Tuesday, December 31, 2013

नव वर्ष २०१४ का आगमन

नव वर्ष की
अनुपम बेला पर
नव आदित्य का हो
आगमन ,
नव वृक्ष हों
नव कोपलें हों
कुञ्ज ही  कुञ्ज हों
बसंत से
खिला रहे चमन ,
सतकर्म करें
सम्पूर्ण वर्ष भर
प्रेम रुपी अमृत का
हम करें आचमन ,
चहुँ ओर
शांति व् सद्भाव हों
एक दूजे को करें
बार बार नमन: ,
समृद्धि ओर
शांति हेतु
निर्भीकता से
करते रहें परिश्रम ,
त्याग कर प्रमाद को
सत्य पथ को
क्योँ ना करें गमन ,
चाँद सितारे
सकुचा जाएँ
देख कर हमारा वतन ,
इंद्रा धनुष सी
देख कान्ति
हर्षित होते रहें
सम्पूर्ण जीवन |

Thursday, December 19, 2013

केजरीवाल जी मात्र १ ऐसे व्यक्ति हैं

केजरीवाल जी मात्र एक ऐसे व्यक्ति हैं ,जो आँख बंद करके भी देखते हैं ,आँख खोलकर भी देखते हैं ,और अब चश्मा लगाकर भी देखते हैं ,अब आप सोच रहे होंगे कि क्या भारत में बाकी सभी व्यक्ति अंधे हैं  पर ऐसा भी नहीं हैं क्योंकि हैम सभी आँखें होते हुए भी अंधे हैं ,ज़रा बताओ कैसा लगा ये जुमला ,शायद अच्छा नहीं लगा होगा क्योंकि यही तो सत्य है ,सत्य किसी को भी अच्छा नहीं लगता ,अब सचाई सुनिये ,
पिछले ६५ वर्षों से ,जब से देश आजाद हुआ ,यही तो हो रहा है जो निम्नलिखित है ,
गरीबी जैसी कि तैसी है क्योंकि कोई भी नेता या पार्टी उसे खत्म होने देना नहीं चाहती ,बल्कि वोट कि खातिर और गरीबी को बढ़ावा दिया जा रहा हैगरीब आदमी गरीब होता जा रहा है और अमीर प्रतिदिन अमीर |
भ्रष्टाचार तब से लेकर आज तक बढ़ता ही जा रहा है मिटने का नाम ही नहीं ले रहा ,अब लोकपाल  बिल शायद कुछ करे ,कहीं लोकपाल भी भ्रष्टाचार का शिकार ना हो जाए |
दलितों को दलित बनाया जा रहा है ,जहां समाज उनके साथ में मिक्स अप होता जा रहा है वहीँ नेता लोग उनको बार दलित कहकर वोट बटोरने में लगे रहते हैं ,और इस दलित शब्द को समाज से हटने ही नहीं देते |
जनता से ज्यादा नेता अधिक भ्रष्टाचारी हैं ,और सरकारी महकमों में सांडों कि कमी नहीं हैं वो भी देखा देखि बढ़ते ही जा रहे हैं उनके सहारे छोटे अफसर भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ,खरबूजे को देख खरबूजा भी पीला हो रहा है
चुनावों में धन का महत्त्व बढ़ता ही जा रहा है इसके कारण गरीब और शरीफ आदमी चुनाव नहीं लड़ सकता ,आम आदमी पार्टी ने पहली बार पर्यटन किया हैं देखते है हश्र क्या होगा |
अधिकतर नेता और बड़े बड़े उद्योगपति अपना रुपया विदेश में भेज रहे हैं और देश को लूटकर विदेशी बेंकों कि जयजयकार करा रहे हैं |
देश में प्रत्येक जरूरी चीज इतनी महंगी होती जा रही है कि गरीब तो क्या माध्यम दर्जे के लोग भी अफ्फोर्ड
नहीं कर पा रहे ,कहने का तातपर्य है कि महंगाई दिनप्रतिदिन सुरसा के मुख कि भांति बढ़ती ही जा रही है
भिखारियों कि संख्या दिन प्रतिदिन देश में बढ़ती जा रही है और फिर बढे भी क्यों ना जब कि हमारे देश को बाहर का ब्याज भरने हेतु और पैसा ब्याज पर लेना पड़ता है वो कटोरे में भीख मांगकर फिर जनता या भिखारियों कि क्या गलती |
नारी कि अस्मिता आज भी दाव पर लगी रहती है पुरुष जाति के पास संस्कार नाम कि कोई चीज नहीं बची है स्त्रयों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है |
और भी बहुत से विषय हैं जो हमको नहीं दीख रहे पर केजरीवाल कि तीसरी आँख देख रही है |  समाप्त

