी कोर्ट में बेल कि तारीख थी वहाँ प़र गए तो नया जज एस के सर्वारिया जी आये हुए थे ,उन्होंने केस सुनना शुरू कर दिया प़र फ़ाइल में पिटीशन ही गायब थे आखिर आज उन्होंने कल कि तारीख १२ अगस्त दे दी

जीवन संघर्ष है और इसको लड़कर ही जीता जा सकता है , सत्यमेव जयते झूठ को मारर्ने कि जरूरत नहीं है वो एक दिन स्वयम मर जाता है ,


Monday, August 9, 2010

मीनाक्षी जयपुर से ८ अगस्त को आई

रविवार कि रात को १ बजे मीनाक्षी जयपुर से वोवो बस से बीकानेर हाउस आई और वहाँ से मैं और अरुणा उसको लेकर घर १ बजकर ३० मिनट प़र पहुंचे और फिर २ घंटे तक वहाँ के हालातों प़र चर्चा कि और फिर सो गए ,उसका टूर अच्छा रहा

Friday, August 6, 2010

मीनाक्षी जयपुर गई ६-अगस्त २०१०

आज प्रात:मुझे ५बजे उठना पडा क्योंकि मीनाक्षी ने जयपुर जाना था और प्रात :६-३० की वोल्वो बस बीकानेर हाउस से इंडिया गेट से लेनी थी ,सो मैं उसे बस में बिठाकर वापिस ७ बजे आ गया था ,उसके बाद सारा दिन मौज मस्ती में ही गुजरा ,मीनाक्षी से २,३, बार फोन प़र बात अवश्य हो गई थी ,उस समय यो प्रदर्शनी में ही थी ,

Sunday, August 1, 2010

पामिस्ट्री (हस्त रेखा )

मैं हत्रेखा विशेषग्य भी हूँ ,ये मेरा एक शौक है ,जो मुझे आज से २० वर्ष पहले मैं किसी कारणों से बहुत दुखी था तब मैं दिल्ली के सभी माने हुए ज्योतिषियों के संपर्क में आया परन्तु मैं उनसे लुट ,पिट कर दुखी हो गया परन्तु किसी ने भी मेरा इलाज नहीं किया ,नाही एस्ट्रोलोजर्स ने और नाही पामिस्टों ने तब मैंने कुछ वर्ष के प्रयत्न के बाद गहन अध्ययन के पश्चात पामिस्ट्री में सफलता पाई और जाना कि जो कुछ भी हमारे भाग्य में था या है ,अथवा इस जनम के कर्मों का फल ,अथवा प्रारब्ध के कर्मों का फल या क्या आगे होगा ,सभी कुछ तो हमारे हाथों में रेखाओं ,पर्वतों ,वलयों ,,चिन्हों ,चक्रों ,शंखों ,के चिन्हों के रूप में अंकित है यदि केवल जरूरत है तो वो है इस विज्ञान को पढ़कर समझने वाले की,मैंने इसका अध्ययन किया और इसको शौक के तोर प़र अपना लिया ,इश्वर की क्रपा से पिछले १५ वर्षों में काफी लोगों ने इसका लाभ उठाया और अभी भी काफी लोग हमारे संपर्क हैं ,प़र आज तक मैंने काफी हाथ देखे हैं प़र आज एक व्यक्ति मिस्टर रिचर्ड नामक आया और जो कुछ उसने बताया ,उसका हाथ ठीक उसके उलट बता रहा था ,हो सकता है की वो ही गलत बता रहा हो या पामिस्ट्री ही में गड़बड़ हो ,अब मैं उसका ओबजर्वेशन कर रहा हूँ ,क्योंकि मैं तो वोही पढ़ रहा हूँ जो उसके हाथ प़र लिखा है ,उसके हाथ में २ चीज पोजिटिव थी ,शंख और अंगूठा ,प़र केवल उनके बल प़र ----------------------------बहुत ऊपर नहीं पहुंचा जा सकता ,जबकि क्वालिफिकेशन भी कम हो ,और बहुत सी बातें हैं जो ओबजर्वेशन या कुछ समय बीतने के बाद पता लगेंगी ,

Friday, July 30, 2010

हाई कोर्ट के जजों कि रिटायरमेंट कि आयु अब ६२ से ६५ वर्ष

अब हाई कोर्ट के जजों कि रिटायरमेंट कि आयु ६२ वर्ष से ६५ वर्ष कर दी गई है ऐसा मेरे संज्ञान में आया है ,वैसे तो ये काफी हद तक सही भी है क्योंकि इन जजों के एक्सपीरिएंस का फायदा शायद देश कि जनता को मिले ,जिससे कि कोर्ट्स में पड़े कितने ही पेंडिंग केसेस जल्दी जल्दी निबटाए जा सकेंगे .

महंगाई को हंगामा संसद में ,

आज पांचवें दिन भी महंगाई को लेकर संसद में खूब हंगामा हुआ ,प़र मुझे समझ नहीं आती कि वहाँ प़र हंगामा करने से क्या महंगाई खत्म हो जायेगी ,इस महंगाई के लिए मैं नहीं समझता कि सरकार ही दोषी है इस सब के लिए सभी देशवासी भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितनी के सरकार ,दाल चीनी और गेंहूँ कि बात तो समझ आती है प़र आलू ,अरबी ,गोभी ,प्याज यानी कि सब्जी भाजी के लिए कौन सा मंत्री आकर सब्जी बेच रहा है ,हाँ रिलाएंस जरूर सब्जी आदि बेचता है प़र उसके रेट गली के सब्जी वेंडर से सस्ते होते हैं ,और उसके लिए नाही शरद पवार जी ,सुगर कि तरह पहले ही भाषण दे रहे कि भाई वो तेज हो जायेगी ,जबकि वास्तविकता ये है कि आज हमारे देश का प्रत्येक आदमी ,तनखा तो चाहता है ४०००० रूपये प़र आलू प्याज गोभी ,चाहता है ,१० रूपये किलो जो कि आज से चार साल पहले था ,अरे भाई कभी कुछ किसान को भी खाने दो ,
वरना वो तो भूखे पेट ही मर जाएगा ,
मेरे हिसाब से तो महंगाई का शोर मचा मचा कर केवल संसद का कीमती समय बर्बाद किया जा रहा है ,

Tuesday, July 27, 2010

आज जहांगीरपुरी में पी .पी कि कलेद्रों कि तारीख थी

आज जहांगीरपुरी ऐ ,सी ,एम् ,कोर्ट में पी ,पी ,और उसके दोनों बेटों कि कलंदरों की तारीख थे ,हम तो आज देखने नहीं गए बल्कि अपने वकील को ही बोल दिया था की वो देख ले ,अब आज क्या हुआ क्या नहीं कल वकील से पूछेंगे ,तभी पता लगेगा की कितने दिन के लिए इन तीनों बाप बेटों से बोंड भरवाए गए ,चलो जो भी हुआ होगा ,अच्छा नहीं हुआ होगा ,मैं तो ईश से प्रार्थना करूंगा की वो इनको सद्बुद्धि दे ,बाकी कल -------

Monday, July 26, 2010

खाप ( पंचायत ) का फैसला,संविधान में बदलाव हो |

जी हाँ आज खाप,पंचायत ने फैसला किया है कि एक गोत्र में ,और एक गाँव में लड़के लड़कियों कि शादी नहीं हो सकती क्योंकि वो दोनों ही स्थिति में भाई बहन हैं ,चाहे दोनों कि बिरादरी भी अलग क्यों ना हो ,क्योंकि हम गाँव के लोगों को संस्कार में यही मिला है ,और हम सब कुछ बदल सकते हैं प़र अपने संस्कारों कि ह्त्या होते नहीं देख सकते ,यदि इसके लिए हम सभी गाँव वालों को कुर्बानियां भी देनी पडीं तो देंगे ,प़र भाई बहन के रिश्ते को पति पत्नी के रूप में नहीं देख सकते
यदि संविधान के अंतर्गत कहीं प़र ऐसा प्रावधान है तो सरकार को संविधान में संसोधन करना पडेगा और करना भी चाहिए क्योंकि ये केवल एक कोमुनिटी का सवाल नहीं है बल्कि हमारे गाँवों का प्रत्येक व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति का है ,इन विचारों से सहमत है ,यद्द्य्पी हम जानते है कि मुसलमान जाति में केवल दूध का बचाव करके शादी की जाति है ,प़र आज वो भी समझ्न इ लगे हैं कि एक ही परिवार में शादी करने के क्या क्या दुष्परिणाम होते है इसलिए वो भी हमारा समर्थन करते हैं
सरकार को याद रखना चाहियें कि आज भी देश कि आबादी का ७० % हिस्सा गाँवों में ही रहता है ,इसलिए जो भी नेता .सामाजिक कार्यकर्ता ,या कार्यकर्त्री ,हमारे संस्कारों प़र कुठाराघात करेगा ,या हमको सबक पढ़ायेगा तो उनको भी मुहकी खानी पड़ेगी ,और सरकार को bhi परेशानियों kaa सामना करना पद सकता है
मेरे अपने विचारों me खाप का ye फैसला उचित है और main भी uskaa समर्थन करता hun

Sunday, July 25, 2010

दिल्ली में आतंक का माहौल

पिछले कुछ समय से दिल्ली में त्राहि -त्राहि मची हुई है ,प्रितिदीन चोरी ,डकेती ,चैन स्नेचिंग ,दिन दहाड़े घरों में चोरों का घुस जाना ,सड़क प़र चलते आदमी को लूटना और फिर गोली भी मार देना ,आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इसके बारे में सोचने का किसी के पास भी टाइम कहाँ है ,आखिर कौन हैं ये लोग ,या दिल्ली पुलिश क्या कर रही है ,जो सड़कों प़र घुमते मोटर साइकिल सवारों को भी नहीं पकड़ पा रही ,जब कि पहले तो पुलिश वालों कि कमी का रोना भी रोया जा रहा था ,अब तो २२००० पुलिश वाले और दिल्ली पुलिश में जुड़ गए है परन्तु इसके बावजूद भी घटनाओं और दुर्घटनाओं का ग्राफ बढता ही जा रहा है ,इसको रोकने में दिल्ली पुलिश सक्षम नहीं है है ,लो एंड आर्डर नाम का कुछ बचा नहीं है ,क्या जनता इसी तरह से लुटती पिटती या मरती रहेगी ,क्या पुलिश कमिश्नर डडवाल साहब के पास इसका इलाज है ,वैसे हमारे कमिश्नर साहब कहते हैं कि ये लुटेरे लगभग ९४ % तक नए चेहरे हैं ,कहने का तात्पर्य है कि दिल्ली पुलिश ने पुराने सभी बदमाश ख़त्म कर दिए या जेलों में बंद है ,और वो साथ में एक बात और भी कहते हैं कि दिल्ली में क्राइम पहले कि तुलना में बहुत कम है ,कितने अच्छे आंकड़े है हमारी दिल्ली पुलिश के ठीक अपनी सरकार कि तरह ,प़र वास्तविकता ये है कि जनता के पास काम नहीं है उनका काम सरकार ने छीन कर बड़े बड़े घरों को दे दिया है ,जब सब्जी भाजी तक बी ही मुकेश अम्बानी और दुसरे बड़े घर बेचेंगे तो भला छोटे मोटे वेंडर क्या करेंगे ,जब भूखे मरेंगे तो छीना झपटी ही करेंगे .

