Thursday, October 31, 2013

अप्रत्यासित घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन ?

किसी भी व्यक्ति कि अकस्मात म्रत्यु ,जैसे कि एक्सीडेंट हत्या  ,आत्महत्या या हार्ट अटेक अथवा कारावास ,इन सभीके लिए उन सभीका अपना परिवार किसी ना किसी रूप में ९०% तक  जिम्मेदार होता है और 10 %बाहरी व्यक्ति जिम्मेदार होते हैं ,उनको हम मात्र हादसे कह सकते हैं ,
प्रत्येक व्यक्ति अधिकतर अपने पारिवारिक समस्याओं से जूझता रहता है प्रत्येक क्षण परिवार कि समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयत्न्शील रहता है और उसी के कारण व्यक्ति मानसिक तौर,शारीरिक तौर पर प्रत्यक्ष या
अप्रत्यक्ष तौर से कमजोर होता चला जाता है जिसकी परवाह ना तो वो खुद ही करता है और नाही उसका परिवार जिसका मुख्य कारण होता है अकस्मात म्रत्यु ,सोचने के कारण गाडी चलाते वक्त एक्सीडेंट का होना  ,अपने विचारों और परिवार के सदस्यों के विचारों में विमुखता ,या परिवार कि आवश्यक्ताओं कि पूर्ती नहीं कर पाना आत्महत्या या हार्ट अटेक का कारण बन जाता है ,परिवारों में अक्सर प्रोपर्टी डिस्प्यूट अक्सर होते हैं बिजनेस डिस्प्यूट्स ,पार्टनरशिप जैसे भाई बन्धुं और मित्रों ,रिलेटिव्स सेऔर कहीं कहीं तो बेटी बेटे तक भी दुश्मन  हो जाते हैं ये सभी कारण हत्या और कारावास के कारण बनते हैं ,और व्यक्ति कि म्रत्यु पर ये ही पारिवारिक लोग भाई बंधू ,बहन पत्नी ,माँ बापू ,रिस्तेदार बहुत अधिक रुदन ,स्यापा करते हैं ,ये ही संसार का नियम है |

Tuesday, October 29, 2013

कहावत

कृपणस्य वित्तं
नृपस्य चित्तं
स्त्री चरित्रम
दुर्जन मानवा मनोरथा
ना जानती देवा

यानि के कंजूस व्यक्ति के धन के बारे में ,राजा के ह्रदय कि बात ,स्त्री के चरित्र के बारे में और बुरे  व्यक्ति के ह्रदय में क्या है या वो क्या बुरा करने जा रहा है ,देवता भी नहीं जानते |

Monday, October 28, 2013

चुनावी माहौल

पांच प्रदेशों में चुनाव आ गये हैं ,अब जनता के पास भ्रष्टाचारी ,मिथ्याचारी ,क्रिमिनल बड़े बड़े गुंडे ,बदमाश ,दबंग, रिश्वतखोर छूट भैये ,भूमाफिया जिनको विधायक बनने के लिए टिकट मिलेंगे आयेंगे और जनता के सामने गिड़गिड़ाएंगे ,पैर छुएंगे और जनता को बहुत ही अच्छा बनकर दिखाएँगे ,लच्छेदार बातें करेंगे और रौब दिखाते हुए चेतावनी सी देकर चले जायेंगे और आप वाही करेंगे जो पिछले ६५ सालों से करते आ रहे हैं कि आँख बंद कर कहीं भी मोहर लगाकर अपने अधिकार का दुरूपयोग करेंगे और वापस आ जायेंगे क्यों कि आपके पास कोई भी शरीफ आदमी तो वोट मांगने आयेगा नहीं क्यों कि उसको चुनाव लड़ने के लिए टिकट तो मिलेगा ही नहीं और फिर नतीजा आयेगा ,गुंडे ,माफियों कि सरकार ,और आप हाथ मलते रह जायेंगे ,इसलिए मैं कहूंगा कि आप किसी अच्छे व्यक्ति को ही अपना अमूल्य वोट देकर सफल बनाये वरना तो किसी को भी नहीं वाला बटन दबाकर आ जाना ,बाकी आपकी मर्जी |

Sunday, October 20, 2013

हमारा देश और प्रधानमन्त्री

भारत वर्ष के उस समय के सबसे अमीर आदमी पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के पहले  प्रधान मंत्री बने तो देश में अकाल पड़ा ,सम्पूर्ण जनता ने त्राहि त्राहि की ,पर देश में हरित क्रान्ति आ गईउनकी म्रत्यु अचानक ही १९६४ में हो गई उनकी म्रत्यु का रहस्य भी आज तक सोचने का विषय बना हुआ है |
उनके बाद श्री लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधान मंत्री बने जो की बचपन में पढने के लिए नाव के बजाय तैर कर गंगा नदी पार करके स्कूल जाते थे उस वर्ष देश में इतनी बरसात हुई की चारों और पानी ही पानी हो गया लोगों को नाव का सहारा लेना पडा ,उनकी म्रत्यु भी तास्कंद में जाकर हुई आज तक पता नहीं चला की उनकी म्रत्यु क्योँ और कैसे हुई|
उसके बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी जो की उस समय की सबसे ताकतवर स्त्री थी उनके समय में देश ने उन्नति भी की ,और उन्होंने देश पर इमरजेंसी ठोक दी ,उनकी म्रत्यु भी एक बुरा हादसा बन कर रह गई जिसके कारण सिख और हिन्दू भाई भाइयों में झगडे हो गये देश अवनति के गर्त में चला गया |
उसके बाद मोरारजी देसाई जैसे इमानदार और झुलसे व्यक्ति देश के प्रधान मंत्री बने पर वो भी अपनी सरकार ठीक से नहीं चला सके ,उन्होंने और उनके सहयोगियों ने देश को पेसाब का आचमन करने का मन्त्र दिया |
राजिव गांधी जी प्रधानमन्त्री बने उन्होंने देश की साख बचने के लिए बहुत प्रयत्न किये पर उनको भी अपनी कुर्बानी देनी पड़ी और देश फिर गर्त में चला गया

