Tuesday, March 23, 2010

तारीख २३\ ३ \२०१० मंगलवार

आज हाई कोर्ट में हमारे उस केस की तारीख थी जो की प्रेम ने दिल्ली विकाश प्राधिकरण ,और उपराज्यपाल प़र डाला है की मुझे बिना सुने बी ३२२ सरस्वती विहार की कन्विंस डीड मधु चौहान के नाम में कर दी गई ,ये एक रिट है ,जिसकी अभी तक कम से कम ४ तारीख तो पद चुकी हैं और ५ वि तारीख १३ जुलाई आदरणीय जज जी .एस ,सिस्तानी जी ने दे दी है जिसमे मधु चौहान ने अपना जवाब अब से काफी समय पहले दे दिया ,और डी,डीऐ ने अभी ३ दिन पहले दिया था ,इसके बावजूद बिना किसी बात के उन्होंने मधु चौहान प़र ३००० रुपया की पेनाल्टी लगा दी ,शायद ये उस बात का परिणाम है कि एक अग्रिम जमानत कि तारीख पे जब सस्तानी साहब ने कुछ उलटा किया था तो मजबूरी में उनके सामने कोर्ट में के ,पी, को अपना मुंह खोलना पडा था ,और सस्तानी साहब कि कम्प्लेंट भी हाई कोर्ट के चीएफ़ जस्टिस से कि थी ,तो उन्होंने बिना सोचे समझे ये सब कर दिया और उन्होंने ये कन्फर्म भी किया कि क्या ये वो ही केस है जिसमे भाई भाई का कुछ मामला है ,इस तरह उन्होंने ४ माह के इन्तजार को मिनटों में निबटा दिया और फाइल आगे बढ़ा दी ,अब आप सोचिये कि अगर इसी तरह से फाइल आगे बढती रहेंगी और जज वकील कि सुनेगा नहीं तो न्याय कहाँ से मिलेगा ये मैं सब इस लिए लिख रहा हूँ कि ये सब कुछ हमारी आँखों के सामने हो रहा है ,मेरे विचारों में तो शायद ही ये कोई केस निपटाते होंगे प्रितिदीन ,लोग आते हैं चले जाते हैं वकीलों के मजे हो रहे है ,कहावत है कि अंधेर नगरी चौपट राजा ,टेक सेर भाजी टेक सेर खाजा "

2 comments:

  1. Hamari qaanoon vyavthame amulagr badal zaroori hai..warna to ham atank se bhi nahi lad payenge!Itne loop holes hain!

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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