Thursday, February 27, 2014

व्यसनी व्यक्ति

तीन प्रकार के व्यक्ति ,शराबी ,जुआरी ,और वेश्यागामी जब अपने व्यसनों को खुले आम करने शुरू कर दें या सम्पूर्ण समाज के सामने स्वीकार कर लें तब वो पूर्णत: बेशर्म हो जाते हैं ,कहने का तातपर्य है कि उनको कोई लोक लाज या शर्म ह्या नाम की चीज उनके जीवन में नहीं रहती ,तब उनको कोई भी परिवार ,ग्राम ,समाज ,,नाते रिस्तेदार या देश का उच्च पदस्थ व्यक्ति भी उसको उस व्यसन से दूर नहीं कर सकता ,तो मेरी सभी भद्र पुरुषों को  सलाह है की वो सवयम उसका साथ छोड़ दें ,वरना वो व्यसनी व्यक्ति खुद तो डूबेगा ही साथ में और सभी को भी ले डूबेगा |

हम सभी कि फितरत

आज के समय में जब हमारी किसी से थोड़ी सी भी घनिष्ठता बढ़ जाती है ,या किसी के साथ ज्यादा उठना बैठना हो जाता है ,अथवा पडोसी होते हैं ,या आप किसी कि अटकी में काम आ जाते हैं ,अथवा किसी के साथ खाना खा लेते हैं अथवा हमप्याला हो जाते हैं ,तो उस वक्त उनके कुछ घिसे पिटे जुमले होते हैं जैसे कि ,अरे आप हुक्म तो करके देखिये ,जहां आपका पसीना गिरेगा वहाँ खून कि नदियां बहा देंगे ,आपके लिए तो हमारी जान हाजिर है ,आपने अपनी जिंदगी में बहुत देखे होंगे पर हम जैसा नहीं देखा होगा ,हमने एक बार जिसको दोस्त बोल दिया हम उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं बस हुकुम  करिये ,
परन्तु जब आपको जीवन में कभी उनकी जरुरत पड़ेगी तो वो आपकी कटी ऊँगली पर पेशाब भी नहीं करेंगे ,यदि उनको पता चल गया कि आपको उनकी जरुरत है तो आपको दूर से देखकर ही अपना रास्ता बदल लेंगे या फिर घर के दरवाजे बंद कर लेंगे ,या फिर कुछ ज्यादा समय बीत गया होगा तो पहचानने से ही मना कर देंगे |
वैसे भी प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में अधिकतर जरुरत मात्र रूपये ,पैसे कि ही पड़ती है ,किसी को घाटे के कारण,किए को चोरी के कारण ,किसी को फसल चौपट होने के कारण ,किसी को लड़की कि शादी के लिए कहने का तातपर्य ज्यादातर धन कि ही जरूरत पड़ती है ,जान कि तो जरूरत नहीं पड़ती ,पर यदि कोई संगी साथी आपकी मदद के लिए तैयार भी होगा तो वो चाहे कितने ही पैसे वाला हो एक बात ही कहेगा भाई रुपया पैसा तो है नहीं पर तुम्हारे लिए जान हाजिर है ,अब आप उसकी जान लेकर भी क्या करोगे |

Wednesday, February 26, 2014

किसी व्यक्ति के साथ विश्वासघात करने से तो अच्छा है क्यों ना उस व्यक्ति को विष ही दे दिया जाय ,ताकि वो व्यक्ति कम से  कम आराम से मर तो सके ,क्योंकि विश्वासघात से घायल व्यक्ति ना मर पाता है और नाही जीवन जी पाता है |

Friday, February 21, 2014

प्रतीक

नेमिषारण्य में
नैसर्गिक आनंद की
अनुभूति
ह्रदय पटल पर
उक्रित चित्रकारी की
वक्रित लकीर
मनोमालिन्य पर
सानिंध्य हेतु छाती
सुगंधित समीर
कैनवास पर थिरकती ,
नृत्य करती ,मुस्कराती
अधबनी तस्वीर
जिस्किम समीपता से
सौंदर्यता से
ओट प्रोत होता प्राचीर
धारा को भी
सुशोभित करता
स्वेदाम्बु होता अधीर
पूर्णिमा को
शशि को सपर्श
करने हेतु
प्रयासरत क्षीर नीर |


Tuesday, February 18, 2014

केजरीवाल का जहाज आखिर क्योँ डूबा ?