Tuesday, December 17, 2013

दामिनी कि प्रथम पुण्य तिथि पर

दामिनी तुमको हम
हमारा देश और
सम्पूर्ण संसार
भला कैसे भूल सकता है  ,
तुम तो दिशा थीं 
आने वाले तूफ़ान की
महाविभीषिका थी 
सम्पूर्ण मात्र शक्ति हेतु 
भूमण्डल की स्त्री जाति  हेतु 
दैवीय प्रतिपदा थी,
तुम्हारी प्रेरणा एक
जागृति की चेतना थी 
नारी जाति में विलुप्त
,वेदना को चेतावनी थी
तुम्हारी आहुति के बाद
रणभेरी का बिगुल बजा दिया
प्रत्येक बलात्कारी को
सूली पर चढाने का
परचम फहरा दिया ,
तुम्हारे हेतु कुछ ना कर सके
मात्र एक दीपक जला दिया
तुम्हारी इच्छा को शिरोधार्य कर
पूर्ण करने का प्रण ले लिया |












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Saturday, November 30, 2013

दिल्ली में महिलाओं की मुख्य आवश्यक्ता

दिल्ली की मुख्य मंत्री एक महिला के होने के बाद भी यहाँ कि एक ज्वलंत समस्या है जिसको कि सभी पुरुष तो नहीं जानते होंगे क्योंकि दिल्ली सरकार ने पुरुषों के लिए यहाँ की सड़कों के किनारे थोड़ी थोड़ी दूरी पर ही पेशाब घर बनवा रखे है उसके बावजूद भी वो कहीं पर भी किसी दिवार के  सहारे खड़े होकर गधों की भांति पेशाब कर लेते हैं उनको ये भी शर्म ,ह्या नहीं आती की उनके आस पास से स्त्रियां ,बच्छियाँ या पुरुष भी गुजर रहे हैं ,इतना भी इन्तजार नहीं कर सकते की कुछ दूर जाकर वो इस किरया को कर लें ,परन्तु कभी कभी ऐसा भी होता है हम प्रयत्न करने के बाद भी रोक नहीं पाते लिहाजा कहीं पर भी खड़े होकर पेशाब कर लेते हैं ,मैं दिल्ली सरकार से और मुख्यमंत्री जी से और दिल्ली की सम्पूर्ण जनता जिनमे स्त्री पुरुष दोनों ही हैं से पूछना चाहता हूँ की जो स्तिथि आदमियों के साथ होती है क्या ये ही परिस्तिथि ,दिल्ली में बसी हमारी  बहनो ,माताओं के साथ भी होती होगी ,तो वो उस समय में क्या करें क्योंकि लज्जा के कारण वो बेचारी तो इधर उधर भी उरिनेटिंग नहीं कर सकती ,उनको फिर किसी के घर में ही शरण लेनी पड़ेगी ,एक विकट स्तिथि है और यदि उसके साथ किसी का पेट ख़राब हो तो क्या करे ,क्या १५ वर्ष तक दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के बाद भी उनको ये बात कभी ख्याल नहीं आई ,जब आप स्त्री होते हुए भी स्त्रियों का भला नहीं कर पाई या उनकी समस्या को नहीं समझ पाई तो फिर आज वो आपको वोट ना दें तो कैसा लगेगा तो अभी भी मेरी आप से शीला दिक्सित जी से और जो भी नई सरकार आने वाली है उनसे प्रार्थना है की वो दिल्ली की महिलाओं के लिए प्रत्येक किलोमीटर पर रोड्स के किनारे पेशाब घर (टॉयलेट्स) अवश्य बनवा दें ताकि उनको ऐसी विकट स्थिति आने पर उनको निजात मिल सके |

Thursday, November 28, 2013

लडकियां

भारतवर्ष में सदियों से आजतक मुख्यतया हिन्दू समाज में जब लड़की पैदा होती है तो बजाय खुशियां मनाने के शोक जैसा कुछ माहोल हो जाता है ,सभी पारिवारिक सदस्यों के मुखों पर १२ बज जाते हैं और कुछ परिवारों में तो उस दिन खाना तक भी नहीं बनता मानो  कि उस आने वाली लड़की ने  उनका सभी कुछ छीन  लिया हो ,और उस नवजात बच्ची को घ्रणा भरे और तिरस्कारित नेत्रों से देखा जाता है जब कि उस एवं अन्य लड़कियों के बिना ना तो समाज बन सकता है ,और ना ही समाज का उद्धार हो सकता है ,और नाही समाज कि रक्षा हो सकती है और नाही समाज का शुद्धिकरण ,क्योंकि ये लडकियां ही बड़ी होकर माँ ,बहन ,पत्नी और भी कुछ अनजाने रिश्ते बनाकर समाज कि उतपत्ति ,रक्षा ,और शुद्धिकरण तक करती हैं |इसके बावजूद भी आखिर आदमी ये सब कुछ क्यों करता है ,लानत है मनुष्यों पर जो खुद को मनुष्य तो कहते हैं पर वो हैं पशुओं से भी गए ,गुजरे |