Friday, July 23, 2010

वित्त मंत्री जी कहते हैं ,

हमारे वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी साहब कहते हैं कि ( जी .एस .टी )गुड्स एंड सर्विस टेक्स से जनता कि यानी के कंजूमर्स कि होगी वल्ले वल्ले "क्योंकि तब टेक्स कम देना पडेगा ,ऐसा उन्होंने एक उदाहरण देकर भी समझाया ,
परन्तु हमारे हिसाब से तो वल्ले वल्ले क्या होगी उलटा एक्साइज भी कंजूमर को फ्री में भरनी पड़ेगी ,जिससे कि बाजार में तेजी होने के ज्यादा आसार होंगे जिसमे कंजूमर ही पिसेगा ,हाँ इतना जरूर है दोनों सरकारों यानी के स्टेट और सेन्ट्रल के मजे जरूर आ जायेंगे ,क्योंकि इससे सरकार का खर्चा जरूर बचेगा ,क्योंकि आज तो है कमाई आठ आना और खर्चा रुपैया ,प़र फिर होगा कमाई रुपया और खर्चा आठ आना ,
कुछ भी कर लो जनता तो हमेशा बेवकूफ ही बनती है और आगे भी बनती रहेगी ,

Wednesday, July 21, 2010

दिल्ली जलबोर्ड

कल और आज दिल्ली में जगह जगह दिल्ली जलबोर्ड के पानी को लेकर प्रदर्शन और आन्दोलन हुए ,मीडिया भी दिल्ली जलबोर्ड कि तारीफ़ चस्के के साथ अच्छी तरह से टी ,वी ,चनलों प़र दिखा दिखा कर जनता कि वाहवाही लूट रहा था ,जो पानी बोतलों में भर भर के दिखा रहे थे उनको देखकर तो लगता था कि दिल्ली जलबोर्ड वास्तव में बधाई का पात्र है उसके लिए इस संस्थान कि जितनी तारीफ़ कि जाए थोड़ी ही है ,और उस पानी में गंदगी के साथ साथ जो कीड़े बुलबुला रहे थे उनको देखकर भी ऐसा लग रहा था कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी बहुत दयालु हैं जो कि आदमियों और पशुओं के साथ साथ कीड़ों का भी भरपूर ख़याल रखते हैं ,
वैसे पानी देखने में ऐसा लगता था जैसे कि गोलगप्पों का पानी हो और दिल्ली वाले बजाय गिलास या कटोरों के यदि थोड़ा सा नमक और मिला कर गोलगप्पों में भरकर पी लें तो शायद जनता को बिमारी लगने के बजाय ,पेट कि सारी बीमारियों का इलाज ही हो जाएगा ,और डाक्टर के पास जाने कि भी जरूरत नहीं पड़ेगी ,
बहुत बहुत धन्यवाद दिल्ली जल बोर्ड , दिल्ली वासी आपको हमेशा याद रखेंगे ,

Tuesday, July 20, 2010

सी ,बी, आई ,ने आज क्या बताया ?

सी ,बी ,आई के प्रवक्ता के द्वारा की गई टिप्पड़ी आज के समाचार पत्र नवभारत टाइम्स में छापा कि दिल्ली में भ्रष्टाचार के लिए( दिल्ली पुलिश )को नंबर १ से नवाजा गया और( एम् ,सी ,डी) को नंबर २ से ,
मेरे हिसाब से ये दोनों विभाग ही देश कि तरक्की के लिए शायद धन्यवाद के पात्र हैं ,इन दोनों विभागों को इस बार १५ अगस्त को मेदल्स से विभूषित किया जाना चाहिए

Monday, July 19, 2010

बेल की तारीख १७ जुलाई २०१०

आज बेल कि तारीख सेसन कोर्ट (संजय कुमार )की अदालत में थी ,आज कोई ख़ास काम तो नहीं हुआ ,केस को देखते ही जज ने कहा कि मिडीएशन भाइयों के केस में सफल नहीं होती वो तो महाभारत ही चाहते हैं और ऐसा ही होता भी है ,मैं भी पिछले ३ वर्षों से मिडीएशन करा रहा हूँ प़र कुछ नहीं होता ,चलो केस को मेंरीट पे लगा कर सुनवाई के लिए लगा देता हूँ ,और अगली डेट ११ ऑगस्ट मुक़र्रर कर दीं ,

Tuesday, July 13, 2010

प्रेम वाली रिट कि हाई कोर्ट में तारीख १३ जुलाई २०१०

कल हाई कोर्ट में प्रेम वाली रिट कि डेट थी ,उसमे प्रेम ने रिजोइंदरदाखिल करना था जो नहीं किया और कोर्ट ने उसे ५ हफ्ते में दाखिल करने के लिए कह दिया है ,और अगली डेट ९ सेप्टेम्बर मुकर्र कर दी ,न्यायाधीश एस ,एन अगरवाल ने हमको भी ३००० रुपया जमा करने के लिए कहा है ,जो जल्दी ही करने हैं ,

Saturday, July 10, 2010

मनी (धन ,पैसा ) की परिभाषा क्या है ?

एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने मनी कि परिभाषा इस प्रकार कि है "मनी इज ऐ मैटर फंक्शन फॉर ,ऐ मीडियम ,ऐ मीसर , ऐ स्टेंडर्ड ,ऐ स्टोर "प़र क्या आप अब ये जानते हैं कि ये परिभाषा आज भ्रष्टाचार के युग में बदल चुकी है ,अब आज कि नयी परिभाषा ये है "मनी इज ऐ मैटर फंक्शन फाइव ,ऐ मीडियम ,ऐ मीसर ,ऐ स्टेंडर्ड ,ऐ स्टोर और ब्राइब "क्या आप उपरोक्त परिभाषा से सहमत हैं तो अपने विचार लिखें

Friday, July 9, 2010

क्या कोई अपना अनुभव बता सकता है ?

ज्यादातर बावा और स्वयम को योगी कहने वाले लोग हमेशा कहते हैं कि हे भगवान् हमको या सबको मोक्ष दे देवे क्योंकि बार बार माँ के गर्भ में ९ महीने तक रहने में बड़ा कष्ट होता है ,यद्यपि सभी लोग माँ के गर्भ से ही पैदा होते है और ९ महीने अन्दर भी रहते है ,और में भी माँ के गर्भ में ही ९ महीने रहकर आया हूँ ,प़र गर्भ में रहने के दौरान मुझे तो उस समय ऐसा कभी फील नहीं हुआ कि मुझे कोई दुःख है क्योंकि में तो उस समय शायद सुसुप्त अवस्था में था और प्रत्ये प्राणी कि भी वो ही दशा होती है जैसी कि मेरी ,
अब सवाल ये है कि क्या भारत कि जनता में क्या कोई ऐसा स्त्री या पुरुष है जिसने गर्भ में रहते हुए बाबाओं कि कथनानुसार फील किया हो यदि ऐसा हुआ है तो क्रप्या इस ब्लॉग प़र लिखे

गणेश जी कि मूर्ति

आज सुबह सुबह मेरे हाथो से सफाई करते हुए श्री गणेश जी कि मूर्ति गिर कर टूट गई ,मेरी वाइफ कहती है कि अशगुन हो गया अब देखते हैं क्या होगा ,सम्पूर्ण दिन कैसा बीतेगा ,

Wednesday, July 7, 2010

४/७/२०१० को राजा बुन्देला से मिले

हम लोग रविवार को राजा बुन्देला फिल्म एक्टर से बंगाली मार्किट में एक काफी हाउस में मिले ,हमने एक एक काफी ली ,और किसी मुद्दे प़र डिस्कस भी किया ,वो एक अच्छे और समझदार व्यक्ति हैं ,उनसे मिलकर अच्छा लगा और भविष्य में भी मिलने का वायदा किया .

Friday, July 2, 2010

आखिर इतने दिन बाद क्यों ?

सभी ब्लॉगर भाई सोच रहे होंगे कि आखिर इतने दिन तक मैं कहाँ रहा और ब्लॉगर प़र लिखना क्यों छोड़ दिया तो भाइयो मैं आपको बता दूँ मेरे अपनों ने जिनमे मेरी सोतेली माँ ,२ छोटे भाई और एक बहन जिन सब को पाल पोश कर मैंने बड़ा किया उनकी शादियाँ ,उनको बिजनेस ,उनको चुनाव आदि लड़ाकर ,नेता बना कर ,यानी के अपने पिताजी कि म्रत्यु के बाद सम्पूर्ण घर का भार उठाया और गरीबी कि रेखा से ऊपर उठाकर इस काबिल बनाया कि वो एक अच्छे समाज में बैठ सके और अच्छे आदमी बन सके का भार उठाया प़र वो बजाय अच्छे बन्ने के घटिया ही बने रहे ,उनको मैंने अपना सर्वस्व तक दे दिया ,ले देकर एक मकान और इज्जत बची थी उसको भी वो छीनने कि फिराक में लगे रहते है ,दुसरे वो चाहते हैं कि मुझे कहीं ना कहीं फंसा कर रखें ताकि मैं उन्नति ना कर सकूँ और उनका असरिया बना रहूँ इस लिए उन अपने परिवार के लोगों ने मिलकर मुझे ससुराल भेज दिया था सो मई वहाँ प़र कुछ दिन बिता कर आया हूँ दुसरे आप जानते हैं कि ससुराल कि खुमारी आसानी से उतरती नहीं इसलिए मैं आपसे भी संपर्क ना कर सका वैसे उनका इरादा अभी भी मुझे दोबारा ससुराल भेजन इ का है क्योंकि मैं अपना मकान और इज्जत उनकी भेंट चदानी नहीं चाहता प़र उन सबकी कोशिस यही है कि वो किसी भी तरह शाम दाम दंड भेद से ये घरोंदा मुझसे छीन लें ,इस बारे में मेरा एक शेर है "मेरे अपने लगे रहे सदा इसी फ़िराक में ,जलता रहूँ मैं हमेशा बाटी जले चिराग में "Show

Monday, May 24, 2010

आज २४ मई को ऐ ,सी पी कोर्ट जहाँगीर पूरी कोर्ट गए

आज प्रेम और उसके दोनों बेटो के ऐ ,सी,पी,कोर्ट जहांगीरपुरी में कलंदरों कि तारीख थी तो उन्होंने शिकायत करता मधु चौहान और मीनाक्षी चौहान को भी अपने ब्यान देने के लिए बुलाया था तो जब मजीस्ट्रेट साहब आये और उनके सामने पेश हुए तो उनकी वकील जो भी बोल रही थी वो सब झूठ था ,खैर मीनाक्षी ने साहब को जब एल ,जी साहब का ऑर्डर दिखाया तो उसने कागज़ आगे बढ़ा दिए और कहा कि ब्यान दर्ज कराओ ,और जब ब्यान दर्ज करा रहे थे तो हम सबको तो बाहर निकाल दिया और मीनाक्षी का ब्यान दर्ज करने लगा परन्तु प्रेम ,उसका वकील और मनीष उसके सामने खड़े होकर बराबर उसको घूर रहे थे ,ये सब मैंने अन्दर कमरे में जाकर देखा तो आई ,ओ को कहा कि आप इन सभी विरोधी मेंबर को भी तो बाहर निकालो .परन्तु वो मुझको समझाने लगे तो उसकी वकील बोली कि मैं इनकी वकील हूँ ,मैं बाहर नहीं जाऊँगी मैंने कहा कि शायद ऐसा कोई क़ानून नहीं है ,मैंने कहा आप चुप रहिये वो इतना कहते ही भभक उठी और बोली तू क्या मुझे गोली मार देगा और क्या कर लेगा मेरा ,मैंने कहा कि मैं गोली क्यों मारूंगा ,इसके बाद मई चुप हो गया और आई ,ओ बाहर आ गए वहाँ आकर फिर कुछ बोलने लगी मैं भी चुप ना रह सका और मेरी वकील से काफी तू तू मैं मैं हो गयी ,और फिर आई ,ओ ने हमको १८ /६/१० शुक्रवार कि तारीख दे दी और हम घर वापिस आ गए ,मुझे पता नहीं था कि वो इतनी गन्दी ओरत है वरना मैं उसके मुंह ही नहीं लगता ,
जब हम १८ जून १० को जहांगीरपुरी पुलिस कोर्ट गए तो हम पहले ही वहाँ के आई ओ को मिले और उसको सारी बात समझा दी ,उस दिन आराम से मीनाक्षी और उसकी मम्मी के ब्यान आसानी से दर्ज कर लिए गए यद्यपि प्रेम और उसके वकील ने कुछ व्यवधान डालने का प्रयत्न भी किया प़र आई .ओ कि सूझ बुझ से से सब कुछ सही हो गया ,उसके बाद अगली तारीख २७जुलाइ १० दे दी गयी ,