दिल्ली की जनता के गले में ये बात नहीं उतर रही की जो सरकार दिल्ली की जनता ने बड़ी ख़ुशी ख़ुशी केजरीवाल & पार्टी यानि की आम आदमी पार्टी को २८ सीट पर विजय श्री दिलवाई थी, और ख़ुशी ख़ुशी केजरीवाल जी को  कोंग्रेस ने अपना  समर्थन देकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनवाई थी ,और उस वक्त केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता से घूम घूमकर पूछा था की सरकार बनाये या नाबनाए तो दिल्ली की ८०%जनता ने कहा की सर्कार बनाओ ये शब्द हैं खुद केजरीवाल जी के ,बस यहीं से षणयंत्र शुरू हो गया जो की भाजपा नार कोंग्रेस का सम्मिलित था ,जिसे केजरीवाल जी ने नोट नहीं किया और उन्होंने समझा की दिल्ली की ८०% जनता उनके साथ है ,यदि वो इसको नोट करके विचार करते तो केजरीवाल जी अपनी सरकार ही नहीं बनाते |
वास्तविकता ये थी की दिल्ली  की ३४% जनता ने आम आदमी पार्टी को अपना वोट दिया था और जब केजरीवाल जी ने सरकार बनाने को पूछा तो ८०% जनता ने कहा की सरकार बनाओ अब आप सोचिये की की ४६%लोग अन्य कौन थे जो सरकार बनाने को कह रहे थे ,तो भाइयो ये ही लोग भाजपा औरकोंग्रेस के थे जिनको दोनों पार्टी ने पहले ही पढ़ा दियाथा ,यदि उस समय केजरीवाल जी ये पहले ही समझ लेते की उन्हें वोट तो मात्र ३४%ने दिया है तो सरकार कैसे बना सकते हैं ,पहली गलती थी |
दूसरी गलती इनके पास कोई भी समझदार या तजुर्बेकार सलाहकार नेता नहीं था और जो सलाहकार थे वो जी हजूरी वाले ही थे और नेतागिरी के नाम पर निल थे |
जिसके पास अच्छे सलाहकार नहीं होते वो तो डूबते ही हैं चाहे व्यापारी हों या नेता |
जो इनके सपोर्टर या समर्थक कोंग्रेसी थे उनसे इन्होने न कुछ सीखा और नाही कुछ सीखना चाहा ,उनसे तो इन्होने पूछा तक नहीं |
यदयपि यदि ये पूछते भी तो वो इनको सही सलाह देते इसकी भी कोई गारंटी नहीं थी फिर भी पूछने में कोई बुराई नहीं थी |
इनके अलावा भी और बहुत से वयोवृद्ध नेता तजुर्बेकार  थे जो दिल से केजरीवाल जी के साथ थे और सलाह मश्वरा भी देना चाहते थे पर कोई उनसे पूछता तो सही |,काफी लोगो ने आपको फेसबुक पर भी लिख लिख कर भेजा पर आपने किसी को भी कोई जवाब नहीं भेजा |
कुछ आपके अंदर ये अहंकार की आप बहुत ही समझदार व्यक्ति हैं शायद भारत में आप जैसा समझदार कोई व्यक्ति है ही नहीं ,अपने साथियों को आपने कहा अहंकार मत करना पर आपके अंदर अहंकार कूट कूट कर भरा था ,ये ही वास्तविकता थी
दुसरे जिन लोगों के हाथ से आपने सत्ता छीनी वो आपको भला कैसे बख्सते ,या जो लोग आपको समर्थन दे रहे थे आपने सभी जरूरी काम छोड़कर आप उनके पीछे हाथ धोकर पद गये यानि की जिस थाली में खाना उसी में छेड़ करना ,जिस L G से आपको काम पढ़ना था आप उसे कोंग्रेस का एजेंट कह रहे हैं ,
बार बार आपने मजमे लगाने शुरू कर दिए जैसे की tel बेचने वाले या मंजन बेचने वाले लगाते हैं |
और फिर आपने एकदम ही जन  लोकपाल बिल ले आये उसे  आप पास कराना चाहते थे सोचो जिनको आप परेशान कर रहे है न वो आपको भला कैसे जनलोकपाल बिल पास काने देते |
फिर एकदम ही बिना सोचे समझे दिल्ली सरकार का त्यागपत्र ,आपने उस जनता से भी पूछना ग्वेवारा नहीं समझा जिसने आपको दिल्ली की गद्दी पर बिठाया 
शायद आप नहीं जानते जो चुनाव अंदर बैठकर लड़े जाते हैं उनका हश्र कुछ और & जो बाहर से लड़े जाते हैं उनका हश्र कुछ और ,इसलिए आप अब लोकसभा चुनाव का हश्र देखना और जनता का भी स्व्भाव देखना ,यदि हो सके तो दिल्ली की जनता को एक बार फिर अपनी बनाने की सोचो ,एक कहावत है "तेते पैर पसारिये ,जैती लम्बी सौर "
आये दिन आपके मंत्रीयौ के  जो दिल में आया बोल दिया नए नए पंगे लेने शुरू कर दिए  |कभी पुलिस से तो कभी चेनल वालों से ,
आपकी सबसे बड़ी गलती थी आपने २८ सीट होने के बावजूद अपनी सरकार बनाई आखिर क्योँ ? जबकि भाजपा ने ३२ सीट होने पर भी सरकार नहीं बनाई क्योंकि वो भली भांति जानते थे की हश्र क्यां होगा 
और आपने समर्थन भी उस पार्टी का लिया जिससे आप लड़ रहे हैं जहां करप्शन ही करप्शन है ,आप साँपों से कैसे उम्मीद करते हो की वो जहर नहीं उगलेंगे |