Sunday, November 24, 2013

सुख कि परिभाषा

जब भीष्म पितामह  म्रत्यु शैया  पर पड़े थे तो उस समय  युधिष्ठिर ने उनसे ये प्रश्न पूछा कि एक साधारण पुरुष किस प्रकार के आचरण करने से जीवन में सरलता से सुख प्राप्त कर सकता है ,तो तीरों से बिंधे भीष्म पितामह ने इस जिज्ञाषा का समाधान करने के लिए मनुष्य के ३६ गुणों का वर्णन किया |
धर्म का आचरण करें पर कटुता ना आने दें | क्रूरता का आश्रय लिए बिना ही अर्थ का उपार्जन और संगर्ह करें |मर्यादा का अतिक्रमण ना करते हुए ही विषयों को भोगें | दीनता ना लाते हुए ही प्रिय भाषण करें |शूरवीर बनें किन्तु बढ़ चढ़ कर बातें ना करें | दान दें परन्तु अपात्र को नहीं | दुष्टों के साथ मेल ना करें ,बंधुओं से कलह ना ठानें |लालची को धन ना दें | जो राज भक्त ना हों ऐसे दूत से काम ना लें | साधों का धन ना छीने | नीचों का आश्रय ना लें | अच्छी तरह जांच किये बिना दंड ना दें | गुप्त मंत्रणा को प्रकट ना करें |जिन्होंने कभी अपकार किया हो उनपर विश्वास ना करें |किसी से ईर्ष्या ना करें और स्त्रियों कि रक्षा करें | शुद्ध होकर रहें  और किसी से घ्रणा ना करें | स्वादिष्ट भोजन भी अधिक ना खाएं | दंभहीन होकर देवपूजन करें | अनिंदित उपाय से लक्ष्मी प्राप्त करने कि इच्छा करें | स्नेह पूर्वक बड़ों कि सेवा करें | कार्यकुशल हों किन्तु अवसर का सदा विचार रखें | केवल पिंड छुड़ाने के लिए किसी से  चिकनी चुपड़ी बात ना करें |किसी पर कृपा करते समय  उसपर  आक्षेप ना करें |शत्रुओं को मारकर उसपर शोक ना करें | अकस्मात क्रोध ना करें | जिन्होंने आपका अपकार किया हो उनके प्रति कोमलता का बर्ताव ना करें |
भीष्म ने कहा हे तात :_
अदि अपना हित चाहते हो तो सदा इसी प्रकार का व्यवहार करो ,यदि ऐसा नहीं करोगे तो जीवन में सहज भाव से सुख और आनंद का भोग नहीं कर पाओगे और कभी भी बड़ी विपत्ति में पड़ जाओगो | तो भाइयो यही है महा भीष्म का उपदेश |



Tuesday, November 12, 2013

मानसिकता

सांसारिक व्यक्तियों को तनाव रहता है
मानसिक शांति नहीं मिलती
किसी भी अवस्था में शान्ति नहीं है 
ह्रदय उद्विग्न रहता है
आत्मा अतृप्त रहती है
किसी भी कार्य में मन नहीं लगता
स्वभाव चिड़चिड़ापन बना रहता है
नकारात्मकता ह्रदय वासित बनी है
चहुँ और तिमिर ही तिमिर बना है
किसी पर विश्वास नहीं होता
सभी क्रूर ,दुष्ट दृष्टि गोचर होते हैं
 सवयम पर भी विश्वास नहीं है
जीव जंतुओं से भी प्रेम नहीं होता
वृक्ष ,लताओं से भी लगाव नहींहोता
वातसल्य का भाव उत्त्पन्न नहीं होता
व्यवहारिकता रास नहीं आती
आत्महत्या करने को मन करता है
अकेलापन अच्छा लगता है
जानते हो ऐसा क्योँ होता है
क्योँ कि हम  लेना जानते हैं
देने का हमारे पास नाम नहीं होता |

 

