यदि संविधान के अंतर्गत कहीं प़र ऐसा प्रावधान है तो सरकार को संविधान में संसोधन करना पडेगा और करना भी चाहिए क्योंकि ये केवल एक कोमुनिटी का सवाल नहीं है बल्कि हमारे गाँवों का प्रत्येक व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति का है ,इन विचारों से सहमत है ,यद्द्य्पी हम जानते है कि मुसलमान जाति में केवल दूध का बचाव करके शादी की जाति है ,प़र आज वो भी समझ्न इ लगे हैं कि एक ही परिवार में शादी करने के क्या क्या दुष्परिणाम होते है इसलिए वो भी हमारा समर्थन करते हैं
सरकार को याद रखना चाहियें कि आज भी देश कि आबादी का ७० % हिस्सा गाँवों में ही रहता है ,इसलिए जो भी नेता .सामाजिक कार्यकर्ता ,या कार्यकर्त्री ,हमारे संस्कारों प़र कुठाराघात करेगा ,या हमको सबक पढ़ायेगा तो उनको भी मुहकी खानी पड़ेगी ,और सरकार को bhi परेशानियों kaa सामना करना पद सकता है
मेरे अपने विचारों me खाप का ye फैसला उचित है और main भी uskaa समर्थन करता hun
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