Saturday, May 22, 2010

विमान हादसा

शनिवार के सुबह जो विमान हादसा मग्लोर में हुआ यह अति वीभत्स और भयावह हादसा था उस फ्लाईट में लगभग १६६ यात्री सवार थे जिनमे से केवल ८ यात्री ही जीवित बच पाए और बाकी १५८ यात्री हादसे का शिकार हो गए ,ये फ्लाईट सूदी अरब से सुबह ६ .२५ प़र पहुंची थी और मंगलोर एअरपोर्ट प़र आते ही हादसा हो गया ,हम सन=मस्त देश्वाशी इस प्रलयकारी हादसे कि भर्त्सना करते हैं और इश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हादसे में शिकार हुए व्यक्तियों को अपने चरण कमलों में स्थान दें ,यही हमारी स्वर्गवासी आत्माओं के लिए सच्ची श्राधान्जली है इश्वर उनके परिवारजनों को भी शान्ति देवें

शेखावत जी का निधन

हमारे भूतपूर्व उपराष्ट्र पति स्वर्गीय शेखावत जी का लम्बी बिमारी के बाद स्वर्गवास हो गया जिससे समस्त राजपूत बिरादरी ही नहीं बल्कि देश कि जनता को हिला कर रख दिया ,उनके निधन से देश को भारी क्षति हुई है ,उनका जीवन अत्यंत सादगी पूर्ण था और उन्होंने अपना करियर एक थाणे के सिपाही से शुरू करके देश के एक महत्त्वपूर्ण पद को प्राप्त करके सुशोभित किया ,ऐसी महान विभूति को मैं कांति प्रकाश चौहान महासचिव अखिल भारतीय राजपूत कल्याण संगठन ,बी ३२२ सरस्वती विहार से अपने समस्त राजपूत भाइयों और पदाधिकारियों सहित अश्रुपूर्ण श्रधान्जली अर्पित करता हूँ और भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि वो उनको अपने चरण कमलों में स्थान दें

Monday, May 3, 2010

हनुमान जी मरघट वाले

आज सुबह हम आर ,एन शर्माजी से ११ बजकर ४० मिनट प़र उनके दफ्तर में मिले ,बातें तो सब ठीक प्रकार से ही हुई प़र लगता था कि जैसे वो कुछ हमसे छुपा रहे थे ,हो सकता है कि जी ,क्यु ,डी का मामला हो ,वो कुछ गिल्टी भी फील कर रहे थे ऐसा उनकी बॉडी लेंगवेज से पता लग रहा था ,जो कुछ उन्होंने पी ,पी के लिए किया हमारा नुक्सान करके उसको उन्होंने कन्फेस किया और भविष्य में हमारी मदद करने का भी वायदा किया ,जो दाग उनके कारण मुझे लगा उसके लिए वो माफ़ी तक ही सिमित रहे ,उसके बाद हम वापस घर आते हुए मंदिर होते आये परन्तु हनुमान जी के दर्शन नहीं हुए क्योंकि मंदिर १० बजे बंद हो जाता है अत:हम बाहर से ही दर्शन करके आ गए और फिर सीधे घर आये

Friday, April 30, 2010

सी ४७ वाले मित्तल साहब और हाई कोर्ट

आज हम मित्तल भाइयो के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय में उनके वकील सिनिअर बंसल साहब से मिले उनकी आयु लगभग ८५ वर्ष है परन्तु अभी भी केसेस लड़ते है ,उन्होंने हम लोगो से बहुत अच्छी तरह बातें कि ,काफी सुलझे व्यक्ति हैं उनसे वार्तालाप करके बहुत अच्छा लगा ,उनका बेटा और कुछ जूनियर वकील भी उपस्थित थे वैसे उनका बेटा भी उच्चतम न्यायालय का वकील है

Tuesday, April 27, 2010

१ पन्ना और १ गोमेद

आज श्री तोमर मेरे घर आये और उन्होंने एक पन्ना लगभग ७ .२५ रत्ती और ८ .५० रत्ती गोमेद अपने बोस के लिए खरीदा और उनकी कीमत भी उसी वक्त अदा कर दी और लगव्भाग ५ मिनट बैठकर चले गए और शाम को फोन प़र उन्होंने बताया कि बोस तो ४ दिन बाद ही मिल पायेंगे

Monday, April 26, 2010

हनुमान मंदिर जमुना बाजार

मैं आज शाम को आर.एन से मिलकर आ रहा था तो रास्ते में हनुमान जी का मंदिर पड़ता है जिनकी काफी मान्यता है उनको मुर्दा घाट वाले (मरघट )वाले बाबा के नाम से जाना जाता है अचानक मेरे दिमांग में आया कि क्यों ना आज बाबा से मिलकर चला जाय यद्यपि आज सोमवार का दिन था फिर भी मैं बाबा के मंदिर जाकर प्रसाद आदि चदाकर और पूजा करके और टेक कर आया और जो कुछ विनती करनी थी कि ह्रदय को काफी संतोष सा मिला ,अब देखते हैं बाबा हमारा क्या उद्धार करते हैं ,जो भी वो करेंगे अच्छा ही करेंगे ,वैसे मैं पहले भी एक दिन रविवार के दिन मत्था टेक कर आया था लगभग १ माह पहले कि बात है

Saturday, April 17, 2010

अप्रैल माह में जून कि गर्मी का आतंक

आज गर्मी ने पूरे देश में आतंक फैला रखा है ,कहते हैं कि आज कि गर्मी ने पिछले ५१ वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया ,आज का तापमान दिल्ली में ४४ से ऊपर ही था और आगरा जैसे शहर में तो ४५ से भी पार हो गया ,अब ऐसे में जब बिजली और पानी दोनों कि मार पड़ी हो तो सोचो जीना तो दूभर हो ही जायगा ,पता नहीं क्यों मौसम में इतना बड़ा बदलाव कैसे आ गया ,भगवान् ही रक्षा करेंगे ,मैं तो पूरे दिन ही घर से नहीं निकला क्योंकि मुझे गर्मी कुछ लगती भी ज्यादा है और मैं आप सभी लोगों को भी

Thursday, April 8, 2010

टी,वी प़र एक चोर की मुंहजबानी

eआज तक का चेनल जैसे ही खोला तो देखा कि १ चोर को कुछ पुलिस वालों ने पकड़ रखा था और वो शोर मचा रहा था कि सालो तुमको देख लूंगा तुम्हारे जैसे छत्तीसों पुलिश वाले रोजाना मुझे सलाम ठोकने मेरे घर आते हैं मैं किसी एस ,एच ,ओ ,या ऐ सी, पी,या डी सी ,पी से नहीं डरता ,तुम क्या समझते हो कि मुझ प़र झूठा चोरी का केस बनाकर जेल में सडा दोगे ,देखता हूँ कि कैसे मुझे जेल में डालोगे अगर तुम्हारे कच्चे चिट्ठे ना खोल दिए तो मेरा नाम नहीं ,इतनी बकवास वो कर रहा था प़र पुलिश व्वाले कुछ नहीं बोल रहे थे मैंने बराबर में बैठे साथी को कहा कि देखो क्या ज़माना आ गया है :उलटा चोर कोतवाल को डाट रहा है ; तो उसने कहा कि ये पुलिश वाले भी वोही हैं जो इसके साथ मिले रहते है यदि ऐसा ही चलता रहा तो लोकतंत्र कि रक्षा कैसे होगी और चोरी ,बदमासी .दादागिरकैसे रुकेगी ,देश में क़ानून नामकी कोई चीज नहीं बचेगी ,आखिर पुलिश वालों को भी व्यवस्था का दोष क्यों दिया जाए

Wednesday, April 7, 2010

सानिया शोएब ,आयशा प्रकरण

इ कितने ही दिन की हील हुज्जत ,इज्जत और बेइज्जती ,संसार प्रसिद्धि ,समाचार पत्रों को मसाला देकर ,टी ,वी ,चेनल्स को काम देते हुए और अंत में सोएब ने आयशा को अपनी पूर्व पत्नी मानकर और उसे तलाक़ नामा देकर कम से कम सानिया की शादी का रास्ता तो साफ़ कर दिया और अपनी हसरत पूरी करने की भी पूर्ती कर ली ,चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ ,
प़र अभी तक मुझे एक बात समझ नहीं आई की ऐसे क्या सुरखाब के प़र शोएब में लगे है की जिसके लिए सानिया दर बदर होने के लिए भी तैयार है और जिस देश की जनता ने उसको अपने बच्चों जैसा प्यार दिया और जिस जनता से उसने करोड़ों रुपया भी कमाया उनको भी छोड़कर ,दो नंबर की पत्नी तक बन्ने के लिए तैयार है ,और वो भी ऐसे देश के नागरिक से शादी कर रही हैं जिससे की हमारी पैदाइसी दुश्मनी है ,यदि सानिया ने शोएब से शादी करके दुबई आदि में जाकर बसने का फैसला कर ही लिया है तो मैं समझता हूँ की कोई भी भारतवासी ,वो चाहे किसी भी धर्म को मानता है शायद ही सानिया से कोई रिश्ता रखे ,क्या भारत में २५ करोड़ मुसलामानों में उसे अपने समक्क्षक कोई पति नहीं मिला ,हमारे देश में एक से एक खुबसूरत नोजवान मुस्लिम भाई भरे पड़े हैं ,उनमे से किसी से भी शादी करे शायद सानिया को ख़बरों के घेरे में रहने के लिए ऐसा कर रही है ,मेरे विचारों में तो उसको अपना फैसला बदल लेना चाहिए आखिर अपना देश अपना ही होता है ,पैसे से सबकुछ नहीं खरीदा जा सकता ,शोएब की बाड़ी लेंगवेज ये बताती है की ,वो सानिया के जीवन को तबाह कर देगा ,अभी भी समय है सानिया को सभाल जाना चाहिए

Tuesday, April 6, 2010

तारीख ६\४ \२०१०

वाह रे न्यायपालिका , आज हमारे एविक्सन की तिस हजारी कोर्ट में रूम नंबर ९ ,जज ऐ .के चावला ,के यहाँ तारीख थी ,४ माह के लम्बे अरसे के बाद तारीख आई ,हमारे वकील के द्वारा एक कागज़ प़र गलती से मेरे नाम के स्थान प़र खाली कराने वाले का नाम लिख दिया गया ,हमारे वकील ने कहा भी कि सर गलती हो गई मैं अभी इसको सही किये देता हूँ प़र सामने वाले का वकील बोला कि असली प्लेंतिफआया नहीं इसके लिए पिछले जज ने ३००० रुपया जुर्माना बोला था सो आप लगाइए ,हमारे वकील ने कहा सर आप इनकी एविडेंस करा लो जब कि मधु चौहान बीमार हैं ,एप्लीकेशन भी दी परन्तु नाही तो उनका वकील माना और ना ही जज ,और ३००० रुपया जुर्माना लगा दिया ,कितना अच्छा न्याय प्रकिर्या है मेरी देश कि और फिर २ माह के लिए यानी ३१ \५\ १० के लिए फिर लटक गए

