Friday, February 19, 2010
हमारा आत्मविश्वास
मैं और मेरी बेटी अरुणा शंकर रोड के बियाबान जंगल में से गुजर रहे थे उस समय हमारे पास कोई वेहिकल भी नहीं था उस समय हम दोनों में दूरी लगभग ५० मीटर होगी अचानक एक बब्बर शेर झाड़ियों के बीच में से निकल कर मेरे सामने लगभग ४ मीटर की दूरी प़र आ जाता है परन्तु उसे देखकर मुझे डर बिलकुल भी नहीं लगा और मैंने यह सोचना प्रारम्भ कर दिया की उससे बचाव कैसे किया जाय ,अचानक उस शेर ने इतनी जोर से पेशाब आ किया की मेरी एक टांग उसके पेसाब से भीग गयी तभी मुझे बचपन की बात याद आई की अगर कोई शेर पेशाब करता है और उससे किसी का शारीर या उसका कोई अंग भीग जाता है तो वो फिर अपने शिकार को नहीं छोड़ता जैसे ही मैंने ऐसा सोचा तो मुझे अरुणा का ध्यान आ गया तो मैंने अरुणा की और देखकर कहा की वो भाग जाए क्यूंकि ये शेर अब मुझे तो छोड़ेगा नहीं परन्तु अरुणा वहाँ से नहीं गयी और तभी उसके पास की झाड़ियों में से एक शेर और निकल कर आ गया ,मैंने अरुणा को कहा की शेर से बचकर एक साइड में हो jaay
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