Saturday, November 2, 2013

दीपावली

दीपावली पर दीप प्रज्ज्वलित कर
ह्रदय वासित कर लो यही धारणा
भाई चारे कि ज्योति जलाकर
समूल नष्ट करेंगे वैमनस्य घ्रणा ,
महालक्ष्मी कि स्तुति करके
अंत:स्थल से तजो धन तृष्णा
मिट जायेंगे सब कष्ट हमारे
मिट जायेंगे सब सृष्टि ऋणा ,
मित्र जनों को मिष्ठान अर्पण कर
सत्य अहिंसा का दो व्याख्यान
तिमिर को दृष्टि ओझल करना है
हमको करना  है यही आवाह्यां ,
दीपावली हम सभी मनाएं
हिन्दू ,ईसाई और मुसलमान
एक साथ सब मिलकर गायें
हमसबका भारत देश महान |

Thursday, October 31, 2013

अप्रत्यासित घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन ?

किसी भी व्यक्ति कि अकस्मात म्रत्यु ,जैसे कि एक्सीडेंट हत्या  ,आत्महत्या या हार्ट अटेक अथवा कारावास ,इन सभीके लिए उन सभीका अपना परिवार किसी ना किसी रूप में ९०% तक  जिम्मेदार होता है और 10 %बाहरी व्यक्ति जिम्मेदार होते हैं ,उनको हम मात्र हादसे कह सकते हैं ,
प्रत्येक व्यक्ति अधिकतर अपने पारिवारिक समस्याओं से जूझता रहता है प्रत्येक क्षण परिवार कि समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयत्न्शील रहता है और उसी के कारण व्यक्ति मानसिक तौर,शारीरिक तौर पर प्रत्यक्ष या
अप्रत्यक्ष तौर से कमजोर होता चला जाता है जिसकी परवाह ना तो वो खुद ही करता है और नाही उसका परिवार जिसका मुख्य कारण होता है अकस्मात म्रत्यु ,सोचने के कारण गाडी चलाते वक्त एक्सीडेंट का होना  ,अपने विचारों और परिवार के सदस्यों के विचारों में विमुखता ,या परिवार कि आवश्यक्ताओं कि पूर्ती नहीं कर पाना आत्महत्या या हार्ट अटेक का कारण बन जाता है ,परिवारों में अक्सर प्रोपर्टी डिस्प्यूट अक्सर होते हैं बिजनेस डिस्प्यूट्स ,पार्टनरशिप जैसे भाई बन्धुं और मित्रों ,रिलेटिव्स सेऔर कहीं कहीं तो बेटी बेटे तक भी दुश्मन  हो जाते हैं ये सभी कारण हत्या और कारावास के कारण बनते हैं ,और व्यक्ति कि म्रत्यु पर ये ही पारिवारिक लोग भाई बंधू ,बहन पत्नी ,माँ बापू ,रिस्तेदार बहुत अधिक रुदन ,स्यापा करते हैं ,ये ही संसार का नियम है |

Tuesday, October 29, 2013

कहावत

कृपणस्य वित्तं
नृपस्य चित्तं
स्त्री चरित्रम
दुर्जन मानवा मनोरथा
ना जानती देवा

यानि के कंजूस व्यक्ति के धन के बारे में ,राजा के ह्रदय कि बात ,स्त्री के चरित्र के बारे में और बुरे  व्यक्ति के ह्रदय में क्या है या वो क्या बुरा करने जा रहा है ,देवता भी नहीं जानते |

Monday, October 28, 2013

चुनावी माहौल

पांच प्रदेशों में चुनाव आ गये हैं ,अब जनता के पास भ्रष्टाचारी ,मिथ्याचारी ,क्रिमिनल बड़े बड़े गुंडे ,बदमाश ,दबंग, रिश्वतखोर छूट भैये ,भूमाफिया जिनको विधायक बनने के लिए टिकट मिलेंगे आयेंगे और जनता के सामने गिड़गिड़ाएंगे ,पैर छुएंगे और जनता को बहुत ही अच्छा बनकर दिखाएँगे ,लच्छेदार बातें करेंगे और रौब दिखाते हुए चेतावनी सी देकर चले जायेंगे और आप वाही करेंगे जो पिछले ६५ सालों से करते आ रहे हैं कि आँख बंद कर कहीं भी मोहर लगाकर अपने अधिकार का दुरूपयोग करेंगे और वापस आ जायेंगे क्यों कि आपके पास कोई भी शरीफ आदमी तो वोट मांगने आयेगा नहीं क्यों कि उसको चुनाव लड़ने के लिए टिकट तो मिलेगा ही नहीं और फिर नतीजा आयेगा ,गुंडे ,माफियों कि सरकार ,और आप हाथ मलते रह जायेंगे ,इसलिए मैं कहूंगा कि आप किसी अच्छे व्यक्ति को ही अपना अमूल्य वोट देकर सफल बनाये वरना तो किसी को भी नहीं वाला बटन दबाकर आ जाना ,बाकी आपकी मर्जी |

