Wednesday, October 29, 2014

लोकोक्तियाँ

पवित्रं आत्मा कभी भी अपवित्रता का ग्रहण नहीं करती ,चाहे परिणाम कुछ भी क्योँ न हो ,
"प्रारब्ध" सदैव हमारे पीछे पीछे भागता है और" भाग्य" हमारे से दो कोस दूर होकर चलता है और'" होनी" सदैव हमारे साथ साथ चलती है ,
मृत्यु हमेशा हमारे साथ साथ चलती है और इस ताल में रहती है कि हमसे चूक हो और वो हमको अपनी गोड में ले ले |

Tuesday, October 28, 2014

स्वर्गीय दार्शनिक नीत्शे के विचार

स्वर्गीय नीत्शे (१८४४-१९००)एक जर्मनी दार्शनिक और क्रांतिकारी विचार वाले एक दार्शनिक थे जो अपने विवादात्मक विचारों के लिए जाने जाते थे और उनका सबसे अधिक विवादात्मक विचार "ईश्वर मर चुका है "ने उस समय में संसार में खलबली मचा दी थी |
नीत्शे के कुछ विचार प्रस्तुत हैं ,
आस्था क्या है ,सत्य ना जानने की इच्छा|
ईश्वर एक विचार है जो प्रत्येक सीधी साधी चीज को  जटिल चीज में तब्दील कर देता है |
मैं ईश्वर में विश्वास नहीं कर सकता" वो हर वक्त अपनी तारीफ़ सुनना चाहता है ,यही चाहता है की दुनिया भर कहे कि ईश्वर तुम  कितने  महान हो "|
क्यां इंसान ईश्वर कि सबसे बड़ी गलतियों में से एक है या फिर ईश्वर ही इंसान कि सबसे बड़ी गलती है |
डर नैतिकता कि माँ है इंसान नैतिक रहता है क्योँकि वो डरता है|
सम्पूर्ण समझदारी ,सत्य के सभी सबूत अपनी खुद कि सोचने परखने की क्षमता से हासिल होते हैं |
ओहो ये ओरतें ",ये ऊंचे इंसान को और भी ऊंचा बना देती हैं और नीचे को और भी नीचे गिरा देती हैं |"
दुनिया के सभी महान विचार टहलने के दौरान लोगों के दिमाग में आये हैं |
हमको हर उस दिन को बेकार हुआ मानने चाहिए ,जिस दिन हम एक बार भी ख़ुशी से नहीं थिरके या किसी दुसरे के चेहरे पर मुस्कान ना फैलाई |
शैतान से लड़ते समय सावधानी इस बात कि रखनी चाहिए कि कहीं" हम ही तो शैतान नहीं बनते जा रहे हैं "




Saturday, October 25, 2014

मनहूस जिंदगी

हम कब तक अव्यवस्थित जिंदगी को जीते रहेंगे
जीवित रहते हुए भी लाश की भांति ढोते रहेंगे
अपनों को दिए सुखों के बदले उनके दिए दुखों को
अपना अहोभाग्य समझकर ही झेलते रहेंगे ,
दिन रात ,उठते ,बैठते ,सोते जागते ,खाते पीते
नाशुक्रे भाई बंधु ,रिश्तेदारों का मनन करते रहेंगे
अन्तोगत्वा भाईचारा ,ममता ,वातसल्य ,प्रेम
जीवन भर उन सभी को अर्पण करते रहेंगे |


Thursday, October 23, 2014

दीपावली पर्व

अमावस की तिमिर युक्त रजनी को
मिटटी के दीपों ने पूनम बना दिया
अपने अंदर का तेल बत्तियों को पिला
उनका मुख अग्नि से जला दिया ,
उनसे जाज्वलित होते प्रकाश  ने
शशि को भी आइना दिखा दिया
उसको इतना विचलित कर दिया
कि उसने अपना मुखड़ा छिपा लिया,
युगीय परम्परा को चिरस्म्रत कर 
देवी देवो  को भी विस्मित कर दिया
जनमानस  को भी खुशिया देकर 
दिवाली नाम से नामकरण कर दिया ,
अब दिवाली पर सब खुशियाँ मनाते हैं
कहते हैं दुश्मन भी मित्र बन जाते हैं
एक दुसरे को मिष्ठान अर्पण करके
आलिंगनबद्ध हो दुश्मनी को भूल जाते हैं |

दीपावली की शुभकामनाएं

दीपावली के पावन पर्व पर प्रज्ज्वलित दीप पंक्तियाँ ,और मोमबत्तियों ,बिजली चलित यंत्रों का जाज्वलित प्रकाश ,सभी फेसबुक मित्रों को  नौकरी में प्रमोशन ,व्यापार  में वृद्धि ह्रदय में अनुराग ,समाज में सोहार्द्य ,राष्ट्र की गरिमा में वृद्धि ,और विश्व में शान्ति स्थापित करें |

Thursday, October 16, 2014

सद्कर्म करने में बुरा क्या है

अपने  जीवन को हम गिरवी रखकर भी किसी की सेवा कर सकें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि अपना धन खर्च करके किसी की भूख मिटा सकें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि अपना खून पिलाकर किसी की प्यास बुझा सकें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि अपनी जिंदगी को दाव पर लगाकर डूबते को बचा सकें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि अपने मान सम्मान को मिटाकर भी किसी को चरित्रहीन होने से बचा लें तो उसमे बुरा क्या है
अपनी चर्म की जूतियां बनाकर भी अपने माता पिता को पहिना दें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि अपने आपको भुलाकर भी मित्रता को बचा लें तो उसमे बुरा क्या है ,
यदि हम अपने ह्रदय को बड़ा करके सम्पूर्ण संसार को उसमे बसा लें तो उसमे बुरा क्या है
क्योँ ना  हम लोकतंत्र को बचाने के लिए गुंडे मवाली ,भ्र्ष्टाचारी असत्य भाषी नेताओं को अपने अधिकार (वोट )से वंचित रखें |

