Tuesday, December 31, 2013

नव वर्ष २०१४ का आगमन

नव वर्ष की
अनुपम बेला पर
नव आदित्य का हो
आगमन ,
नव वृक्ष हों
नव कोपलें हों
कुञ्ज ही  कुञ्ज हों
बसंत से
खिला रहे चमन ,
सतकर्म करें
सम्पूर्ण वर्ष भर
प्रेम रुपी अमृत का
हम करें आचमन ,
चहुँ ओर
शांति व् सद्भाव हों
एक दूजे को करें
बार बार नमन: ,
समृद्धि ओर
शांति हेतु
निर्भीकता से
करते रहें परिश्रम ,
त्याग कर प्रमाद को
सत्य पथ को
क्योँ ना करें गमन ,
चाँद सितारे
सकुचा जाएँ
देख कर हमारा वतन ,
इंद्रा धनुष सी
देख कान्ति
हर्षित होते रहें
सम्पूर्ण जीवन |

Thursday, December 19, 2013

केजरीवाल जी मात्र १ ऐसे व्यक्ति हैं

केजरीवाल जी मात्र एक ऐसे व्यक्ति हैं ,जो आँख बंद करके भी देखते हैं ,आँख खोलकर भी देखते हैं ,और अब चश्मा लगाकर भी देखते हैं ,अब आप सोच रहे होंगे कि क्या भारत में बाकी सभी व्यक्ति अंधे हैं  पर ऐसा भी नहीं हैं क्योंकि हैम सभी आँखें होते हुए भी अंधे हैं ,ज़रा बताओ कैसा लगा ये जुमला ,शायद अच्छा नहीं लगा होगा क्योंकि यही तो सत्य है ,सत्य किसी को भी अच्छा नहीं लगता ,अब सचाई सुनिये ,
पिछले ६५ वर्षों से ,जब से देश आजाद हुआ ,यही तो हो रहा है जो निम्नलिखित है ,
गरीबी जैसी कि तैसी है क्योंकि कोई भी नेता या पार्टी उसे खत्म होने देना नहीं चाहती ,बल्कि वोट कि खातिर और गरीबी को बढ़ावा दिया जा रहा हैगरीब आदमी गरीब होता जा रहा है और अमीर प्रतिदिन अमीर |
भ्रष्टाचार तब से लेकर आज तक बढ़ता ही जा रहा है मिटने का नाम ही नहीं ले रहा ,अब लोकपाल  बिल शायद कुछ करे ,कहीं लोकपाल भी भ्रष्टाचार का शिकार ना हो जाए |
दलितों को दलित बनाया जा रहा है ,जहां समाज उनके साथ में मिक्स अप होता जा रहा है वहीँ नेता लोग उनको बार दलित कहकर वोट बटोरने में लगे रहते हैं ,और इस दलित शब्द को समाज से हटने ही नहीं देते |
जनता से ज्यादा नेता अधिक भ्रष्टाचारी हैं ,और सरकारी महकमों में सांडों कि कमी नहीं हैं वो भी देखा देखि बढ़ते ही जा रहे हैं उनके सहारे छोटे अफसर भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ,खरबूजे को देख खरबूजा भी पीला हो रहा है
चुनावों में धन का महत्त्व बढ़ता ही जा रहा है इसके कारण गरीब और शरीफ आदमी चुनाव नहीं लड़ सकता ,आम आदमी पार्टी ने पहली बार पर्यटन किया हैं देखते है हश्र क्या होगा |
अधिकतर नेता और बड़े बड़े उद्योगपति अपना रुपया विदेश में भेज रहे हैं और देश को लूटकर विदेशी बेंकों कि जयजयकार करा रहे हैं |
देश में प्रत्येक जरूरी चीज इतनी महंगी होती जा रही है कि गरीब तो क्या माध्यम दर्जे के लोग भी अफ्फोर्ड
नहीं कर पा रहे ,कहने का तातपर्य है कि महंगाई दिनप्रतिदिन सुरसा के मुख कि भांति बढ़ती ही जा रही है
भिखारियों कि संख्या दिन प्रतिदिन देश में बढ़ती जा रही है और फिर बढे भी क्यों ना जब कि हमारे देश को बाहर का ब्याज भरने हेतु और पैसा ब्याज पर लेना पड़ता है वो कटोरे में भीख मांगकर फिर जनता या भिखारियों कि क्या गलती |
नारी कि अस्मिता आज भी दाव पर लगी रहती है पुरुष जाति के पास संस्कार नाम कि कोई चीज नहीं बची है स्त्रयों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है |
और भी बहुत से विषय हैं जो हमको नहीं दीख रहे पर केजरीवाल कि तीसरी आँख देख रही है |  समाप्त

Tuesday, December 17, 2013

दामिनी कि प्रथम पुण्य तिथि पर

दामिनी तुमको हम
हमारा देश और
सम्पूर्ण संसार
भला कैसे भूल सकता है  ,
तुम तो दिशा थीं 
आने वाले तूफ़ान की
महाविभीषिका थी 
सम्पूर्ण मात्र शक्ति हेतु 
भूमण्डल की स्त्री जाति  हेतु 
दैवीय प्रतिपदा थी,
तुम्हारी प्रेरणा एक
जागृति की चेतना थी 
नारी जाति में विलुप्त
,वेदना को चेतावनी थी
तुम्हारी आहुति के बाद
रणभेरी का बिगुल बजा दिया
प्रत्येक बलात्कारी को
सूली पर चढाने का
परचम फहरा दिया ,
तुम्हारे हेतु कुछ ना कर सके
मात्र एक दीपक जला दिया
तुम्हारी इच्छा को शिरोधार्य कर
पूर्ण करने का प्रण ले लिया |












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