Sunday, October 20, 2013

हमारा देश और प्रधानमन्त्री

भारत वर्ष के उस समय के सबसे अमीर आदमी पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के पहले  प्रधान मंत्री बने तो देश में अकाल पड़ा ,सम्पूर्ण जनता ने त्राहि त्राहि की ,पर देश में हरित क्रान्ति आ गईउनकी म्रत्यु अचानक ही १९६४ में हो गई उनकी म्रत्यु का रहस्य भी आज तक सोचने का विषय बना हुआ है |
उनके बाद श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधान मंत्री बने जो की बचपन में पढने के लिए नाव के बजाय तैर कर गंगा नदी पार करके स्कूल जाते थे उस वर्ष देश में इतनी बरसात हुई की चारों और पानी ही पानी हो गया लोगों को नाव का सहारा लेना पडा ,उनकी म्रत्यु भी तास्कंद में जाकर हुई आज तक पता नहीं चला की उनकी म्रत्यु क्योँ और कैसे हुई|
उसके बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी जो की उस समय की सबसे ताकतवर स्त्री थी उनके समय में देश ने उन्नति भी की ,और उन्होंने देश पर इमरजेंसी ठोक दी ,उनकी म्रत्यु भी एक बुरा हादसा बन कर रह गई जिसके कारण सिख और हिन्दू भाई भाइयों में झगडे हो गये देश अवनति के गर्त में चला गया |
उसके बाद मोरारजी देसाई जैसे इमानदार और झुलसे व्यक्ति देश के प्रधान मंत्री बने पर वो भी अपनी सरकार ठीक से नहीं चला सके ,उन्होंने और उनके सहयोगियों ने देश को पेसाब का आचमन करने का मन्त्र दिया |
राजिव गांधी जी प्रधानमन्त्री बने उन्होंने देश की साख बचने के लिए बहुत प्रयत्न किये पर उनको भी अपनी कुर्बानी देनी पड़ी और देश फिर गर्त में चला गया

उसके बाद तो नरसिंहा राव जी भी बने तभी से घोटालों का प्रचलन शुरू हो गया जो आजतक नहीं रुका |
चौधरी चरण सिंह तो केवल नाम मात्र के लिए ही बने थे जो कुछ भी ना कर सके |
चंदेर्शेखर जी भी प्रधानमंत्री बने पर देश की खराब हालत के लिए देश को सोना बेचना पडा और देश की इज्जत बचाई ये उनका बोल्ड स्टेप था अगर ऐसा नहीं करते तो पता नहीं आज देश का क्या होता
उसके बाद तो विश्व्नाथ प्रताप सिंह जो जातिवाद का प्रश्न चिन्ह बने और देश में बदमनी फ़ैल गई स्वर्ण और दलित भीड़ गये
अटल बिहारी जी भी देश के प्र्दान्मंत्री बने और टुकडो में राज करते रहे और फिर देवगोडा ,manmohan सिंह जी जैसे प्रधान मंत्री बने जो की एक इमानदार और अच्छी छवि के बावजूद बदनामी वो भी अनगिनत घोटालों की ढ़ोते रहे हैं पग पर उनको नेता पक्षी और विपक्षी और जनता भी बेचारे ,और पता नहीं क्या क्या कहते रहे हैं देश के हालात कोई अच्छे नहीं है 
अब आप सोचिये की यदि अब अगला प्रधानमंत्री चाय बेचने वाला बना तो देश के हालात कैसे होंगे क्या देश की जनता को भी चाय बेचनी पड़ेगी या चाय पीकर ही गुजारा करना पडेगा या और भी बुरा हाल होगा क्योंकि महंगाई तो उनको विरासत में में मिल ही रही है मई तो यही कह सकता हूँ की इस देश का भगवा नहीं बल्कि भगवान् ही भला करे |