Friday, February 14, 2014

केजरीवाल जी का सबसे बड़ा फायदा देश को हुआ है वो है उनसे प्रेरणा लेकर आज भारत में हजारों नहीं बल्कि लाखों केजरीवाल बन गये और पैदा हो गये और पैदा होते रहेंगे और जो मशाल भर्ष्टाचार को समाप्त करने के लिए जलाई है वो कभी भी बुझेगी नहीं और आज नहीं तो कल जितने भी भ्रष्टाचारी देश में कुकुरमुत्ते कि भांति पैदा हुए या बन गये हैं ये एक दिन गधे के सर से सींग कि भांति समाप्त हो जायेंगे ,जो आज उनपर कुत्तों कि भांति भोंक रहे हैं ये सब भौकते रह जायेंगे और केजरीवाल नाम का हाथी मस्ती से घूमता निकल जाएगा और ये सब अपने बचाव के लिए कीड़ों कि भांति बिलबिलाएंगे ,भला करेंगे भगवान् |
क्या वास्तव में भाजपा के एम् एल ऐ लेबल के कुछ नेताओं को व्यवहारिक ज्ञान नहीं है और उनका बोलने का तरीका ,बातचीत करना बहुत ही असंगत और बेहूदा और अक्खड़पन लिए होता है जिसके अंदर  गालियों का पुट भी होता है ,आज १४.२ .१४ को जो दिल्ली विधान सभा में भाजपाइयों का तांडव नृत्य देखने के काबिल था जिनमे साहिब सिंह चौहान कि भाषा तो महागन्दी थी और चीखपन लिए थी ,दूसरी हर्षवर्धन जी कि जो कि पार्टी अध्यक्ष भी हैं और आदरणीय नंदकिशोर जी ने तो हद ही कर दी उन्होंने तो केजरीवाल के १ विधायक को चोर तक कह दिया और भी काफी कुछ कहा जैसे कि ऐसे तो उनकी जेब में कितने ही पड़े होते हैं ,और भी कई विधायक भाजपाई थे जो बदतमीजी से पेश आ रहे थे जिनका नाम हैम नहीं जानते इसके अलावा में पहले भी लिख चुका हूँजिनमे पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ,जॉली जी और पूर्व मेयर ,ये सभी आज तक आम आदमी पार्टी को बुरी तरह कोसते रहे हैं ,
पर जिस भाषा का प्रयोग अभी तक ये भाजपाई जनता के बीच ,चैनलों पर और विधान सभा में बोलते रहे हैं उसका हर्जाना तो पब्लिक इनको चुनाव के समय में अवश्य देगी ,और भाजपाई शायद गलत फहमी के शिकार हैं अगली सरकार इनकी आदतों के कारण ही नहीं बन्ने वाली इन्होने ने तो आदर्शों कि धज्जियां ही उड़ा दी ,ये सबकुछ जनता देख रही है ,हकीकत तो यही है कि ये कार्यकर्ता या नेता तो नरेंद्र मोदी जी कि म्हणत पर भी पानी फेर रहे हैं |

