Saturday, February 20, 2010

जब मैं पकिस्तान गया

मुझे पाकिस्तान जाने का सोभाग्य प्राप्त हुआ और वो भी बस के द्वारा ,बस से उतर कर जब हम बोर्डर लाइन प़र पहुंचे तो वहाँ प़र हमारे देश के सैन्य अधिकारियौं के द्वारा फूल मालाओं सहित हमारा स्वागत हुआ ,बहुत अच्छा भी लगा उन्होंने हमारे आवश्यक कागजात चेक करके हमको पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया ,हम सब सोच रहे थे की अब यहाँ के अधिकारी भी हमारा स्वागत उसी तरह से करेंगे जैसे की हमारे देश के अधिकारियौं ने किया था ,परन्तु हुआ ठीक उलटा ,उन लोगों ने हमको एक कांटेदार बाड़े जिसके चारों और लोहे के तार लगे थे ,धकेल दिया और हमसे कहा गया की अन्दर दफ्तर में जाकर अपने कागजात चेक कराओ और जब उनकी आज्ञा मिले तो पाकिस्तान के अन्दर प्रवेश करना .वहाँ के अधिकारियों ने हमको शाम तक किसी को भी बाड़े से बाहर नहीं निकाला भूख और प्यास से हमारा हाल बुरा था ,प़र किसी ने भी हमसे पानी तक नहीं पूछा ,मैं किसी प्रकार एक और यात्री के साथ छुपकर बाड़े से बाहर निकल कर उनके दफ्तर में गया तो वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं
था अब मैं केवल अकेला ही रह गया था हमारे बाकी साथी पीछे ही छूट गये थे वहाँ के अधिकारियों के नकारात्मक रवैये को देखकर मेरा बुरा हाल हो रहा था ,वो लोग मुझे ऐसे घूर घूर के देख रहे थे जैसे की मैं कोई आदमी ना होकर कोई जानवर हूँ और उनके देश चिड़ियाघर में गलती से आ गया हूँ ,मैं वहां से जब चारों और देखता था तो एक और तो प्रक्रति का हरा हरा नजारा था चारों और हरियाली ही हरियाली दूर दूर तक दिखाई दे रही थी दूसरी और छोटे छोटे गंदे गंदे कच्ची मिटटी के या कच्ची पक्की इंटों से बने घर ,गंदगी का साम्राज्य था उन सबको देखकर मुझे डेल्ही की गन्दी सी एक कालोनी याद आ गयी ,मैंने अपने मन में सोचा की क्या यही स्वरूप है पाक का ,जिसका मतलब भी पवित्र ही होता है ,प़र मुझे इतना दुख वहाँ की गंदगी से नहीं बल्कि वहाँ के अधिकारियों के रवैये से था ,आधी रात के बाद मुझे और कुछ लोग भी वहां थे सबको एक काल कोठरी सी में दाल दिया गया ,परन्तु खाने पीने को कुछ नहीं दिया ,मेरे पास जो कुछ था जिसको की मैं अपने दोस्त के लिए ले गया था उसीको खा पी कर लेट गया ,उन्होंने मुझे एक गंदा सा कम्बल ओड़ने को दे दिया ,जन मैंने कहा की भाई यहाँ पे और कोई अच्छे जगह नहीं है जहां जाकर के मैं सकूं के साथ सो सकूं ,तो एक अधिकारी बोला भाई ये पाकिस्तान है हम यहाँ किसी को अपना जमाई बनाकर नहीं रखते ये कोई साला हिन्दुस्तान नहीं है ,जब उसने मेरे देश को गाली दी तो मेरा खून खौल गया तो मैं कुछ गरम हो गया ,तभी एक अधिकारी ने पूछा अरे क्या हो गया तो वो अधिकारी ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुंह को ऊपर को उठाकर बोला ये साला हिन्दुस्तानी है ना अपने आप को बड़ा फन्ने खान समझ रहा है तो वो बोला की इस गधे को शायद ये पता नहीं है की संसार में एक हमारा ही तो मुल्क है जो फन्ने खान है
इसको यहाँ ला में इसका फन्ने खान बन्ना निकालता हूँ और वो मुझे लगभग खींचता हुआ उसके पास ले गया और उसने पहले तो प्यार से बातें की और फिर उसका रुख कडा होता गया ,बोला तुम साले हिन्दुस्तानी अपने आपको समझते क्या हो ,तुम्हारे देश के मंत्री ,पी,एम् ,विदेश मंत्री जहा प़र भी जाते हो हमको ही बदनाम करते हो ,आज मैं बताता हूँ की तुम कितने अच्छे आदमी हो ,ला निकाल अपने कागजात ,मैंने सारे कागज़ उसको दे दिए ,कागज़ देखकर बोला ये तो सारे नकली हैं अच्छा तो ये बात है तू जाली कागजातों को लेकर पाकिस्तान में जासूसी करने आया होगा ,दाल दो साले को अन्दर ,मैं बार बार प्रार्थना करता रहा भाई ये सब कागज़ असली हैं ,इसमें कोई भी नकली नहीं हैं ,अच्छा तो अब तू चेक करना भी हमको सिखाएगा ,इतनी बाते हो ही रही थी तभी जो लोग दिल्ली से मेरे साथ आये थे वो भी आ गए उनमे कुछ पाक के भी थे ,उन्होंने भी मेरे अच्छे होने की सिफारिश की और कहा भाई ये तो नेक बन्दा है और पाकिस्तान में एक अपने दोस्त से मिलने आया है यहाँ की आबोहवा से परिचित होना चाहता है उन लोगो ने मेरी भरपूर मदद करने की कोशिश की प़र उन अधिकारियों नहीं मानी और मुझसे कहा गया की अभी हम तुम्हारे देश के अधिकारियों से बात करते हैं फिर देखेंगे की क्या करना है ,हम्मारे यहाँ के अधिकारियों ने उनको काफी समझाया प़र वो नहीं माने और उन्होंने मुझे उलटा वापस भेज दिया और मैंने अपने देश में आकर सुख चैन की स्वांस ली और भविष्य में कभी भी पाक ना जाने की कसम खा ली
अंत में मैं इस नतीजे प़र पहुंचा की वहाँ की जनता तो हमसे मिलना जुलना बर्ताव रखना चाहती परन्तु वहाँ के सरकारी कारिंदों के दिल और दिमांग प़र हिन्दुस्तानियों के प्रति जहर भरा हुआ है शायद उनको ट्रेनिंग के समय में ही हमारे प्रति अलग से तालीम दी जाती है

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