Tuesday, March 23, 2010

तारीख २३\ ३ \२०१० मंगलवार

आज हाई कोर्ट में हमारे उस केस की तारीख थी जो की प्रेम ने दिल्ली विकाश प्राधिकरण ,और उपराज्यपाल प़र डाला है की मुझे बिना सुने बी ३२२ सरस्वती विहार की कन्विंस डीड मधु चौहान के नाम में कर दी गई ,ये एक रिट है ,जिसकी अभी तक कम से कम ४ तारीख तो पद चुकी हैं और ५ वि तारीख १३ जुलाई आदरणीय जज जी .एस ,सिस्तानी जी ने दे दी है जिसमे मधु चौहान ने अपना जवाब अब से काफी समय पहले दे दिया ,और डी,डीऐ ने अभी ३ दिन पहले दिया था ,इसके बावजूद बिना किसी बात के उन्होंने मधु चौहान प़र ३००० रुपया की पेनाल्टी लगा दी ,शायद ये उस बात का परिणाम है कि एक अग्रिम जमानत कि तारीख पे जब सस्तानी साहब ने कुछ उलटा किया था तो मजबूरी में उनके सामने कोर्ट में के ,पी, को अपना मुंह खोलना पडा था ,और सस्तानी साहब कि कम्प्लेंट भी हाई कोर्ट के चीएफ़ जस्टिस से कि थी ,तो उन्होंने बिना सोचे समझे ये सब कर दिया और उन्होंने ये कन्फर्म भी किया कि क्या ये वो ही केस है जिसमे भाई भाई का कुछ मामला है ,इस तरह उन्होंने ४ माह के इन्तजार को मिनटों में निबटा दिया और फाइल आगे बढ़ा दी ,अब आप सोचिये कि अगर इसी तरह से फाइल आगे बढती रहेंगी और जज वकील कि सुनेगा नहीं तो न्याय कहाँ से मिलेगा ये मैं सब इस लिए लिख रहा हूँ कि ये सब कुछ हमारी आँखों के सामने हो रहा है ,मेरे विचारों में तो शायद ही ये कोई केस निपटाते होंगे प्रितिदीन ,लोग आते हैं चले जाते हैं वकीलों के मजे हो रहे है ,कहावत है कि अंधेर नगरी चौपट राजा ,टेक सेर भाजी टेक सेर खाजा "

Monday, March 22, 2010

तारीख २२/०३ /१०

आज सम्पूर्ण दिन एक ही विषय प़र सोचते रहे कि ,एक ही माँ बाप कि ओलाद ,एक ही कोख से जन्म लिया ,एक जैसा ही पालन पोषण हुआ एक जैसा ही प्यार मिला ,रहने सहने के लिए एक जैसा ही वातावरण ,एक जैसा ही खान पान ,एक ही स्कूल ,वो ही टीचर ,फिर भी उन तीनो भाइयों में ,बहुत बड़ा अंतर ,आखिर क्यों ? मेरी समझ में नहीं आ रहा क्योंकि एक भाई ने तो परिश्रम के बल प़र सत्यता और इमानदारी से सम्पूर्ण परिवार को पाला पोशा ,सम्मान दिलवाया ,उच्च प्रितिष्ठित समाज के लोगों से जान पहिचान भी कराई ,दान दया धर्म को कभी छोड़ा नहीं ,वहीँ प़र दूसरा भाई एक दम छाता हुआ झूट बोलने में माहिर ,सच कभी बोलता ही नहीं ,बड़े भाई से लाखों रुपया लेने के बाद भी उसका कभी पोत पूरा ही नहीं पड़ता ,काफी समझाने के बाद भी लोगों को तंग करना ,उनके मकान आदि किराए पे लेकर उनसे पैसे वसूलना ,.जिससे रुपया ले लेवे उसे वापिस नहीं करना केवल इसी फिराक में लगे रहना कि किस आदमी से कैसे पैसे वसूलने है यानी के अपने पास एक आतंक का माहोल तैयार कर लिया और लोग डरने लगे क्योंकि जो नहीं मानता उसको पुलिस आदि से परेशान करवाना या उसपर मुकद्दमा ठोक देना ,ऐसे ही कार्य करता है और अब बच्चे भी (२ बेटे )उसी कि तरह से हो गए ,सब मिलकर बनी बनाई इज्जत को ख़ाक में मिला रहे हैं ,वहीँ तीसरा भाई उसके विचारों से सहमती रखता है उसी कि तरह दान दया धर्म से उसका कोई मतलब नहीं अगर पैसे जेब में नहीं हैं तो भिकारी से भी छीन लेना ,उलटे सीधे जुगाड़ करके पैसा कमाना ही उसका भी धर्म है ,यानी तीनो भाइयों में जमीन आसमान का फर्क क्यों आ गया ,क्या ये खाली सौबत का असर है अथवा मानव के जींस का ,क्रप्या आप यदि बता सकते हैं तो मेरी समस्या का निराकरण अवश्य करें

Friday, March 19, 2010

इस दुनिया में किस प़र विश्वास करें

मैं समझता हूँ कि आज भी इस संसार में ,मैं या मेरे जैसे और भी काफी लोग होंगे जो प्रत्येक जन प़र चाहे वो अपने परिवार का हो अथवा बाहर का जो भी उनके सामीप्य में आता है उस प़र ही विश्वाश कर लेते हैं और जिस प़र भी विश्वाश करते हैं वो ही आदमी चाहे कितना ही अच्छा क्योँ ना हो हमारे जैसे लोगों के साथ विश्वासघात ही करता है अब मैं नहीं समझ पाता कि ये मेरी नियति है अथवा उनकी मजबूरी ,या चालाकी ,जब कि हमारे जैसे लोग उनके हेतु अपने बच्चों के मुंह प़र भी ताला लगाकर उनकी प्रत्येक जरुरत को पूरा करते हैं चाहे वो धन सम्बन्धी हो अथवा सामाजिक या पारिवारिक ,और कितने ही बार तो हम स्वयम देख चुके हैं कि वो हमारे सामने ही हमें बेवक़ूफ़ तक कह देते हैं ,और हमारे पास चुपचाप सुनने के अलावा कोई चारा नहीं होता ,हमारे जैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बाहर के ही नहीं बल्कि अपने घर के वो छोटे भाई बहन जिनको कि हमने खुद आसरा देकर पाला पोसा होता है ,जो कभी हमारा आसरा पाते थे और हम ख़ुशी ख़ुशी उनके लिए हर कार्य करने को तैयार होते थे ,जो आजतक हमने अपने बच्चों को नहीं दिया वो सबकुछ उनको दिया ,उनके लिए जीवन का त्याग किया प़र फिर भी उन्होंने हमारे साथ विश्वास घात किया और हर तरह से बर्बाद करने कि कोशिश कि ,प़र आज तो मैं अपने ऐसे ही एक मित्र के कारण अत्यंत दुखी हूँ और मजबूर हूँ कि उसका नाम भी नहीं लिख सकता ,हाँ इतना जरूर कहूंगा इस तरह के २ मनुष्य मेरे जीवन आये जिनसे मैं किसी भी तरह का आदान प्रदान नहीं करना चाहता फिर भी भगवान् कि माया कि मुझे उन जैसे लोगों के मुंह लगना पड़ता है शायद ये भी मेरी मजबूरी ही समझो ,खैर अभी तो मेरी प्राथना है भगवान् जी से कि जिस संकट में आज फंसा हुआ हूँ मुझे उससे निकाले ,वरना मेरी तो जीवन भर कि म्हणत अगारत जायेगी और एक मुसीबत में अलग से फंस जाउंगा ,हे भगवान् हमारे जैसे व्यक्तिओं को सही रास्ता दिखाओ और हमारे कष्ट दूर करो

Tuesday, March 16, 2010

आज कि दिनचर्या

मुझे आज एक पुलिश विभाग के दफ्तर में सुबह उच्च अधिकारी से मिलने का समय १२ बजे निश्चित था और में वहाँ प़र सही समय प़र पहुँच गया परन्तु उच्च अधिकारी साहब शायद किसी मीटिंग में थे तो कहा गया की आने वाले हैं परन्तु वो आये शाम को ५ बजे और हमसे मिले ५ बजकर ४० मिनट प़र और वो भी जो काम हमने उनसे पूछा तो उन साहब ने १ मिनट में ही हमको यह कहकर टाल दिया की आई ,ओ अभी नहीं है वो कोर्ट गया हुआ है ,उस अधिकारी को काफी कहा की साहब हम सुबह ११ बजे के आये हुए हैं और अब शाम हो गई है कुछ तो आप बता दीजिए प़र साहब तो कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे ,अब देखिये ये कितना अच्छा तरिका हैपुलिश विभाग का जब कि हम ३० किलो मीटर का रास्ता तय करके गए ,
इसी इन्तजार में हमको रात हो गई भूखे , प्यासे थे ही सो आज का हमने माँ शैल पुत्री का उपवास रख लिया जब कि आज मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था ,रास्ते में आते हुए भैरों मंदिर पड़ता है वहाँ भी उनके दर्शन करते चले आये ,दरअसल आज हम ई ,ओ ,डब्लू गए थे

Monday, March 15, 2010

मरघट वाले हनुमान जी ,जमुना बाजार

आज मैं जीवन में पहली बार मरघट वाले हनुमान जी के मंदिर में उनके दर्शन करने के लिए शाम को लगभग ५ बजे गया ,बड़े आराम से उनके दर्शन किये आत्मा प्रसन्न हुई ,मुझे घर से आने जाने में कोई भी किसी तरह की मानसिक परेशानी नहीं हुई बल्कि ह्रदय में एक प्रकार का उत्साह सा अनुभव हुआ जिससे की प्रतीत होता है की मैंने जो उनके दर्शन किये वो बहुत ही सम्र्ध्शाली थे जो की भविष्य में मेरे सपनो को साकार करेंगे ,अब तो बार बार उनके दर्शन करने को दिल चाहता है ,वैसे भी मैंने उनका नाम इसलिए काफी सूना है की वो सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं ,आशा है की वो मेरे भी दुख दूर करके मेरी मनोकामनाएं आशातीत पूर्ण करेंगे ,