Thursday, February 13, 2014

देश कि जनता ये जानना चाहती है कि जनरल लोकपाल बिल पास करने में भाजपा और कांग्रेस को प्रॉब्लम क्या है जबकि ये बिल तो भ्रष्टाचार के ही खिलाफ है कोई केजरीवाल जी इन दोनों पार्टीज कि ईमानदारी तो छीन नहीं रहे और नाहीं कोई इनकी प्रॉपर्टी छीन रहे फिर क्या परेशानी है जबकि भ्रष्टाचार तो कांग्रेस भी और भाजपा भी दूर करना चाहती है जब तीनो पार्टीज के मुद्दे पर समान विचार हैं तो प्रॉब्लम क्या है ,मात्र अहंकार ,या छोटा बड़ा या फिर ये दोनों पार्टी भ्रष्टाचार दूर करना ही नहीं चाहती ,मात्र दिखावा करती हैं और जनता को बेवकूफ बना रही हैं ,पर जनता है जो सबकुछ जानती है |
मित्रो क्या  आप जानते हैं कि  कल अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली कि केजरीवाल सरकार को गिराकर भाजपा और कोंग्रेस पार्टीज दोनों ने मिली जुली सरकार बनाकर विधान सभा में कई क़ानून भी पास कर लिए हैं और विधान सभा अध्यक्ष को भी हटा दिया है ,है ना मजे कि बात ,आपको पता भी नहीं चला और दोनों ने मिलकर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार भी बना ली और केजरीवाल जी को भाजपा और कोंग्रेस दिल्ली परदेश अध्यक्षों ने सिन्दूर और चूड़ियाँ भी भेंट कीं ,क्योंकि वो दिल्ली सरकार को चलाने में असमर्थ रहे ,यदि अभी तक इन दोनों कि सरकार होती तो दो महीने में दिल्ली कि सभी समस्याएं खत्म कर देते जैसा कि वो पिछले १५ सालों से करते आ रहे हैं ,इन दोनों पार्टीज को इतना क्रोध आया कि उन्होंने केजरीवाल जी का माइक भी तोड़ डाला ,
पर यदि भाजपा और कांग्रेस ने मिलना ही था तो फिर पहले ही इन्होने मिलकर सरकार क्योँ नहीं बनाई ,बीच में क्योँ केजरीवाल जी को लाये जिनको राजनीति का अनुभव ही नहीं था ,बेकार में बेचारे को बेइज्जत किया ताकि दोबारा वो या कोई भो बीऊरोक्रेट राजनीति का नाम ही ना ले ,केवल नौकरी ही करता रहे ,देश कि सेवा करने का मौका तो तो देश के भ्रष्टाचारियों को ही मिलना चाहिए |