Thursday, October 17, 2013

आत्महत्या

आत्महत्या मत कर
आत्म मंथन कर
जो कष्ट सहे हैं अब तक
उन सभी को दफ़न कर ,
आत्महत्या ,कायरता है
समस्या का समाधान नहीं
छूट जाएगा ये संसार
रहेगा नामो निशाँ नहीं ,
वर्तमान को चकित कर
भविष्य का इन्तजार कर
मस्तक टेकेगा  एक दिन
सुख वैभव तेरे द्वार पर ,
तेरा   धैर्य ही परीक्षा  है
तू उस पर विश्वास कर
मात्र आत्मचिंतन कर
अपनी आत्मा के यथार्थ पर |

Sunday, October 13, 2013

रावण की बरसी पर

त्रेता में मात्र एक रावण था
कलयुग में अनेक अनुयायी हो गये
वो तो मात्र अपहर्नक्रता था
अब के रावण बलात्कारी हो गये ,
उसके अनुयायी तो कलयुग में
अति भ्रष्ट ,धर्ष्ट ,और बड़े पापी हो गये
हवस की घ्रणित मानसिकता के कारण
सभी नाते रिश्ते छू मंतर हो गये ,
कोई भी किसी को पकड़कर
हवस का शिकार बना लेता है
बहन भाई ,बाप बेटी ,मामा भांजी
पवित्र रिश्ते की बलि चढ़ा देता है ,
रावण ने तो छदम वेश धारण कर
सीता मैया का अपहरण किया था
आज के बावाओ ने  अध्यात्म माध्यम बना
कन्याओं का कौमार्य अपवित्र ठहराया है ,
त्रेता के रावण को मात्र अपहरण हेतु
प्रति वर्ष चौराहों पे जलाया जाता है
पर कलयुगी व्यभिचारियों ,बलात्कारियों को
सूली पर क्यों ना चढ़ाया जाता है |

Saturday, October 5, 2013

धर्ष्ट व्यक्ति और उसकी अशुद्ध वाणी

सुसंस्क्र्त समाज में जीवन यापन करने के बावजूद ,सुसंस्क्र्त परिवार का सदस्य होने के बावजूद ,सुसंस्क्र्त शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद ,अकूत धन संपत्ति प्राप्त होने के बावजूद ,अच्छे पद को सुशोभित करते हुए और अच्छे संस्कार प्राप्त करने पर  भी धृष्ट व्यक्ति की अशुद्ध वाणी में शुद्धता और सोम्यता नहीं आ पातीं क्योंकि वो जन्म से ही धृष्ट है |


Thursday, October 3, 2013

भिन्नता

सुख बसंत है
दुःख पतझड़ है
प्रेम सौन्दर्य है
विरह अंधड़ है ,
काम है रीर्तु है
क्रोध है ज्वाला
मद मारीचि है
लोभ विष प्याला ,
अहंकार नेस्ट है
वात्सल्य श्रेष्ट है
स्पंदन है इच्छा शक्ति
भ्रम है मानसिक दिवाला ,
अर्थ सर्प है
गरीबी  गर्त है
म्रत्यु शांति है
मोक्ष अमर उजाला |


Wednesday, September 25, 2013

हमारे नेत्रत्व करने वाले

चुनावी दौड़ में हम भी
उनके पीछे पीछे भाग रहे हैं
गधे ,घोड़े कुत्तों को देखकर
हम उनका मुल्य आँक रहे हैं ,
आज जो भी कुछ परोस रहे हैं
उसे देख देख कर सोच रहे हैं
हम सबको लूटने वाले नेता
क्षल  नीति प्रयोग कर रहे हैं ,
नए नए प्रलोभन हमको देकर
वोट छीनने का प्रयत्न कर रहे हैं
हमारी समस्याओं का अंत कर
सुखी जीवन देने का दम्भ भर रहे हैं ,
पर कैसे विश्वास करें इन पर
ये सदैव  असत्य बोलते रहे हैं
गरम तवे पर भी नितम्ब रख दें
तो भी खरे नहीं उतरतेलगते हैं |
 

Tuesday, September 24, 2013

नीतियाँ

जिसका आधार ही वैधव्य हो
और वर्तमान ,चुपचाप समझदार
जिसका भविष्य हो वर्णशंकर
और मूलमंत्र हो भ्रष्टाचार से प्यार ,
जो मन्त्र तो स्वयम पढ़ते हैं
बाम्बी पर हाथ ओरों का रखते हैं
एकत्रित करने वाले करते रहते हैं
पर कुबेर बन ,राज स्वयम करते हैं
चमचे उनकी खिचड़ी घोटते रहते हैं
पैरों के तलवे भी चाटते रहते हैं
सम्पूर्ण खिचड़ी जब वो खा लेते हैं
तो खुरचन से उदर भर लेते हैं ,