Saturday, March 13, 2010

सत्यमेव जयते लिखने से कुछ नहीं होगा

सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों में सुधार लाने हेतु एक नया फरमान ,लिखकर लगाओ "सत्यमेवजयते"ताकि अधिकारी सत्य के मार्ग प़र चलें और सत्य बोले .काम भी खूब करें ,रिश्वत भी ना लें ,समय प़र आये जाएँ ,जनता के साथ म्रदुल व्यवहार करें ,अपने सभी कर्मों का पालन भलीभांति करें ,ये सारे कार्य आज से नहीं बल्कि जब से देश आजाद हुआ है तभी से आज तक ना जाने कितने नेताओं के जैसे की गाँधी जी ,सुभाष ,डॉ राजेन्द्र प्रसाद ,इंदिरा गांधी ,राजिव गाँधी ,स्लोगन सत्यमेव जयते ,हमें राष्ट्र की सेवा करनी है ,रिश्वत लेना और देना ,दोनों गलत हैं ,इस प्रकार सभी के फोटो और स्लोगन लिखकर लगे प़र नतीजा वोही ढाक के तीन पात ,
कल ही में एक सरकारी दफ्तर में गया ,तो वहाँ के अधिकारी अपने मोबाइल फोन प़र चिपक रहे थे ,और में आधा घंटा से वहाँ बेठा था जब भी में कूच कहना चाहता तो वो २ मिनट के लिए कह देते ,और फोन प़र पता नहीं क्या क्या झूठ पे झूठ बोले जा रहे थे ,बड़ी मुश्किल से मेरी और मुखातिब हुए और बोले बताओ क्या काम है ,मैंने अपना काम बता दिया तो बोले आज नहीं कल आ जाओ आज काम बहुत है ,मैंने कहा साहब मैं बहुत दूर से आया हूँ क्रप्या आज ही करा दीजिए आपकी मेहरबानी होगी ,अरे मेहरबानी तो आप करोगे ,चलो करता हूँ अच्छा ,सुविधा शुल्क निकालो ,मैंने कहा ये सब क्या होता है ,अरे समझा करो ,बोले देखो बोर्ड प़र क्या लिखा है ,वहाँ तो लिख रहा है किसी को भी रिश्वत ना दें इसलिए हम रिश्वत नहीं लेते प़र सुविधा तो आपको देंगे ,इसलिए सुविधा शुल्क नाम रख लिया
अच्छा कितना देना है ,चलो १० गांधी जी दे दो ,क्या मतलब ,यार मतलब नहीं जानते कमाते तो हो पेटी .और खोके ,और १० गांधी का मतलब नहीं जानते अरे भाई इसका मतलब है वो बड़े नोट जिनपे गांधी जी छपे हों ,मैंने कहा सर आप तनखा भी तो लेते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं प़र उसमे होता क्या है भाई रोजाना हारा थका जाता हूँ तो २ ,४ पेग भी पीने होते है और फिर मुर्गमुसल्लम भी तब कहीं सारे दिन की थकान उतरती है ,प़र सर यहाँ तो सारे दिन आप मजे से बैठे ही तो रहते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं एक दिन बैठकर दिकाओ तो जाने आप तो आते पीछे हो और भागने की कोशिश पहले करते हो ,फिर भाई ऊपर वाले भी हैं सन्ति से मंत्री तक पैसा भेजना पड़ता है ,इन स्लोगनों और फोटो सोतो टांगने से कुछ भी नहीं होता ,सारे काम पैसे से ही होते हैं ये तो हम टांग लेते हैं हमारे दांत तो भाई खाने के और दिखाने के और है ,तो भाई समझ गए ना इनसे यु,पी हो या हिन्दुस्तान कोई फर्क नहीं पड़ता

Tuesday, March 9, 2010

महिला बिल विधेयक

काफी हील हुज्जत और यादवों की सभाओं के विरोध (जिनमें मुलायम सिंघजी की समाजवादी पार्टी ,शरद यादव जी की जे ,दी ,यु ,और लालू यादव जी की आर ,जे डी ) ही प्रमुख विरोधी थी ,इसके बावजूद ,१८६ विपक्ष में केवल १ से राज्यसभा में बिल पास हो गया ,आज का दिन केवल महिलाओं के लिए ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक एतिहासिक दिन था जो भारत के संविधान में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगावास्तविकता ये है कि ये सब श्रीमती सोनिया गाँधी और देश के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के अथक प्रयासों का फल है और साथ में भारतीय जनता पार्टी भी पूर्ण सहयोग के लिए धन्यवाद कि पात्र हैं

Monday, March 8, 2010

आज महिला दिवस है

आज के दिन को महिला दिवस नियुक्त करने का ओचित्य है कि हमारी देश कि महिलाओं को जागरूक किया जाए कि उनके क्या क्या अधिकार है और उन अधिकारों को प्राप्त करने के लिए उनको क्या क्या करना है यदि अपने अधिकारों कि प्राप्ति के लिए उनको संघर्ष करना है तो ख़ुशी ख़ुशी करना चाहिए चाहे वो किसी भी लेबल का हो यदि उनको समाज और सरकार से कुछ पाना है तो उन्हें संघर्ष करना पडेगा क्योंकि सदैव से ही समाज और सरकारें उनका शोषण करती आई हैं और उन्होंने महिलाओं का इतना शोषण किया है कि आज पुरुषों को लगता है कि महिलाओं का शोषण तो पुरुष का जन्म सिद्ध अधिकार है ,और महिला तो ये समझती आ रही हैं कि पुरुष जो कह रहे है हैं ,जो दे रहे हैं ,समाज जो दे रहा है ,सरकार जो देरही है वो ही सब कुछ है परन्तु ऐसा नहीं है ,आज महिलाओं को दासी स्वरूपा माना जाता है ,जब की हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे ही हैं प़र जब भी जहां भी उनको सम्मान देने की बात आती है वहीँ प़र उनको कनखियों से देखा जाता है ,मजाक उड़ाया जाता है ,कहते हैं पद लिखकर क्या कलक्टर बनेगी ,ओरत तो घर में ही चूल्हा चौका सभालती अच्छी लगती है ऐसी बातें तो कोई भी अनपढ़ गंवार व्यक्ति ही बोल देता है ,और आज राजनीति में ३३% महिला आरक्षण की बात आई है तो तीन पार्टियां महिला बिल ही पास नहीं होने दे रही क्योंकि उनको ऐसा लगता होगा की संसद में ,विधान सभाओं में महिलाओं का वर्चस्व स्थापित ना हो जाए ,और ये तो जब है की अभी महिलाओं ने ५०%आरक्षण नहीं माँगा ,और जब इतना आरक्षण मांगेंगी तो सोचो की क्या हंगामा होगा जितना हंगामा आज हुआ है राज्यसभा में वो तो कुछ भी नहीं है ,प़र कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तो ३३%हो ही जाएगा वैसे लोकतंत्र को जीवित रखने हेतु एक अच्छा कदम है

Sunday, March 7, 2010

आज मेरी मंझली बेटी तरुणा चौहान का जनम दिन था जिसको हम सबने घर में ही सेलिब्रेट किया क्योंकि वो बहुत खर्चालू नहीं है बस उसको यदिम खर्च करना है तो वो अधिकतर जूते और कपडे खरीदती है ,खान पान प़र भी ज्यादा जोर नहीं देती ,उसकी इच्छ बस एक मर्सिडीज गाडी लेने की है ,अब मैं उसके लिए धन एकत्रित करूंगा ,प्रत्येक जन्मदिन प़र उसकी यही डिमांड रहती है वसे मैं उसको कहता हूँ की १०,या २० रूपये तो मैंने जोड़ लिए है वैसे आएगी भी कितने की मुझे लिखकर भेजें ,धन्यवाद

Saturday, March 6, 2010

मे or meriबेटी मीनाक्षी सम्पूर्ण दिन के https://www.aninews.in/news/national/general-news/cbi-registers-fir-against-fsl-rohini-officials-for-tampering-with-reports20190928104203/ निबटा कर अपनी कार से अपने घर लौट रहे थे ,शाम का समय था और कार मैं खुद चला रहा था समय लगभग ७ बजे होंगे ,हम लाल किले के पास से गुजरकर और मरघटों वाले प्राचीन हनुमान मंदिर के पास से गुजरे तो मैंने हनुमान जी को हाथ जोड़ और मत्था भी नवाया ,उससे कुछ ही दूर लगभग १०० गज ही सड़क प़र आगे पहुंचे थे की  प़र ट्रेफिक जाम था अत; कार रोकनी पड़ी ,थोड़ी ही देर में जैसे ही रास्ता खुला तो मैंने कार को आगे बढानी चाही तो ऐसा लगा कि कार पीछे कि तरफ को सरपट भाग रही है है और मैं भयभीत हूँ कि अब मेरी का किसी ना किसी कार को टक्कर मार देगी और इतना जबरदस्त एक्सीडेंट होगा कि हम बाप  घटना जो शुकर्वार को मेरे साथ घटी ?

मे or meriबेटी मीनाक्षी सम्पूर्ण दिन के काम निबटा कर अपनी कार से अपने घर लौट रहे थे ,शाम का समय था और कार मैं खुद चला रहा था समय लगभग बजे होंगे ,हम लाल किले के पास से गुजरकर और मरघटों वाले प्राचीन हनुमान मंदिर के पास से गुजरे तो मैंने हनुमान जी को हाथ जोड़ और मत्था भी नवाया ,उससे कुछ ही दूर लगभग १०० गज ही सड़क प़र आगे पहुंचे थे की  प़र ट्रेफिक जाम था अत; कार रोकनी पड़ी ,थोड़ी ही देर में जैसे ही रास्ता खुला तो मैंने कार को आगे बढानी चाही तो ऐसा लगा कि कार पीछे कि तरफ को सरपट भाग रही है है और मैं भयभीत हूँ कि अब मेरी का किसी ना किसी कार को टक्कर मार देगी और इतना जबरदस्त एक्सीडेंट होगा कि हम बाप बेटी शायद ही बच पाए और मैंने हैण्ड ब्रेक भी लगा दिया और फुट ब्रेक भी पूरी जोर से लगा रखा है फिर भी कार काफी स्पीड से पीछे को भाग रही है तो मैं शोर मचाकर अपनी बेटी को कह रहा हूँ कि मोना तू भाग ,गाडी से कूद जा ,एक्सीडेंट होने वाला है और मैं भी कूदने का प्लान बाना रहा हूँ ,लड़की ने जल्दी जल्दी अपनी बेल्ट खोली और वो मुझे आश्चर्य सहित देख रही है कि आज पापा को क्या हो गया ,यद्यपि मैं सोच रहा हूँ कि मैं बिलकुल ठीक हूँ और मेरा दिमांग भी ठीक तरह से काम कर रहा है परन्तु वास्तविकता ये थी कि ना तो मैं ही ठीक था और नाही मेरा मानसिक संतुलन ,और वास्तव में मेरी गाडी चल भी नहीं रही थी क्योंकि आसपास के गाडी वाले अपनी अपनी गाड़ियां बचा बचा कर निकाल कर ले जा रहे थे ,मेरी ये सब हालत देखकर मेरी बेटी बहुत परेशान थी अत; वो बोली कार वो चलाएगी तुम नीचे उतरो तो मैं बोला कि नीचे कैसे उतरु गाडी तो पीछे कि और तेज रफ़्तार से भाग रही है तो वो जोर से बोली कि गाडी तो एक जगह ही कड़ी है आखिर आपको क्या हो गया है ,जब उसने इतना कहा तो मेरी तुन्भाद्रा टूटी और अब मैं पहले कि तरह नोर्मल हो गया ,और फिर उसने कुछ कहा तो मैंने कहा कि मैं इस समय बिलकुल फिट हूँ ,और गाडी मैं ही चलाऊंगा और उसके बाद मैं स्वयं गाडी चलाकर घर गए ,ऐसी घटना मेरे साथ जीवन में पहली बार घटी है

Friday, March 5, 2010

प्राताप गद के आश्रम की दुर्घटना

बाबा के आश्रम प्राताप गढ़ में श्राध्य के समय में भगदड़ मचने से जो ६३ जनों की जिनमें बच्चे बूढ़े ,स्त्रिया और जवान सम्मिलित है वो एक जून की रोटी के लिए बेचारे इस संसार से बिदा हो गए और काफी लोग कुचले भी गए जिनमे काफी लोगों की हालत खराब है ,उन सबको देखकर मेरा ह्रदय बहुत दुखी है मोर मैं सभी ब्लोगर्स से भी प्रार्थना करूंगा की वो भी उनकी आत्मा की शान्ति के लिए भगवान् जी से प्रार्थना करे