वचन ,प्रतिज्ञा

यदि भीष्म पितामाह अपनी पिता शांतनु सेन कि दूसरी पत्नी से अपनी शादी ना करने कि प्रतिज्ञा ना करते तो आज प्रत्येक प्रतिज्ञा करने वाले से यह ना कहा जाता कि क्या तुम्हारी  ये भीष्म प्रतिज्ञा है |
यदि श्री राम चन्द्र जी अपने माता पिता के प्रत्येक वचन का पालन  ना करते या सभी मर्यादाओं का पालन ना करते तो तो मर्यादा पुरुषोत्तम ना कहलाते और नाही मर्यादा पुरुषोत्तम जैसी कहावत बनती |
यदि रावण के भाई विभीषण रावण  कि नाभि में अमृत होने का राज श्री रामचंद्र जी को ना बताते  तो ना तो रावण का वध ही होता और नाहीं ये कहावत बनती कि "घर  का भेदी लंका ढाये "
यदि कुम्भकर्ण जी रात दिन सोता ही नहीं रहता तो जो आदमी ज्यादा से ज्यादा सोता है तो लोग उसे कहने लगते हैं कि वो तो "कुम्भकर्ण है क्योंकि वो कुम्भकर्ण की भांति सोता ही रहता है इसलिए ये कहावत बनी |
भाजपा ने भी जनता को शायद बचन दे रखा है कि" कसम राम कि खायेंगे पर मंदिर वहीँ बनाएंगे  "इसलिए जनता उनको भी बार बार चुनकर लोकसभा में भेज ही देती है ,कितनी भोली जनता है मेरे देश की,भगवन के नाम पर कुछ भी करने को तैयार |

Wednesday, February 12, 2014

कुछ बनाने हेतु बहुत कुछ करना पड़ता है

यदि राजा  हरिश्चंद्र डूम के शमशान घाट में नौकरी ना करते और अपने लड़के के मरने पर अपनी पत्नी से शमशान कि फीस ना वसूलते तो तो "सत्य वादी हरिश्चंद्र" ना कहलाते  |
यदि महाराणा परताप जंगल में रहकर सवयम  और अपने परिवार को घास कि रोटियां ना खिलाकर अकबर से लोहा ना लेते तो आज राजपूतों कि शान महाराणा परताप ना कहलाते |
यदि गांधी जी लंगोटी पहिनकर भारत कि जनता का नेतृत्व ना करते तो ना भारत आज आजाद होता और ना आज महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता कहलाते और ना बापू के नाम से जाने जाते |
इसी तरह यदि अरविन्द केजरीवाल  दिल्ली में घूम घूम कर  आम आदमी बनकर  झाड़ू ना चलाते तो आज दिल्ली के मुख्य मंत्री ना बने हुए होते ,और अपनी अपनी ना चलाते हुए होते |
तो भाइयो कुछ बन्ने के लिए कुछ करना और बहुत कुछ सहना और बहुत कुछ सुनना ,और बहुत बार मरना भी पड़ता है ,खाली गाल बजाने से कुछ भी नहीं होता |

Tuesday, February 11, 2014

भाजपा छुपे रुस्तम एक और स्कैम उनके नाम था

जब भाजपा कि केंद्र में सरकार थी तो इन्होने ९ नवरत्नों में से एक नवरत्न" इंडियन पेट्रोकेमिकल कारपोरेशन "रेलीएन्स इंडस्ट्रीज ,मुकेश अम्बानी को बेचा गया था जबकि जब कि ये प्लांट उस समय भी अच्छा खासा प्रोफिट दे रहा था फिर भी बेचा गया और वो भी काफी सस्ते दामों में ,मेरे विचार से 5000karod का प्लांट लगभग ४००० करोड़ में बेचा गया और वो भी इसलिए क्योंकि उस समय रेलीएन्स इंडस्ट्रीस का रेलीएन्स पेट्रो आने वाला था और आई पी सी एल को खरीदने के बाद इनकी मोनोपोली हो गई और तभी से आज तक प्लास्टिक इंडस्ट्री सुफ्फेर कर रही है उस समय अरुण शोर्य पेट्रोलियम मिनिस्टर थे उनके मना करने के बावजूद ये प्लांट आदरणीय वाजपेयी जी के कहने पर अम्बानी ग्रुप को बेच दिया गया जिसमे कि लगभग ३५० करोड़ रुपया सवर्गीय प्रमोद महाजन जी के द्वारा लिया गया ,यदि छानबीन कि जाय तो सबकुछ सामने आ जाएगा

