प्रिय भाइयो आप सोच रहे होंगे की मैं इतने दिन कहाँ रहा तो मैं क्यों ना आपको सच सच बता दूँ ---------------- दरअसल मैं वो बदनसीब इंसान हूँ जिसको अपने उन्होंने ही जिनको अपने पिता की म्रत्यु के बाद पाला पोशा और नेता बनाया यानी के चुनाव वो भी विधान सभा और लोकसा भा के लड़ाए और आज जब वो सक्षम हो गए और राजनीति में कुछ पहुँच बना ली तो उसके बल पर एवं अपनी धूर्तता और लालच के वशीभूत होकर जो कुछ भी थोड़ा बहुत मेरे पास अपने बुढापे का सहारा बचा था और जो मेरा रहने का घरोंदा बचा था उसको भी हथियाने हेतु उन सबने मिलकर मुझे प्रिस्नर होस्टल भेज दिया और ना जाने कितने ही मुकद्दमे मुझ पर डलवा दिए ताकि मैं टूट कर अपना सर्वस्व उनको देकर दिल्ली ही छोड़ दूँ या संसार ही छोड़ कर चला जाऊं पर भगवान् की मर्जी के आगे तो सब लाचार हैं इस लिए उसकी मर्जी से एक करिश्मा हुआ और मैं अभी कुछ दिन पहले ही घर वापिस आकर आप सब्भी को अपनी करूँ कथा लिख रहा हूँ ।
Monday, January 30, 2012
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