दुसरे मैं आश्रम वासियों से प्रार्थना करूंगा की वो इस प्रकार के फंक्सन नाही किया करे तो अच्छा है और यदि करें भी तो वहा प़र सुरक्षा का इंतजाम होना जरूरी है कहते है की दस हजार लोग भंडारे में थे तो गुरूजी को उनकी सुरक्षा का भी तो इंतजाम करना चाहिए था ,अब गुरूजी या देश की जनता अथवा वर्तमान सरकार ही बताये इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है ,मेरे विचारों में तो गुरूजी ही हैं वैसे भी पूरे जीवन में गुरूजी ने जितने पुन्य नहीं कमाए होंगे जितने की पाप आज एकत्रित हो गए

Thursday, March 4, 2010

हैदराबाद की हवाई दुर्घटना

पवन हंस हवाई जहाज जो की नेवी के बेड़े में पिछले २५ वर्ष से सम्मिलित थे ,कल जब वो हैदराबाद में अपने करतब दिखा रहे थे तो उनमे से एक में अचानक कूच गड़बड़ी होने लगी तो उसमे जो २ पाइलट थे हो सकता है उन दोनों ने जहाज को बचाने हेतु प्रयत्न करते करते स्वर्गवासी हो गए परन्तु ना तो जहाज को और नाही स्वयम को बचा पाए ,यह सब देखकर अति दुःख हुआ ,प़र सोचने का विषय ये है की जब वो जहाज इतने पुराने और बेकार हो चुके थे तो उनको बेड़े से आज से पहले ही क्यों ना हटा दिया गया था ,अगर ऐसा होता तो कम कम २ जाने तो बचाई जा सकती थी ,प़र भाई ये हिन्दुस्तान है यहाँ जब दुर्घटना हो जाती तो प्रिकोशन लिया जाता है ,उससे पहले नहीं ,आखिर हम कब जानेंगे अपने आदमियों की कीमत ,कम से कम सरकार को और नेव्वी को तो अब समझ लेना चाहिए

Monday, March 1, 2010

चित्रकूट वाले बाबा

आज चित्रकूट वाले बाबा के बारे में जो कुछ भी पदा उसे पढकर तो बाबाओं के प्रति नफरत सी पैदा हो गयी ,और ऐसा लगता है कि जैसे ये सारे बाबा भी कहीं ना कहीं उलटे टेड़े कार्यों में लिप्त हैं या होंगे क्योंकि कुछ ही समय में इन बाबाओं के पंडालों में लाखों कि भीड़ एकत्रित होने लगती है जब कि बड़े बड़े समाजसेवी और राजनेता तक भी यदि अपने आन्दोलनों के लिए भीड़ एकत्रित करनी चाहते हैं तो लाखों खर्च करने के बाद भी इतनी भीड़ एकत्रित नहीं कर पाते जब कि वो समाज के लिए भी कुछ ना कुछ कार्य अवश्य करते हैं जब कि ये बाबा जो करते है हैं वो तो हम सभी भली प्रकार जानते है और जगजाहिर है ,आये दिन इनके ऊपर स्त्रिओं भाग्त्नियों को छेड़ने के आरोप ,बलात्कार के आरोप ,स्त्रिओं को खरीद फरोक्त के आरोप ,इनके आश्रमों में ओर्तों के मरने या मारने के आरोप ,जादू टोना होने के आरोप ,जमीनी घोटालों के आरोप ,जनता को गुमराह करने के आरोप ,करोड़ों ,अरबों कि संपत्ति एकत्रित करने के आरोप ,जूते चप्पलों से ओरते के द्वारा पिटते हुए टी,वी,प़र दिखाए और लगाए जाते रहते हैं और इन चित्रकूट वाले बाबा ने तो अपने बदमाशी के गंग में ५०० के लगभग स्त्रिओं का पूरा जत्था और वो भी उनकी सप्लाई ५ स्टार होटलों तक में और एक एक रात के २०००० रूपये तक वसूले जाते हैं इस हिस्साब को अगर फैला कर देखा जाए तो बेहिसाब संपत्ति इस छोटी सी आयु में एकत्रित कर ली और प्रतिदिन लाखों स्त्री पुरुष श्रद्धा से उनके पैर छूते देखे जा सकते हैं ,इन साधू बाबाओं ने तो राजा महाराजा ,नेता राजनेता ,मंत्री और संत्री सभी को अपने से पीछे छोड़ दिया ,
आखिर हिन्दू जनता इनके भाषणों में या इनके शब्दजाल में अथवा इनके सम्मोहन में ,क्योँ और कैसे फंसती है ये कहते हैं की प्रत्येक स्त्री पुरुष को अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए ,यदि जो भी व्यक्ति गुरु नहीं बनाता तो उसको सही रास्ता नहीं मिलता या उसको भगवान् से मिलाने वाला रास्ता केवल गुरु ही बता सकता है और जिसने गुरु नहीं बनाया उसको मोक्ष भी नहीं मिलता ,परन्तु वो ये नहीं बताते की गुरु कैसा होना चाहिए ,वो कहते हैं की गुरु के केवल गुण देखो अवगुण मत देखो क्योंकि गुण देखने की परख तो तुम्हारे अन्दर है परन्तु अभी तुम इतने सक्षम नहीं हो की जिसको गुरु बनाना चाहते हो उसके अवगुणों की व्याख्या कर सको ,गुरु की भर्त्सना मत करो वरना आपको महापाप लगेगा और ८४ लाख योनिओं में भी उस पाप को धो नहीं पाओगे ,जहां भी गुरु के प्रवचन हो रहे हों चाहे वो स्थान कितनी ही दूर क्योँ ना हो गुरु के दर्शन करने अवश्य जाओ ,सभी जरूरी कारू छोड़ दो ,अगर आप वहां समय पे नहीं पहुंचे और आपको ये पता है की उस जगह पे प्रवचन हो रहे हैं तो आपका बड़ा गर्क हो जाएगा ,यानी के उनके ह्रदय में एक दर पैदा कर दिया और यदि आप समय पे सभी गुरु के प्रवचनों का पान करेंगे तो आपके सभी कार्य सही समय प़र सिद्ध हो जायेंगे ,परन्तु ये सब भ्रांतियां हैं ,भोले भाली जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का तरिका है
अब मजे की बात देखिये बाबा भी हम किनको कह रहे हैं ,इनमे बड़े बाबा तो २ या ४ ही होंगे जिनको हम बाबा भी कह सकते हैं क्योंकि वो सब अपनी उम्र से स्वास्थ्य से दुनिया दारी के चक्करों से ,कूच कुछ मोह माया से ,निचुड़ से चुके हैं क्योंकि इन्होने अपने जीवन के सभी भोग विलाश प्राप्त कर लिए ,परन्तु अधिकतर बाबा आपको २५ से ४० साल की आयु के मिलेंगे जिन्होंने ना तो ब्रह्मचारी जीवन ही और नाही गृहस्थ जीवन को पूरी तरह से निभाया है और नाही दौलत भूख इनका पीछा छोड़ रही है ,और नाही अहंकार और कामदेव इनका पीछा छोड़ रहे है खाने पीने की भगवान् की क्रपा से इनको कमी नहीं है और यदि कमी बची है तो केवल सुरा मोर सुन्दरियों की ,और सुंदरियां तो इनके पंडालोंमें आ ही जाती है और कोई ना कोई तो इनकी मीठी मीठी चुपड़ी ,लटकी झटकी बातों में आ ही सकती है वैसे भी इनको अपने पैर छुआने में मजा भी खूब आता होगा जबकि हमारे वेड शास्त्र कहते है की किसी भी स्त्री को अपने पति के सिवा और किसी के पैर नहीं छूने चाहिये प़र क्या कहे वहाँ तो मानो पैर छूने की होड़ लगी होती है और फिर दुआ और दवाई भी चाहिए तो उनको आश्रम में जाना भी पडेगा अब वहां क्या होगा वो तो खुदा ही जाने ,
और अब तो देश में इन बाबाओं की बाढ़ सी आई हुई है जो भी थोड़ा गुरु किस्म (चालाक)सा व्यक्ति है जो शब्द जालों के द्वारा जनता को फंसाना जानता है वो ही अब बाबा बनकर अपना बिजनेस शुरू कर देता है और इस क्षेत्र में आय भी इतनी ज्यादा है की इनको चेले चांटे ,पैसा कमाने के लिए पैसा लगाने वाले मुल्क के सभी कोनो खूब मिल जाते हैं अब ये सबसे कमाऊ बिजनेस गिना जाताइ है ,ये ऐसा बिजनेश है की हलद लगे ना फिटकरी रंग चोखा ,अब तो टी वी के चेनल्स प़र भी इन्ही की बाढ़ है ,अत:मेरी सरकार से प्रार्थना है की इनके हिसाब किताब मंगाकर उनकी पूरी जांच पड़ताल करे क्योंकि ये एक एक पंडाल प़र भी लाखों रूपये खर्च कर रहे ,
ये जनता का समय बर्बाद करते है ,यदि देखा जाए तो पर्यावरण भी दूषित करते है जहां इनके पंडाल लगते हैं वहा ट्रेफिक जाम हो जाता है पुलिश वालों का भी इंतजाम करना पड़ता है ये लोग देश की अर्थ व्यवस्था को भी नुक्सान पहुंचाते है क्योंकि देश का करोड़ों रुपया इनके आश्रमों में डेड मणि के रूप में पडा होता है







Sunday, February 28, 2010

होली एक पवित्र त्यौहार

आज होली का पवित्र त्यौहार था इसलिए हम आज अपने परिवार के साथ घर में ही रहे और भाँती _भाँती के व्यंजन बनवाकर खाए और खूब मस्ती की छानी यद्यपि हमने भांग तो नहीं खाया क्योंकि कुछ लोग सोचते होंगे की मस्ती तो भांग खाकर ही आती प़र ऐसा नहीं है मस्ती तो तभी आती जब आपके परिव्वर के सदस्यौं में आपसी ताल मेल बहुत अच्छा हो और सभी स्वास्थ्य हों ,अहंकार रहित और परस्पर प्रेम की भावना हों खैर अभी तो बच्चे छोटे हैं सो अभी तक सबकुछ सही हिउ है आगे का भगवान् मालिक है ,उसके बाद शाम को होलिका दहन हुआ तो हम भी उसमे सम्मिलित हुए और वहाँ के सभी कालोनी के मित्रों से भी होली बधाई का आदान प्रादान हुआ ,सभी अच्छे लोग है ,कल रंग की होली है देखते है कैसा सुन्दर माहौल होगा ,आपसे भी मेरी प्रार्थना है की कल आप ख़ुशी ख़ुशी ,वात्सल्य से ,अहंकार रहित होकर ,छोटे बड़े का भेद भाव मिटाकर होली के रंग से सरोबार हों और आनंद लें

Saturday, February 27, 2010

होली की शुभकामनाये

सभी ब्लोगर्स को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं ,होलिका माई आपकी आशाओं ,इच्छाओं आकांक्षाओं को परिपूर्ण कर आपको उन्नति का मार्ग प्रसस्त कर उच्च सिंहासन प़र आसीन कर जगत प्रसिद्धि ,एश्वर्य ,यश मान सम्मान सिरोधार्य करें आपका