Monday, February 10, 2014

भानुमति का कुनबा

कहीं की ईन्ट कहीं का रोड़ा
भानुमति ने कुनबा जोड़ा
जी हाँ पर अब ये बदल कर हो गया है ,
कहीं कि ईन्ट कहीं का रोड़ा
केजरीवाल ने कुनबा जोड़ा
परन्तु भानुमति का कुनबा तो फिर भी काफी समय चला था और तब भी ये कहावत बन गई पर केजरीवाल जी का कुनबा तो १ महीने में ही टूटना फूटना शुरू हो गया,  ये कैसी विडंबना है ,जो लोग जब आम थे  तो केजरीवाल जी कि हर बात को १ मत से हाँ कहते थे और जैसे एम् एल ऐ बने तो गर्दन हिलने लगी ,कोई कहता है वो डिक्टेटर हैं ,कोई कहते है जो चाहते  हैं वो ही होता है ,कोई कहता है ,वायदे पूरे नहीं कर रहे ,कोई कह रहा है कुर्सी के भूखे हैं कोई कहता है बिजली पानी भूल गये हैं ,कोई साथ छोड़कर भाग रहा है |
और राजनितिक पार्टी तो मानो हाथ धोकर केजरीवाल जी के पीछे पड़ गई हैं जैसे कि उनको और कोई काम ही  नहीं हैं ,रात को कसीदे पढ़ते है मुहावरे याद करते हैं और दिन में सुनाते हैं जितना झूठ बोलाजाय बोलते हैं कभी किसी काम के लिए हाँ तो कभी उसी काम के लिए ना करते हैं मानो  उनको पता ही नहीं है कि वो क्या बोल रहे हैं और खासतौर से कुछ भाजपा नेता जिनको बोलने तक का सलीका भी नहीं है जिनमे  विजेंद्र गुप्ता , जॉली ,हर्षवर्धन आदि इनलोगों ने अपने  बड़े नेताओं राजनाथ जी ,सुषमा जी ,जेटली जी अडवाणी जी से ये भी नहीं सीखा कि बातें कैसे कि जाती हैं ,ये लोग तो केजरीवाल जी के पीछे ही पड़े हुए हैं ,कोंग्रेसी ,सिवाय लवली और दिग्विजय सिंह के अलावा कोई भी कुछ नहीं कहता और ये लोग भी बड़े सलीके से बात तो करते हैं जबकि केजरीवाल जी ने मुख्यतया कोंग्रेसियों कि ही पूछ पर पैर रखा है फिर भी उनमे संयम है लगता है वो खानदानी नेता हैं |
ऊपर से बिन्नी जी ,टीना शर्मा अपने ही घर में कूमल कर रहे हैं या फिर भाजपा के गुर्गे बन रहे हैं ,एक शोएब  इकबाल जी है उनका भी मुझे कुछ समझ नहीं पाया कि वो आखिर चाहते क्या हैं वैसे उनकी इच्छा लोकसभा से खड़ा होने कि है और वो जीत भी सकते हैं ,तो फिर क्यों ना उनको आप पार्टी से क्योँ ना ......................
आखिर ये लोग केजरीवाल जी कि मुसीबतें बढ़ाते ही जा रहे हैं लगता है कि ये  भ्रष्टाचार को दूर नहीं करने देंगे