उसके बाद तो नरसिंहा राव जी भी बने तभी से घोटालों का प्रचलन शुरू हो गया जो आजतक नहीं रुका |
चौधरी चरण सिंह तो केवल नाम मात्र के लिए ही बने थे जो कुछ भी ना कर सके |
चंदेर्शेखर जी भी प्रधानमंत्री बने पर देश की खराब हालत के लिए देश को सोना बेचना पडा और देश की इज्जत बचाई ये उनका बोल्ड स्टेप था अगर ऐसा नहीं करते तो पता नहीं आज देश का क्या होता
उसके बाद तो विश्व्नाथ प्रताप सिंह जो जातिवाद का प्रश्न चिन्ह बने और देश में बदमनी फ़ैल गई स्वर्ण और दलित भीड़ गये
अटल बिहारी जी भी देश के प्र्दान्मंत्री बने और टुकडो में राज करते रहे और फिर देवगोडा ,manmohan सिंह जी जैसे प्रधान मंत्री बने जो की एक इमानदार और अच्छी छवि के बावजूद बदनामी वो भी अनगिनत घोटालों की ढ़ोते रहे हैं पग पर उनको नेता पक्षी और विपक्षी और जनता भी बेचारे ,और पता नहीं क्या क्या कहते रहे हैं देश के हालात कोई अच्छे नहीं है 
अब आप सोचिये की यदि अब अगला प्रधानमंत्री चाय बेचने वाला बना तो देश के हालात कैसे होंगे क्या देश की जनता को भी चाय बेचनी पड़ेगी या चाय पीकर ही गुजारा करना पडेगा या और भी बुरा हाल होगा क्योंकि महंगाई तो उनको विरासत में में मिल ही रही है मई तो यही कह सकता हूँ की इस देश का भगवा नहीं बल्कि भगवान् ही भला करे |


Thursday, October 17, 2013

आत्महत्या

आत्महत्या मत कर
आत्म मंथन कर
जो कष्ट सहे हैं अब तक
उन सभी को दफ़न कर ,
आत्महत्या ,कायरता है
समस्या का समाधान नहीं
छूट जाएगा ये संसार
रहेगा नामो निशाँ नहीं ,
वर्तमान को चकित कर
भविष्य का इन्तजार कर
मस्तक टेकेगा  एक दिन
सुख वैभव तेरे द्वार पर ,
तेरा   धैर्य ही परीक्षा  है
तू उस पर विश्वास कर
मात्र आत्मचिंतन कर
अपनी आत्मा के यथार्थ पर |

Sunday, October 13, 2013

रावण की बरसी पर

त्रेता में मात्र एक रावण था
कलयुग में अनेक अनुयायी हो गये
वो तो मात्र अपहर्नक्रता था
अब के रावण बलात्कारी हो गये ,
उसके अनुयायी तो कलयुग में
अति भ्रष्ट ,धर्ष्ट ,और बड़े पापी हो गये
हवस की घ्रणित मानसिकता के कारण
सभी नाते रिश्ते छू मंतर हो गये ,
कोई भी किसी को पकड़कर
हवस का शिकार बना लेता है
बहन भाई ,बाप बेटी ,मामा भांजी
पवित्र रिश्ते की बलि चढ़ा देता है ,
रावण ने तो छदम वेश धारण कर
सीता मैया का अपहरण किया था
आज के बावाओ ने  अध्यात्म माध्यम बना
कन्याओं का कौमार्य अपवित्र ठहराया है ,
त्रेता के रावण को मात्र अपहरण हेतु
प्रति वर्ष चौराहों पे जलाया जाता है
पर कलयुगी व्यभिचारियों ,बलात्कारियों को
सूली पर क्यों ना चढ़ाया जाता है |

Saturday, October 5, 2013

धर्ष्ट व्यक्ति और उसकी अशुद्ध वाणी

सुसंस्क्र्त समाज में जीवन यापन करने के बावजूद ,सुसंस्क्र्त परिवार का सदस्य होने के बावजूद ,सुसंस्क्र्त शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद ,अकूत धन संपत्ति प्राप्त होने के बावजूद ,अच्छे पद को सुशोभित करते हुए और अच्छे संस्कार प्राप्त करने पर  भी धृष्ट व्यक्ति की अशुद्ध वाणी में शुद्धता और सोम्यता नहीं आ पातीं क्योंकि वो जन्म से ही धृष्ट है |


Thursday, October 3, 2013

भिन्नता

सुख बसंत है
दुःख पतझड़ है
प्रेम सौन्दर्य है
विरह अंधड़ है ,
काम है रीर्तु है
क्रोध है ज्वाला
मद मारीचि है
लोभ विष प्याला ,
अहंकार नेस्ट है
वात्सल्य श्रेष्ट है
स्पंदन है इच्छा शक्ति
भ्रम है मानसिक दिवाला ,
अर्थ सर्प है
गरीबी  गर्त है
म्रत्यु शांति है
मोक्ष अमर उजाला |