कान्ति प्रकाश चौहान

Friday, February 26, 2010

आज २०१० का बजट था

आज हमारे देश के वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने देश का बजट लोकसभा में पेश किया ,जिसमे देश के सभी वर्गों ,गरीब अमीर ,छते बड़े दुकानदार से लेकर बड़े बड़े उद्योगपतियों का सभी का भरपूर ख्याल किया परन्तु इस बजट से महंगाई की जो मार आम आदमी झेल रहा है उसको रियायत नहीं मिलने वाली और नाही किसी का कोई भला होने वाला आयकर रेशो को ५ लाख तक १० प्रतिशत टैक्स करके जरूर अच्छा किया है प़र रुपया कमाने का तरिका भी बताये मंदी की मार झेल रहे लोगों को खाने के लाले पद रहे है सो वो इतनी आय कहाँ से करेंगे ,ऊपर से उन्होंने पैट्रोल और डीजल के रेट भी कुछ ज्यादा ही बड़ा दिए इससे भी महंगाई और बढेगी ,आम आदमी को तो कोई रियायत नहीं मिली हाँ कुछ रियायत किसानो को लोन प़र ब्याज में कुछ कर दिया दुसरे एक्साइज ड्यूटी २ %और बड़ा दी जोकि लगभग सभी चीजो पे गाज गरेगी ,दुसरे सन १९८५ में मंत्री जी ने ओडिटकी सीमा ४० लाख की थी और उसके बाद आज २४ साल बाद उसकी सीमा ६० लाख की है जब की कम से कम २ करोड़ तो होनी ही चाहिए थी यहाँ प़र मंत्री जी ने शायद हिसाब नहीं लगाया ,चलो अगली बार देखेंगे ,

भर्ष्टाचार की शायद कोई हद नहीं है

मैंने जब दूरदर्शन प़र एक प्रशासनिक अधिकारी की खबर जोकि बम्बई और गोवा के डाक विभाग के सबसे बड़े अधिकारी थे की खंबर सुनी की वो मात्र एक एन .ओ सी देने के लिए २ करोड़ की रिश्वत लेते हुए सी.बी.आई के द्वारा गिरफ्तार किये गए और उनको ३ महीने के लिए जेल भी भेज दिया गया ,हतप्रभ रह गया और सोचने लगा की क्या ये आदमी अगर नाभि पकड़ा जाता तो क्या उस इतने पैसे को क्या खाने की जगह इस्तेमाल करता और उसके बाद २२ बेंक अकाउंट और दिल्ली के आसपास करोडो की संपत्ति ,आखिर इतने रूपये वो क्यों एकत्रित कर रहे था या उनको प्रशासन का भी कोई डर नहीं था ,पहले उनकी शान शौकत थी रूतबा था जिधर को भी जाते होंगे लोग उनको सलाम करते भी ना थकते होंगे ,और वो जवाब देते थक जाते होंगे ,आज पकड़ में आने के बाद तो उनको अपनी अंतरात्मा की आवाज जाननी चाहिए जो उन्होंने पहले नहीं सुनी यदि वो अब पश्चाताप भी कर लेंगे तो शायद उनको जल्दी ही मुक्ति मिल जाए ,ना जाने उन्होंने कितन इ आदमियों का खून चूसा होगा उसका दंड तो उनको मिलेगा ही ,अब उनकी क्या रह गयी ना रुपया बचा ना रूतबा और जेल मिलेगी मुफ्त में ,हमारी प्रार्थना है की इस तरह के लोगो को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि उसको देखने वाले भी कुछ सबक सीख सके ,और अब वो ऐसे फंस जायेंगे की जिन परिवार वालों के लिए वो रिश्वत लेलेकर एश करा रहा थे वो भी कुछ नहीं कर पायेंगे

Thursday, February 25, 2010

अमेरिका रिटर्न के द्वारा वहाँ की कुछ बातें

कुछ दिन पहले मेरे एक मित्र अमेरिका से घूम कर आये हैं ,उनसे मेरी कुछ बातें हुई ,जो अमेरिका का खाका खींचने में सक्षम है ,मैंने उनसे कहा की मैं कभी अमेरिका नहीं गया वहाँ की कुछ बातें मुझे बताओ तो उस समय वो और हम उनकी गाडी से ही जा रहे थे और कार वो खुद चला रहे थे ,,मुंह में पान या गुटका कुछ चबा रहे होंगे ,तो उन्होंने बताया की अमेरिका बहुत सुन्दर है ,अरे साहब वो तो साक्षात स्वर्ग है ,इतनी सफाई की मैं आपको बता नहीं सकता ,कहीं भी सड़क प़र कोई पान या गुटके की पीक नहीं ,और तभी मुन्होने एक भारी सी पीक सड़क पे मार दी मैंने देखा की साड़ी सड़क ही पीक से लाल लाल हो गयी ,अरे साहब वहाँ तो कोई सड़क पे होर्न भी नहीं बजा सकता ,और वो खुद मिनटों के अंतराल से होर्न बजा रहे थे ,कार चलाते हुए सिगरेट भी नहीं पी सकते ,मोबाइल फोन का इस्तेमाल तक कार चालाक नहीं कर सकता ,जब की वो स्वयम अपने फोन से बातें भी करते जा रहे थे ,आप गाडी में बैठकर कुछ खाने पीने के बाद कोई भी वेस्टेज बाहर नहीं फेंक सकते जब की वो स्वयम किला खाकर उसका छिलका भी अपने देश में सड़क पे ही फेंक देते हैं .कार को आप एक निश्चित रफ़्तार से ही चला सकते हैं आपकी गाडी में वो सबकुछ होना चाहिए जो वहाँ के नोर्म्स के अंतर्गत है ,परन्तु उन साहब की गाडी में तो स्टेपनी तक नहीं और गाडी की चलने आवाज कम और उसके बजने की आवाज ज्यादा ,वहाँ भिखारी नाम की तो चीज ही नहीं है ,तभी रेड लाइट प़र कुछ बिखारी बच्चे आ गए तो उन साहब ने उनको पैसे बांटने शुरू कर दिए ,मैंने उनसे कहा की अगर ऐसे ही बच्चे अमेरिका में गाडी चलाते तुम्हारे सामने आ जाते तो क्या तुम उनको कुछ देते ,अरे भाई देते तो पिछली गाडी वाला कम्लेंत कर देता हाँ एक और बात भी है वहाँ की तुम्हारी गाडी के पीछे की गाडी वाला भी तुम्हारी हरकतों प़र ध्यान रखता है और जैसे ही आप कुछ भी गलत करते हैं ,वो आपकी कम्प्लेंट कर देता है ,प़र हमारे यहाँ तो साहब कोई देखता तक नहीं ,मैंने कहा की जितने कार्य आपने अपनी कार में ही कर दिए इतने प़र तो चालान ही चालान ठुक जाते ,हाँ कम से कम १० चालान तो ही जाते और चालानों पे जुर्माना हजारों डालरों में होता ,इतना होता की कार बिकने की नौबत आ जाती ,और यहाँ ,अरे भाई यहाँ कौन देखता है तभी तो तुम जैसे सभी नागरिक ही अपने देश को नरक लोक कहते हैं ,यहाँ का कोई भी नागरिक देश को स्वर्ग बनाने की नहीं सोचता केवल विदेशों का उदाहरण देते हैं प़र उनकी नक़ल तक भी नहीं करते ,जहां दिल में आया गंदगी फैंक दी ,जो भी दिल में आया बस कर दिया ,तो भाइयो हमारी तो आपसे प्रार्थना है की आप लोग खुद अपने देश को स्वर्ग बना कर सफाई रखके सौन्दर्यता प्रदान करे केवल एक्साम्पल ना दें कुछ करके भी दिख्ह्ये तभी विदेशी भी हमारे आकर हमको सभी और देश को स्वर्ग कहेंगे

Saturday, February 20, 2010

किशोरों के लिए कुछ टिप्स

अपने मम्मी पापा के मोह को त्याग कर अपनी स्टडी की किताबों से मोह करो ,और उनको जितना भी पढ़ सकते हो पदों ,बार बार रिविजन करो ,यदि आप ७ बार उनका रिविजन कर लोगे तो फिर पूरी समरी आपके दिमांग में बैठ जायेगी और आप कभी भी कहीं भी परिक्क्षा देने जाओगे तो समझ लो की सफलता आपके कदम चूमेगी ,एक बार बहुत अच्छे नम्बर्स से १२वि की परिक्क्षा पास कर लो सैंकड़ों ओपसन कोर्से और रोजगार के लिए आपके हाथ में होंगी और यदि और भी बड़ा आदमी बन्ना चाहते हो तो ग्रेजुएशन कर लो और फिर किसी एक्साम में बैठने के लिए आप सक्षम हैं जिसके बल प़र आप प्रशासनिक या पुलिश अधिकारी बन सकते है अब आपके सामने बड़ी बड़ी चुनोतियाँ भी मुंह लटकाए कड़ी होंगी
हमेशा बड़े बड़े सपने देखो और उनको अपने जीवन में पूरे करने का भरसक प्रयत्न करो अवश्य पूरे होंगे
टिप्स नम्बर ________२
यदि आप किसी कारण वस् अच्छे नम्बर्स में १२वि पास नहीं कर सके तोभी घबराने की कोई बात नहीं है ,आपको केवल नौकरी करने का मोह छोड़ना होगा और अपना किसी भी प्रकार का या जिस तरह के भी व्यापार में अथवा मेनुफेक्च्रिंग में आपका अपना रुझान हो अथवा आपके पिताश्री यदि कोई भी व्यापार करते है तो उनके ही साथ लग जाओ और दिल लगाकर खूब परिश्रम करो एक दिन आपकी म्हणत रंग लाएगी और आप तरक्की करोगे यदि पिताश्री का व्यापार या फेक्टरी नहीं है या वो बिसिनेस ही नहीं करते तो आप कोई भी कार्य करना शुरू कर दें ,व्यापार से अच्छा तो आजकल कुछ भी नहीं है और जो थोड़ी सी पूँजी से भी स्टार्ट किया जा सकता है व्यापार के बड़े बड़े टायकून नाही तो ज्यादा पड़े लिखे थे और नाही उन्होंने बहुत बड़ी पूँजी लगाकर कार्य किया प़र आज वो देश के जाने माने उद्योगपति हैं इन सबने छोटे मोटे कामों से ही शुरुआत की थी सिर्फ इन्होने जो भी कार्य किया उसमे उनकी पूर्ण लगन थी क्या पता कब पंचर लगाने वाला साइकल और मोटर साइकल बनानी शुरू कर दे ,कब पेट्रोल पम्प प़र तेल भरने वाला कितनी ही तेल कम्पनिओं का मालिक हो जाए तो जूते गांठने वाला जूता फेक्ट्री का मालिक बन जाए पुराने टायर बेचने वाला कार बनाने और टायर बनाने वाली कम्पनी का मालिक हो जाए ,उद्योग जगत ऐसे उदाहरणों से भरा पडा है ,केवल आपको बिजनेस taaikoons की जीवनी पढने की जरुरत है ,और सोचो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता काम तो केवल काम होता है तो मेरे प्यारे बच्चो बस तैयार हो जाओ
टिप्स नंबर _______3
व्यापार करने के लिए कुछ बातें बहुत ही जरूरी हैं इसलिए इन सब बातों की गाँठ बांध लेनी चाहिए यानी के पालन करना जरूरी है १ इमानदारी २ अपनी बात का धनी ३ शेयरिंग समय की पहचान ४ हिम्मत ५ घाटा उठाने की क्षमता ६ प्रभावित करने की कला ७ वक्त की पाबंदी ८ समय की पहचान ९ ग्राहक या आदमी की पहचान १० पेमेंट की समय प़र वापसी ११ अहंकार हीनता १२ विजिटर्स के साथ अच्छा तालमेल १३ शालीनता का व्यवहार यदि इन सभी बातों को याद रखेंगे तो आपका व्यापार दोड़ेगा
टिप्स नंबर ______ ४
जब तक आपका व्यापार पूरी तरह जम ना जाए और इतना ना कमाने लगे की एक भरे पूरे परिवार का खर्चा वहन कर सके ,और थोड़ी बहुत पूँजी भी संजोनी शुरू ना कर दें तब तक शादी ना करे ,जैसे ही आपको लगे की इन सारे कार्यों को करने में सक्षम है तुरंत शादी कर लें ,देखिये शादी की कोई आयु नहीं होती यदि जेब में पैसा हो तो कभी भी शादी कर लो ,यदि जल्दी ही शादी के चक्कर में आ गए तो फिर तो गए काम से ,क्यूंकि शादी के बाद बीबी बच्चौं को भी समय चाहिए ,कहने का तात्पर्य है की करियर पहले और शादी बाद में ,