Sunday, February 9, 2014

गरीब और शरीफ

जी हाँ एक कहावत है "गरीब कि जोरू सबकी भाबी "
इसके साथ कुछ और जोड़िये "शरीफ कि जोरू सबकी हाँ जी "
जी हाँ इसका मुख्य मकसद हैं कि आज हमारेना  देश में ही नहीं अपितु संसार के सभी देशों में गरीबों और शरीफ आदमियों पर ही जुल्म होते हैं परन्तु हमारे देश का ग्राफ कुछ ज्यादा ऊँचा है ,हमारे देश में हमारे समाज से लेकर ,यहाँ कि पुलिस ,नेता ,राजनेता ,सरकारी अफसर यहाँ तक कि जुडिशियरी भी उनके साथ न्याय नहीं करती ,उनको सभी जगह प्रताड़ित ही होना पड़ता है ,धक्के खाने पड़ते हैं लज्जित होना पड़ता है परन्तु कोई भी उनको सांत्वना तक भी नहीं देता ,है ना अन्याय कि चरम सीमा ,और जब कुछ भी किसी भी चरम सीमा को पार कर जाता है तो फिर आता है परिवर्तन ,परिवर्तन ,जैसा कि अभी हाल में ही हुआ कि एक आम आदमी को दिल्ली का मुख्य मंत्री बनाकर जनता ने आप सभी के सामने परोस दिया ,है ना aakhir grib और शरीफ आदमी कि जीत ,बड़े बड़े धुरंधर अमीर नेता अरबपति मुख्यमंत्री ,अध्यक्ष ,अहंकारी धुल धूसरित हो गये |


Thursday, February 6, 2014

संदेश

वो माँ बाप बड़े ही भागयहीन होते हैं ,जो अपने बच्चों को लाड प्यार में इतना बिगाड़ देते हैं कि उनके प्रत्येक नैतिक और अनैतिक आवश्यकताओं कि पूर्ती करते चले जाते हैं ,यानि कि जो भी वो मांगते हैं उनको देते चले जाते हैं और उनकी प्रत्येक गलत और ठीक बात पर भी यकीन कर लेते हैं उनकी शिक्षा और भविष्य का भी ख्याल नहीं रखते उनके दोस्त और मित्रों के बारे में भी जानकारी नहीं लेतेऔर नाही खुद अपने बच्चों को समय दे पाते  जिसका परिणाम होता है कि एक अच्छा ख़ासा बच्चा गुंडा ,अपराधी जेबकतरा और बदमाश बन जाता है जिसका दुष्परिणाम होता है कि अभिभावको का भी बुढ़ापा खराब हो जाता है और फिर अपने सीने पर हाथ रखकर रोते हैं |
अत:मेरी सभी मित्रों से प्रार्थना है कि अभी से आज से ही अपनों बच्चों को समय देना शुरू करें और उनकी सभी गतिविधियों पर ध्यान अवश्य रखें ताकि उनका भविष्य सुन्दर और सुगढ़ हो ,धन्यवाद सहित

Tuesday, February 4, 2014

आखिर हम ऐसा क्योँ करते हैं

आखिर हम क्योँ ,किसी के भी मध्य जाकर
बिन बुलाये अतिथि बन मध्यस्थता करते हैं
किसी कि भी सम्पूर्ण बातों को सुने बिना
उसे रोकने का प्रयास करने क्योँ  लगते हैं
अच्छे कार्य करने वाले कि टांग क्योँ खीचते है
खुद कुछ कर नहीं सकते वाणी का प्रयोग करते हैं
भले बुरे का ज्ञान नहीं मुंह में आया बक देते हैं
भली बाते करने वाले से झक झक करने लगते हैं
आता जाता कुछ नहीं ज्ञान का प्रकाश देने लगते हैं
मुंह में राम बगल में छुरी ले बाबा बने बैठे हैं
राजनीती आती नहीं पर भारत में नेता बने बैठे हैं
खरबों का घपला कर स्विस के साहूकार बने बैठे हैं
घर कि माँ, माँ नहीं,पार्टी में माँ माँ चिल्लाते रहते हैं
सगे भाई को भाई नहीं सौतेले को भाई भाई कहते हैं
जब सूपड़ा साफ़ हो गया तो ऐड पे एड देते हैं
माँ बेटे दोनों मिलकर अपनी किस्मत को रोते हैं
मंदिर का नाम ना लेते चुनावों में शोर मचाते हैं
मंदिर अयोध्या में ही बनाएंगे कसम राम की खाते हैं |