जो मानव भूख से त्रस्तहोने पर भी
सुमार्गों पर सदैव प्रसस्त रहते हैं
उनके मार्ग में आये हुए पर्वत भी
मार्ग उनके लिए स्वयं छोड़ देते हैं ,
सांसारिक व्यक्तियों को दृष्टांत देने हेतुं
भिक्षुक बन देशाटन करते रहते हैं
जो पदार्थ जैसा भी जहां भी मिला
नियति मान ,क्षुधा शांत कर लेते हैं ,
अनगिनत अवरोध विरोधावास होते भी
परिवर्तन लाने में पूर्णत सफल होते हैं
और एक दिन विरोध करने वाले भी
उन्हें ईश,महात्मा,गुरु और देव कहते हैं |
सुमार्गों पर सदैव प्रसस्त रहते हैं
उनके मार्ग में आये हुए पर्वत भी
मार्ग उनके लिए स्वयं छोड़ देते हैं ,
सांसारिक व्यक्तियों को दृष्टांत देने हेतुं
भिक्षुक बन देशाटन करते रहते हैं
जो पदार्थ जैसा भी जहां भी मिला
नियति मान ,क्षुधा शांत कर लेते हैं ,
अनगिनत अवरोध विरोधावास होते भी
परिवर्तन लाने में पूर्णत सफल होते हैं
और एक दिन विरोध करने वाले भी
उन्हें ईश,महात्मा,गुरु और देव कहते हैं |