जब मैं पकिस्तान गया

मुझे पाकिस्तान जाने का सोभाग्य प्राप्त हुआ और वो भी बस के द्वारा ,बस से उतर कर जब हम बोर्डर लाइन प़र पहुंचे तो वहाँ प़र हमारे देश के सैन्य अधिकारियौं के द्वारा फूल मालाओं सहित हमारा स्वागत हुआ ,बहुत अच्छा भी लगा उन्होंने हमारे आवश्यक कागजात चेक करके हमको पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया ,हम सब सोच रहे थे की अब यहाँ के अधिकारी भी हमारा स्वागत उसी तरह से करेंगे जैसे की हमारे देश के अधिकारियौं ने किया था ,परन्तु हुआ ठीक उलटा ,उन लोगों ने हमको एक कांटेदार बाड़े जिसके चारों और लोहे के तार लगे थे ,धकेल दिया और हमसे कहा गया की अन्दर दफ्तर में जाकर अपने कागजात चेक कराओ और जब उनकी आज्ञा मिले तो पाकिस्तान के अन्दर प्रवेश करना .वहाँ के अधिकारियों ने हमको शाम तक किसी को भी बाड़े से बाहर नहीं निकाला भूख और प्यास से हमारा हाल बुरा था ,प़र किसी ने भी हमसे पानी तक नहीं पूछा ,मैं किसी प्रकार एक और यात्री के साथ छुपकर बाड़े से बाहर निकल कर उनके दफ्तर में गया तो वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं
था अब मैं केवल अकेला ही रह गया था हमारे बाकी साथी पीछे ही छूट गये थे वहाँ के अधिकारियों के नकारात्मक रवैये को देखकर मेरा बुरा हाल हो रहा था ,वो लोग मुझे ऐसे घूर घूर के देख रहे थे जैसे की मैं कोई आदमी ना होकर कोई जानवर हूँ और उनके देश चिड़ियाघर में गलती से आ गया हूँ ,मैं वहां से जब चारों और देखता था तो एक और तो प्रक्रति का हरा हरा नजारा था चारों और हरियाली ही हरियाली दूर दूर तक दिखाई दे रही थी दूसरी और छोटे छोटे गंदे गंदे कच्ची मिटटी के या कच्ची पक्की इंटों से बने घर ,गंदगी का साम्राज्य था उन सबको देखकर मुझे डेल्ही की गन्दी सी एक कालोनी याद आ गयी ,मैंने अपने मन में सोचा की क्या यही स्वरूप है पाक का ,जिसका मतलब भी पवित्र ही होता है ,प़र मुझे इतना दुख वहाँ की गंदगी से नहीं बल्कि वहाँ के अधिकारियों के रवैये से था ,आधी रात के बाद मुझे और कुछ लोग भी वहां थे सबको एक काल कोठरी सी में दाल दिया गया ,परन्तु खाने पीने को कुछ नहीं दिया ,मेरे पास जो कुछ था जिसको की मैं अपने दोस्त के लिए ले गया था उसीको खा पी कर लेट गया ,उन्होंने मुझे एक गंदा सा कम्बल ओड़ने को दे दिया ,जन मैंने कहा की भाई यहाँ पे और कोई अच्छे जगह नहीं है जहां जाकर के मैं सकूं के साथ सो सकूं ,तो एक अधिकारी बोला भाई ये पाकिस्तान है हम यहाँ किसी को अपना जमाई बनाकर नहीं रखते ये कोई साला हिन्दुस्तान नहीं है ,जब उसने मेरे देश को गाली दी तो मेरा खून खौल गया तो मैं कुछ गरम हो गया ,तभी एक अधिकारी ने पूछा अरे क्या हो गया तो वो अधिकारी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुंह को ऊपर को उठाकर बोला ये साला हिन्दुस्तानी है ना अपने आप को बड़ा फन्ने खान समझ रहा है तो वो बोला की इस गधे को शायद ये पता नहीं है की संसार में एक हमारा ही तो मुल्क है जो फन्ने खान है
इसको यहाँ ला में इसका फन्ने खान बन्ना निकालता हूँ और वो मुझे लगभग खींचता हुआ उसके पास ले गया और उसने पहले तो प्यार से बातें की और फिर उसका रुख कडा होता गया ,बोला तुम साले हिन्दुस्तानी अपने आपको समझते क्या हो ,तुम्हारे देश के मंत्री ,पी,एम् ,विदेश मंत्री जहा प़र भी जाते हो हमको ही बदनाम करते हो ,आज मैं बताता हूँ की तुम कितने अच्छे आदमी हो ,ला निकाल अपने कागजात ,मैंने सारे कागज़ उसको दे दिए ,कागज़ देखकर बोला ये तो सारे नकली हैं अच्छा तो ये बात है तू जाली कागजातों को लेकर पाकिस्तान में जासूसी करने आया होगा ,दाल दो साले को अन्दर ,मैं बार बार प्रार्थना करता रहा भाई ये सब कागज़ असली हैं ,इसमें कोई भी नकली नहीं हैं ,अच्छा तो अब तू चेक करना भी हमको सिखाएगा ,इतनी बाते हो ही रही थी तभी जो लोग दिल्ली से मेरे साथ आये थे वो भी आ गए उनमे कुछ पाक के भी थे ,उन्होंने भी मेरे अच्छे होने की सिफारिश की और कहा भाई ये तो नेक बन्दा है और पाकिस्तान में एक अपने दोस्त से मिलने आया है यहाँ की आबोहवा से परिचित होना चाहता है उन लोगो ने मेरी भरपूर मदद करने की कोशिश की प़र उन अधिकारियों नहीं मानी और मुझसे कहा गया की अभी हम तुम्हारे देश के अधिकारियों से बात करते हैं फिर देखेंगे की क्या करना है ,हम्मारे यहाँ के अधिकारियों ने उनको काफी समझाया प़र वो नहीं माने और उन्होंने मुझे उलटा वापस भेज दिया और मैंने अपने देश में आकर सुख चैन की स्वांस ली और भविष्य में कभी भी पाक ना जाने की कसम खा ली
अंत में मैं इस नतीजे प़र पहुंचा की वहाँ की जनता तो हमसे मिलना जुलना बर्ताव रखना चाहती परन्तु वहाँ के सरकारी कारिंदों के दिल और दिमांग प़र हिन्दुस्तानियों के प्रति जहर भरा हुआ है शायद उनको ट्रेनिंग के समय में ही हमारे प्रति अलग से तालीम दी जाती है

Friday, February 19, 2010

काम करो कुछ भी करो खाली मत बैठो ,किस्मत साथ देगी

हमारा प्रापर्टी का काम भी है ,अचानक मुझे एक दिन किसी व्यक्ति का आसाम से फोन आया कि हम संसार में कहीं भी जमीन खरीदना चाहते हैं ,हमने कहा क्या भाई आप चाँद पे भी जमीन खरीद सकते है उन्होंने कहा कि क्योँ नहीं ,जहां भी आप हमको जमीं दिलवाएंगे हम तो वहीँ पे खरीद लेंगे प़र शर्त ये है कि जमीन साफ़ सुथरी और अच्छी होनी चाहिए और किसी के अधीनस्थ भी ना हो ,हम समझ गए कि उन को कौन सी जमीन बेचनी है ,इस तरह उनको हमने बुला लिया और वो अपना एक ३०या ३२ आदमियों का डेलिगेट लेकर आ गए ,हमने उनके साथ एक मीटिंग भी रक्खी और विचारार्थ के बाद मैंने ललित को कहा कि भाई इनको बोली लगाकर प्लाट बेचो ,ललित ने आवाज लगाकर बिड कि शुरुआत कि और एक प्लाट बेच दिया प़र ये नहीं बताऊंगा कि कितने रूपये में बेचा अगर ये बात आयकर विभाग को पता लग गयी तो वो मेरा बाजा अवश्य बजा देंगे ,अभी उन्होंने २९ प्लाट खरीदने का वायदा और किया है अब उनसे अगली मुलाक़ात ३० फ़रवरी को होनी है

हमारा आत्मविश्वास

मैं और मेरी बेटी अरुणा शंकर रोड के बियाबान जंगल में से गुजर रहे थे उस समय हमारे पास कोई वेहिकल भी नहीं था उस समय हम दोनों में दूरी लगभग ५० मीटर होगी अचानक एक बब्बर शेर झाड़ियों के बीच में से निकल कर मेरे सामने लगभग ४ मीटर की दूरी प़र आ जाता है परन्तु उसे देखकर मुझे डर बिलकुल भी नहीं लगा और मैंने यह सोचना प्रारम्भ कर दिया की उससे बचाव कैसे किया जाय ,अचानक उस शेर ने इतनी जोर से पेशाब आ किया की मेरी एक टांग उसके पेसाब से भीग गयी तभी मुझे बचपन की बात याद आई की अगर कोई शेर पेशाब करता है और उससे किसी का शारीर या उसका कोई अंग भीग जाता है तो वो फिर अपने शिकार को नहीं छोड़ता जैसे ही मैंने ऐसा सोचा तो मुझे अरुणा का ध्यान आ गया तो मैंने अरुणा की और देखकर कहा की वो भाग जाए क्यूंकि ये शेर अब मुझे तो छोड़ेगा नहीं परन्तु अरुणा वहाँ से नहीं गयी और तभी उसके पास की झाड़ियों में से एक शेर और निकल कर आ गया ,मैंने अरुणा को कहा की शेर से बचकर एक साइड में हो jaay

Thursday, February 18, 2010

रोजमर्रा एक और नए ब्लॉग की शुरुआत

आज मैं अति प्रसन्न हूँ क्योंकि मैंने आज एक और नए ब्लॉग की शुरुआत की है और इसका उदघाटन भी मैं स्वयम कर रहा हूँ क्योंकि मेरी इतनी ओउकात तो है नहीं की मैं किसी मंत्री या संत्री को बुलवाऊँ वैसे तो हमारे देश के मंत्री या मुख्यमंत्री अथवा परधान मंत्री कोई भी आसानी से तो आजकल नहीं आ सकते क्यूंकि आजकल चुनाव का समय नहीं है प़र फिर भी मैंने कुछ दिन पहले ही खबर पड़ी थी की भूतपूर्व केन्द्रीय रेलवे मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव जी भी उदघाटन करते घूम रहे है वैसे लालू जी हैं बहुत अच्छे आदमी ,मनमोहक हैं आनंददायक हैं और उनकी भाषा का तो बस जवाब ही नहीं इसीलिए मैं तो उनका फेन हूँ वैसे में उन्दे मिला तो हूँ प़र अच्छी तरह से नहीं इस बार जब भी मिलूंगा अच्छी तरह से ही मिलूंगा ,तो भाई आप सब भी मेरे ब्लॉग प़र आमंत्रित है एक बार आपके साथ भी बैठकर चाय पानी पी लेंगे ,धन्यवाद सहित