Monday, March 1, 2010

चित्रकूट वाले बाबा

आज चित्रकूट वाले बाबा के बारे में जो कुछ भी पदा उसे पढकर तो बाबाओं के प्रति नफरत सी पैदा हो गयी ,और ऐसा लगता है कि जैसे ये सारे बाबा भी कहीं ना कहीं उलटे टेड़े कार्यों में लिप्त हैं या होंगे क्योंकि कुछ ही समय में इन बाबाओं के पंडालों में लाखों कि भीड़ एकत्रित होने लगती है जब कि बड़े बड़े समाजसेवी और राजनेता तक भी यदि अपने आन्दोलनों के लिए भीड़ एकत्रित करनी चाहते हैं तो लाखों खर्च करने के बाद भी इतनी भीड़ एकत्रित नहीं कर पाते जब कि वो समाज के लिए भी कुछ ना कुछ कार्य अवश्य करते हैं जब कि ये बाबा जो करते है हैं वो तो हम सभी भली प्रकार जानते है और जगजाहिर है ,आये दिन इनके ऊपर स्त्रिओं भाग्त्नियों को छेड़ने के आरोप ,बलात्कार के आरोप ,स्त्रिओं को खरीद फरोक्त के आरोप ,इनके आश्रमों में ओर्तों के मरने या मारने के आरोप ,जादू टोना होने के आरोप ,जमीनी घोटालों के आरोप ,जनता को गुमराह करने के आरोप ,करोड़ों ,अरबों कि संपत्ति एकत्रित करने के आरोप ,जूते चप्पलों से ओरते के द्वारा पिटते हुए टी,वी,प़र दिखाए और लगाए जाते रहते हैं और इन चित्रकूट वाले बाबा ने तो अपने बदमाशी के गंग में ५०० के लगभग स्त्रिओं का पूरा जत्था और वो भी उनकी सप्लाई ५ स्टार होटलों तक में और एक एक रात के २०००० रूपये तक वसूले जाते हैं इस हिस्साब को अगर फैला कर देखा जाए तो बेहिसाब संपत्ति इस छोटी सी आयु में एकत्रित कर ली और प्रतिदिन लाखों स्त्री पुरुष श्रद्धा से उनके पैर छूते देखे जा सकते हैं ,इन साधू बाबाओं ने तो राजा महाराजा ,नेता राजनेता ,मंत्री और संत्री सभी को अपने से पीछे छोड़ दिया ,
आखिर हिन्दू जनता इनके भाषणों में या इनके शब्दजाल में अथवा इनके सम्मोहन में ,क्योँ और कैसे फंसती है ये कहते हैं की प्रत्येक स्त्री पुरुष को अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए ,यदि जो भी व्यक्ति गुरु नहीं बनाता तो उसको सही रास्ता नहीं मिलता या उसको भगवान् से मिलाने वाला रास्ता केवल गुरु ही बता सकता है और जिसने गुरु नहीं बनाया उसको मोक्ष भी नहीं मिलता ,परन्तु वो ये नहीं बताते की गुरु कैसा होना चाहिए ,वो कहते हैं की गुरु के केवल गुण देखो अवगुण मत देखो क्योंकि गुण देखने की परख तो तुम्हारे अन्दर है परन्तु अभी तुम इतने सक्षम नहीं हो की जिसको गुरु बनाना चाहते हो उसके अवगुणों की व्याख्या कर सको ,गुरु की भर्त्सना मत करो वरना आपको महापाप लगेगा और ८४ लाख योनिओं में भी उस पाप को धो नहीं पाओगे ,जहां भी गुरु के प्रवचन हो रहे हों चाहे वो स्थान कितनी ही दूर क्योँ ना हो गुरु के दर्शन करने अवश्य जाओ ,सभी जरूरी कारू छोड़ दो ,अगर आप वहां समय पे नहीं पहुंचे और आपको ये पता है की उस जगह पे प्रवचन हो रहे हैं तो आपका बड़ा गर्क हो जाएगा ,यानी के उनके ह्रदय में एक दर पैदा कर दिया और यदि आप समय पे सभी गुरु के प्रवचनों का पान करेंगे तो आपके सभी कार्य सही समय प़र सिद्ध हो जायेंगे ,परन्तु ये सब भ्रांतियां हैं ,भोले भाली जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का तरिका है
अब मजे की बात देखिये बाबा भी हम किनको कह रहे हैं ,इनमे बड़े बाबा तो २ या ४ ही होंगे जिनको हम बाबा भी कह सकते हैं क्योंकि वो सब अपनी उम्र से स्वास्थ्य से दुनिया दारी के चक्करों से ,कूच कुछ मोह माया से ,निचुड़ से चुके हैं क्योंकि इन्होने अपने जीवन के सभी भोग विलाश प्राप्त कर लिए ,परन्तु अधिकतर बाबा आपको २५ से ४० साल की आयु के मिलेंगे जिन्होंने ना तो ब्रह्मचारी जीवन ही और नाही गृहस्थ जीवन को पूरी तरह से निभाया है और नाही दौलत भूख इनका पीछा छोड़ रही है ,और नाही अहंकार और कामदेव इनका पीछा छोड़ रहे है खाने पीने की भगवान् की क्रपा से इनको कमी नहीं है और यदि कमी बची है तो केवल सुरा मोर सुन्दरियों की ,और सुंदरियां तो इनके पंडालोंमें आ ही जाती है और कोई ना कोई तो इनकी मीठी मीठी चुपड़ी ,लटकी झटकी बातों में आ ही सकती है वैसे भी इनको अपने पैर छुआने में मजा भी खूब आता होगा जबकि हमारे वेड शास्त्र कहते है की किसी भी स्त्री को अपने पति के सिवा और किसी के पैर नहीं छूने चाहिये प़र क्या कहे वहाँ तो मानो पैर छूने की होड़ लगी होती है और फिर दुआ और दवाई भी चाहिए तो उनको आश्रम में जाना भी पडेगा अब वहां क्या होगा वो तो खुदा ही जाने ,
और अब तो देश में इन बाबाओं की बाढ़ सी आई हुई है जो भी थोड़ा गुरु किस्म (चालाक)सा व्यक्ति है जो शब्द जालों के द्वारा जनता को फंसाना जानता है वो ही अब बाबा बनकर अपना बिजनेस शुरू कर देता है और इस क्षेत्र में आय भी इतनी ज्यादा है की इनको चेले चांटे ,पैसा कमाने के लिए पैसा लगाने वाले मुल्क के सभी कोनो खूब मिल जाते हैं अब ये सबसे कमाऊ बिजनेस गिना जाताइ है ,ये ऐसा बिजनेश है की हलद लगे ना फिटकरी रंग चोखा ,अब तो टी वी के चेनल्स प़र भी इन्ही की बाढ़ है ,अत:मेरी सरकार से प्रार्थना है की इनके हिसाब किताब मंगाकर उनकी पूरी जांच पड़ताल करे क्योंकि ये एक एक पंडाल प़र भी लाखों रूपये खर्च कर रहे ,
ये जनता का समय बर्बाद करते है ,यदि देखा जाए तो पर्यावरण भी दूषित करते है जहां इनके पंडाल लगते हैं वहा ट्रेफिक जाम हो जाता है पुलिश वालों का भी इंतजाम करना पड़ता है ये लोग देश की अर्थ व्यवस्था को भी नुक्सान पहुंचाते है क्योंकि देश का करोड़ों रुपया इनके आश्रमों में डेड मणि के रूप में पडा होता है







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