Monday, October 13, 2014

बीफ का निर्यात

हमारी सरकार जिन बूढी गाय माताओं और बूढ़े बैल बाबाओं को काट काट कर उनका मांस निर्यात कर रही है और करोड़ों डॉलर कमा रही है ये कोई बहुत ज्यादा नहीं है ,यदि इन मरने वाली गाय माताओं और बैल बाबाओं का गोबर जो ये प्रितिदिन घास फूस खाकर बनाते हैं ,यदि उसकी कम्पोस्ट खाद बनाकर भी निर्यात किया जाए ,अथवा अपनी कृषि योग्य खेती में ही उपयोग में लाया जाए तो ,मांस निर्यात से ज्यादा करोड़ों की कमाई हो सकती है ,,और ऐसा भारत भर में सदियों से होता चला आया है और जमीन से इन्हीं की खाद के बल पर ना जाने कितना पैसा और अन्न पैदा करते रहे हैं ,
पर हमारी सरकारों को तो बिना हाथ हिलाये ही करोड़ों रुपया चाहिए फिर चाहे कितने  ही निरीह पशु क्योँ ना मारे जाएँ उनके लिए तो भैंस और गाय या बैलों में कोई अंतर नजर नहीं आता ,परन्तु मेरे विचारों में जो हिन्दू होकर भी गाय को गौमाता और बैल को बैल बाबा नहीं मानता वो वास्तव में हिन्दू ही नहीं है या हिन्दुओं के नाम पर कलंक है ,
भाइयो मुझे तो ऐसा लगता है जैसे की जो गाय या बैल काट काट कर भेजे जा रहे हैं ये हमारी माताएं और पापा जी ही हैं ,
अत:मेरी इस सरकार से ये प्रार्थना है की कम से कम इन बेचारे बूढ़े गाय और बैलों को काट काट कर इनका मांस तो निर्यात ना करें |

Saturday, October 11, 2014

करवा चौथ पर्व

आज सभी हिन्दू विवाहित नारियों ने
सौंदर्य प्रसाधन  सामग्री का उपयोग कर
स्वयं को अति सुंदरी प्रदर्शित करने हेतु
अथक प्रयत्न और प्रयास किया होगा ,
फिर निर्जल रहकर निमग्न भावों से
करवा चौथ का व्रत पूर्ण दिन रखा होगा
अपने पति की दीर्घायु की कामना कर
सात जन्म तक एकत्व का प्रणलिया होगा ,
रात्रि  को मिष्ठान ,पकवानो से थाल सजा
चद्रमा का दर्शन पति के साथ किया होगा
फिर शशि और पति का मिलान करके
दोनों को एक ही जैसा स्वरूप दिया होगा ,
फिर दोनों ने मिलकर मिष्ठान और पकवान
चन्द्रमा देवता को सप्रेम अर्पण किया होगा
फिर सावित्री जैसे पत्नी ने नतमस्तक हो
अपने प्राण नाथ के चरणों को छुआ होगा |

Wednesday, October 8, 2014

मेरे देश कि जनता

पशु, पक्षी ,परिंदे ,और सभी प्रकार के जानवर तक भी जानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति उनको उनकी ही बोली बोलकर सुनाता है या उनके सम्मुख किसी प्रकार का नाटक करके दिखाता है या  उनको किसी भी प्रकार से लुभाता है या लालच देता है अथवा किसी भी प्रकार का स्वांग रचता है तो वो उस व्यक्ति के सम्पर्क में आना तो छोडो उससे दूर ही भागते हैं नाही उसको अपना समझते हैं परन्तु वाह रे मेरे  हिन्दुस्तान कि जनता तुम कितनी भोली भाली और निश्छल ,और समझदार हो कि आपके पास कोई भी व्यक्ति या नेता आपके पास आकर सुहाने सपने दिखाता है ,या किसी भी प्रकार का लालच देता है ,तुमसे अपनत्व जताता है तुम्हारी बोली बोलकर दिखाता है ,आपसे गले मिल लेता है ,हाथ मिला लेता है और दूसरी पार्टियों के नेताओं या व्यक्तियों कि कमी गिनाता है या बुराई करता है ,प्रितिदिन नए नए खद्दर के अच्छे कपडे पहिनकर दिखाता है ,या खुद को गांधी ,नेहरू ,पटेल का शिष्य बताता है या खुद को बहुत छोटा व्यक्ति बताकर आपको इमोशनली प्रभावित करता है तो आप उसको अपना नेता ,भाई ,मित्र मान लेते हैं और अपने वोट के अधिकार को सम्पूर्ण तन मन धन तक को उसके हवाले कर देते हो ,और जब बाद  में आपको धोखा मिलता है तो फिर खुद को कोसते हैं या उस व्यक्ति ,नेता को गाली देते हो और ये ही रवैया पिछले ६७ साल से चला आ रहा है उसमे कोई सुधार नहीं हुआ और नाही आता नजर आ रहा है चलो सबका भगवान भला करेंगे जनता का भी और देश का भी ,वैसे अभी भी वक्त है |