Saturday, March 13, 2010

सत्यमेव जयते लिखने से कुछ नहीं होगा

सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों में सुधार लाने हेतु एक नया फरमान ,लिखकर लगाओ "सत्यमेवजयते"ताकि अधिकारी सत्य के मार्ग प़र चलें और सत्य बोले .काम भी खूब करें ,रिश्वत भी ना लें ,समय प़र आये जाएँ ,जनता के साथ म्रदुल व्यवहार करें ,अपने सभी कर्मों का पालन भलीभांति करें ,ये सारे कार्य आज से नहीं बल्कि जब से देश आजाद हुआ है तभी से आज तक ना जाने कितने नेताओं के जैसे की गाँधी जी ,सुभाष ,डॉ राजेन्द्र प्रसाद ,इंदिरा गांधी ,राजिव गाँधी ,स्लोगन सत्यमेव जयते ,हमें राष्ट्र की सेवा करनी है ,रिश्वत लेना और देना ,दोनों गलत हैं ,इस प्रकार सभी के फोटो और स्लोगन लिखकर लगे प़र नतीजा वोही ढाक के तीन पात ,
कल ही में एक सरकारी दफ्तर में गया ,तो वहाँ के अधिकारी अपने मोबाइल फोन प़र चिपक रहे थे ,और में आधा घंटा से वहाँ बेठा था जब भी में कूच कहना चाहता तो वो २ मिनट के लिए कह देते ,और फोन प़र पता नहीं क्या क्या झूठ पे झूठ बोले जा रहे थे ,बड़ी मुश्किल से मेरी और मुखातिब हुए और बोले बताओ क्या काम है ,मैंने अपना काम बता दिया तो बोले आज नहीं कल आ जाओ आज काम बहुत है ,मैंने कहा साहब मैं बहुत दूर से आया हूँ क्रप्या आज ही करा दीजिए आपकी मेहरबानी होगी ,अरे मेहरबानी तो आप करोगे ,चलो करता हूँ अच्छा ,सुविधा शुल्क निकालो ,मैंने कहा ये सब क्या होता है ,अरे समझा करो ,बोले देखो बोर्ड प़र क्या लिखा है ,वहाँ तो लिख रहा है किसी को भी रिश्वत ना दें इसलिए हम रिश्वत नहीं लेते प़र सुविधा तो आपको देंगे ,इसलिए सुविधा शुल्क नाम रख लिया
अच्छा कितना देना है ,चलो १० गांधी जी दे दो ,क्या मतलब ,यार मतलब नहीं जानते कमाते तो हो पेटी .और खोके ,और १० गांधी का मतलब नहीं जानते अरे भाई इसका मतलब है वो बड़े नोट जिनपे गांधी जी छपे हों ,मैंने कहा सर आप तनखा भी तो लेते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं प़र उसमे होता क्या है भाई रोजाना हारा थका जाता हूँ तो २ ,४ पेग भी पीने होते है और फिर मुर्गमुसल्लम भी तब कहीं सारे दिन की थकान उतरती है ,प़र सर यहाँ तो सारे दिन आप मजे से बैठे ही तो रहते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं एक दिन बैठकर दिकाओ तो जाने आप तो आते पीछे हो और भागने की कोशिश पहले करते हो ,फिर भाई ऊपर वाले भी हैं सन्ति से मंत्री तक पैसा भेजना पड़ता है ,इन स्लोगनों और फोटो सोतो टांगने से कुछ भी नहीं होता ,सारे काम पैसे से ही होते हैं ये तो हम टांग लेते हैं हमारे दांत तो भाई खाने के और दिखाने के और है ,तो भाई समझ गए ना इनसे यु,पी हो या हिन्दुस्तान कोई फर्क नहीं पड़ता

No comments:

Post a Comment