Monday, March 8, 2010

आज महिला दिवस है

आज के दिन को महिला दिवस नियुक्त करने का ओचित्य है कि हमारी देश कि महिलाओं को जागरूक किया जाए कि उनके क्या क्या अधिकार है और उन अधिकारों को प्राप्त करने के लिए उनको क्या क्या करना है यदि अपने अधिकारों कि प्राप्ति के लिए उनको संघर्ष करना है तो ख़ुशी ख़ुशी करना चाहिए चाहे वो किसी भी लेबल का हो यदि उनको समाज और सरकार से कुछ पाना है तो उन्हें संघर्ष करना पडेगा क्योंकि सदैव से ही समाज और सरकारें उनका शोषण करती आई हैं और उन्होंने महिलाओं का इतना शोषण किया है कि आज पुरुषों को लगता है कि महिलाओं का शोषण तो पुरुष का जन्म सिद्ध अधिकार है ,और महिला तो ये समझती आ रही हैं कि पुरुष जो कह रहे है हैं ,जो दे रहे हैं ,समाज जो दे रहा है ,सरकार जो देरही है वो ही सब कुछ है परन्तु ऐसा नहीं है ,आज महिलाओं को दासी स्वरूपा माना जाता है ,जब की हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे ही हैं प़र जब भी जहां भी उनको सम्मान देने की बात आती है वहीँ प़र उनको कनखियों से देखा जाता है ,मजाक उड़ाया जाता है ,कहते हैं पद लिखकर क्या कलक्टर बनेगी ,ओरत तो घर में ही चूल्हा चौका सभालती अच्छी लगती है ऐसी बातें तो कोई भी अनपढ़ गंवार व्यक्ति ही बोल देता है ,और आज राजनीति में ३३% महिला आरक्षण की बात आई है तो तीन पार्टियां महिला बिल ही पास नहीं होने दे रही क्योंकि उनको ऐसा लगता होगा की संसद में ,विधान सभाओं में महिलाओं का वर्चस्व स्थापित ना हो जाए ,और ये तो जब है की अभी महिलाओं ने ५०%आरक्षण नहीं माँगा ,और जब इतना आरक्षण मांगेंगी तो सोचो की क्या हंगामा होगा जितना हंगामा आज हुआ है राज्यसभा में वो तो कुछ भी नहीं है ,प़र कोई बात नहीं आज नहीं तो कल तो ३३%हो ही जाएगा वैसे लोकतंत्र को जीवित रखने हेतु एक अच्छा कदम है

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