Friday, September 20, 2013

विचारणीय प्रसंग

क्या कभी किसी पुरुष ने
किसी स्त्री को रोते ,
बिलखते
सुबकते
या जमींदोज होते देखा है ,
शायद नहीं
 यदि देखा भी है तो
परवाह नहीं की
क्योंकि वो उसमे
अपनी माँ ,बहन ,बेटी का
स्वरूप नहीं देखता है 
देखता भी है तो
उसके मुख पर बहते रूद्र नहीं
बल्कि मुखारबिंद की भाव भंगिमा
शारीरिक सौष्ठवता
आंतरिक सबंध बनाने का
भरसक प्रयत्न करता है |

"वासना ग्रसित,अपरिपक्व मस्तिष्क मानव "

क्षणिक आनंद की अनुभूति हेतु
अंग प्रत्यंगों की त्रप्ति हेतु
वासना रुपी कीचड में सदैव
 लिप्त , डूबता ही चला जाता है ,
सभी संस्कारों को त्याग कर
मान मर्यादा से दूर भागकर
अंतरात्मा की आवाज को ना सुन
करता रहता है सदैव उधेड़ बुन ,
किसी भी कली  को स्पर्श कर
जाल बिछाने का प्रयत्न करता है
आयु से भी बिना सामंजस्य के
वासना पूर्ती का प्रयत्न करता है ,
कड़े क़ानून की परवाह ना कर
समाज को दर्पण ना मानकर
मानसिक विक्रति से वशीभूत
ग्रीवा को फांसी लगवा लेता है |

Wednesday, September 18, 2013

आखिर दंगे क्योँ होते हैं


 जब जब भी, जब भी कहीं
मुजफ्फर नगर की भांति
हिन्दू और मुस्लिम बंधुओं के
रक्त्पातीय दंगे होते हैं ,
उसके लिए  हिन्दू मुस्लिम
 गुंडे और आवारा ,बदमाश
 वहाँ की जनता और पुलिश
ऐसे कांडों से अनभिग्य होते हैं ,
क्योंकि वहाँ धुंआ नहीं होता
और आग लगाईं जाती है
ऊपर ऊपर से सुर्रियाँ चलाकर
दोनों और चोपड़ बिछाई जाती है,
हिन्दू नेता हिन्दुओं को भड़काते हैं
और मुस्लिम नेता मुस्लिमों को
धार्मिक और कट्टरपंथियों को
भांति भांति की घुट्टी पिलाते हैं ,
और फिर वो शुरू हो जाते हैं
गली कूंचे मुहल्लों को सुलगाते हैं
एक दुसरे का खून पीने को आतुर
पडोसी पडोसी के रिश्ते भूल जाते हैं ,
दो चार दिन में सब शांत हो जाते हैं
दोनों और से काफी  मर जाते हैं
फिर नेताओं का आना शुरू हो जाता है
पीड़ित कम रोता है ,नेता रोता ही जाता है ,
मरने वालों के प्रति सभी पार्टी नेता
अपनी संवेदना व्यक्त करते जाते हैं
सांत्वना  देते हैं सभी के कुटुम्बियों को
और एक दो लाख टेक फेंक जाते हैं |


Thursday, September 12, 2013

आतंकवादी कौन है

आतंकवादी हम किसे कहते हैं
सीमापार से आने वालों को
आतंक  मचाने वालों को
या आतंक सहने वालों को ,
आतंकियों को पनाह देने वालों को
आतंकियों से गुफ्तगू करने वालों को
आतंकियों को प्रेम दरसाने वालों को
या हथियार मुहैया करने वालों को ,
उनके आगे घुटने टेकने वालों को
या मिल बैठ कर सुलझाने वालों को
आतंकियों की वकालत करने वालों को
या वोट की खातिर अपना बताने वालों को ,
उनके कर्मों पर पर्दा डालने वालों को
उनकी सहूलियतों से मजा लेने वालों को
उनकी धमकियों से डरने वालों को
या पाक से प्रेम करने वालों को ,
आतंकियों को बम बनाकर देने वालों को
या इधर उधर बम फोड़ने वालों को
अपने ही भाइयों पर जुल्म करने वालों को
उनका सर्वस्व नष्ट कर राख करने वालों को |

 

Monday, August 26, 2013

एक सत्यवादी की करुण कथा

अपनी जिन्दगी को बिना सँवारे
उनकी जिन्दगी को संवारा
वो फिर भी संतुष्ट ना हुए
नाहिं उनको हुआ फिर भी गंवारा ,
वो मकड़ी जाल बुनते रहे
किस तरह किया जाए मुझे किनारा
वो पटकी देने को तत्पर थे
पर उनका प्रत्येक दाव हारा ,
फिर भी उन्होंने हार ना मानी
घात लगाने का लिया सहारा
फिर जाल में फंस गया एक दिन
तो पानी पिला पिला कर मारा ,
फिर भी मुझे मिटा ना सके वो
क्योंकि ऊपर वाले का था सहारा
सत्य की मूल सदा हरी रहती है
असत्य सदा जीत जीत कर भी हारा |

Wednesday, August 7, 2013

महामुर्खों कि सूची में शामिल

जीवन के अंतिम पडाव में
मूर्खों की सूची में शामिल हो गया हूँ मैं
क्योंकि इस आयु में
शरीर अस्वस्थ हो जाता है
तो शरीर का प्रत्येक अंग
अपना कार्य करने में
निष्फल हो जाता है
और मष्तिष्क जो कि
सभी अंग प्र्त्येंगों को
अपने इशारे पर चला
सम्पूर्ण कार्य संपन्न कराता है ,
उसमे भी शनै शनै ह्रास
होना प्रारम्भ हो जाता है
इसीलिए मेरी उम्र के लोगों को
बुड्ढा घोषित कर दिया जाता है ,
जो मान सम्मान उसे
अभी तक प्राप्त हो रहा था
उसमे धीरे धीरे कमी का अहसास
प्रत्येक मानव को हो जाता है ,
पर मेरे देश का प्रत्येक नेता
जितना अधिक बुद्धा होता जाता है
कहते हैं कि उसकी कार्य क्षमता का
उतना ही अधिक विकास होता जाता है ,
वास्तव में तो उसका प्रत्येक पग
कब्रिस्तान कि और जैसे जैसे जाता है
उतना ही अधिक लालच कुर्सी को
पाने का बढ़ता जाता है
पर ना मुझे  कुर्शी का लालच
और नाही नेता बन्ना चाहता हूँ
इसीलिए मैं स्वयं ही सोच समझकर
महामुर्खों कि सूची में शामिल हो गया हूँ |

Wednesday, June 12, 2013

अडवानी घटनाक्रम

साथियों की हठधर्मी देखकर ,अडवानी हुए काले पीले लाल
बिना विचारे बिना सोच के ,इस्तीफा भेज दिया तत्काल
अडवानी जी का इस्तीफा देखकर ,पार्टी में छाई घोर  निराशा
२०१४ के चुनाव के बाद राज करने की धूमिल हो गई आशा
बड़े बड़े दिग्गज नेता भाजपा के पहुंचे अडवानी जी को मनाने
भड़क उठे अडवानी जी उन्हें देखकर ,लगे फाड़ कर खाने
एक एक कर पैर पकड़ने लगे ,और लगे कसमे दिलवाने
पर अडवानी जी नहीं माने और लगे अकड़ दिखलाने
अंत में दादा जी आये और लगे उनको बार बार समझाने
उनके बलिदानों की   दी  दुहाई ,तब कहीं अडवानी जी कुछ जाने
सुबह को घर से निकला ,शाम को घर वापस आ जाए
अक्लमंद इंसान वाही होता है कह गये ऐसा सयाने 

Wednesday, April 24, 2013

सोनिया जी की सोच

सुरतिय ,नरतिय ,नागतिय ,अस जानत सब कोय ,
गोद लिए सोनिया फिरें ,राहुल सो सुत होय ]
कोप्टर ,कोलगेट ,२ जी ,३ जी कितने ही  घोटाला होय ,
मनमोहन से  पी ,एम् मिले ,सोनिया को डर काहे होय [
चाणक्य नीतियाँ अपनाकर ,धुरंधरों को मजा चखाया ,
जिसने भी चूँ चापड़ की उसे बाहर का रास्ता दिखाया ]

Saturday, April 20, 2013

"बलात्कारी को सजा देने का अधिकार "

अब ना तो भारतीय पुलिस 
और नाही न्यायपालिका
नाहीं क़ानून की पहेलियाँ
और नहीं भारत की सरकार ,
ये सभी हो गई असमर्थ
रोकने में वीभत्स बलात्कार
अब जनता को दीजिये मात्र
रेपिस्टों को सजा देने का अधिकार ,
कब तक भारत की नारी
ये अपमान सहती रहेंगी
कब तक मासूम कन्याएं
गुडिया जैसी सिसकती रहेंगी ,
रेपिस्ट को बधिया करके 
जनता के बीच छोड़  दीजिये
जिसके साथ किया है बलात्कार
उसे भी तो एक मौका दीजिये [