Wednesday, September 25, 2013

हमारे नेत्रत्व करने वाले

चुनावी दौड़ में हम भी
उनके पीछे पीछे भाग रहे हैं
गधे ,घोड़े कुत्तों को देखकर
हम उनका मुल्य आँक रहे हैं ,
आज जो भी कुछ परोस रहे हैं
उसे देख देख कर सोच रहे हैं
हम सबको लूटने वाले नेता
क्षल  नीति प्रयोग कर रहे हैं ,
नए नए प्रलोभन हमको देकर
वोट छीनने का प्रयत्न कर रहे हैं
हमारी समस्याओं का अंत कर
सुखी जीवन देने का दम्भ भर रहे हैं ,
पर कैसे विश्वास करें इन पर
ये सदैव  असत्य बोलते रहे हैं
गरम तवे पर भी नितम्ब रख दें
तो भी खरे नहीं उतरतेलगते हैं |
 

Tuesday, September 24, 2013

नीतियाँ

जिसका आधार ही वैधव्य हो
और वर्तमान ,चुपचाप समझदार
जिसका भविष्य हो वर्णशंकर
और मूलमंत्र हो भ्रष्टाचार से प्यार ,
जो मन्त्र तो स्वयम पढ़ते हैं
बाम्बी पर हाथ ओरों का रखते हैं
एकत्रित करने वाले करते रहते हैं
पर कुबेर बन ,राज स्वयम करते हैं
चमचे उनकी खिचड़ी घोटते रहते हैं
पैरों के तलवे भी चाटते रहते हैं
सम्पूर्ण खिचड़ी जब वो खा लेते हैं
तो खुरचन से उदर भर लेते हैं ,

Friday, September 20, 2013

विचारणीय प्रसंग

क्या कभी किसी पुरुष ने
किसी स्त्री को रोते ,
बिलखते
सुबकते
या जमींदोज होते देखा है ,
शायद नहीं
 यदि देखा भी है तो
परवाह नहीं की
क्योंकि वो उसमे
अपनी माँ ,बहन ,बेटी का
स्वरूप नहीं देखता है 
देखता भी है तो
उसके मुख पर बहते रूद्र नहीं
बल्कि मुखारबिंद की भाव भंगिमा
शारीरिक सौष्ठवता
आंतरिक सबंध बनाने का
भरसक प्रयत्न करता है |

"वासना ग्रसित,अपरिपक्व मस्तिष्क मानव "

क्षणिक आनंद की अनुभूति हेतु
अंग प्रत्यंगों की त्रप्ति हेतु
वासना रुपी कीचड में सदैव
 लिप्त , डूबता ही चला जाता है ,
सभी संस्कारों को त्याग कर
मान मर्यादा से दूर भागकर
अंतरात्मा की आवाज को ना सुन
करता रहता है सदैव उधेड़ बुन ,
किसी भी कली  को स्पर्श कर
जाल बिछाने का प्रयत्न करता है
आयु से भी बिना सामंजस्य के
वासना पूर्ती का प्रयत्न करता है ,
कड़े क़ानून की परवाह ना कर
समाज को दर्पण ना मानकर
मानसिक विक्रति से वशीभूत
ग्रीवा को फांसी लगवा लेता है |

Wednesday, September 18, 2013

आखिर दंगे क्योँ होते हैं


 जब जब भी, जब भी कहीं
मुजफ्फर नगर की भांति
हिन्दू और मुस्लिम बंधुओं के
रक्त्पातीय दंगे होते हैं ,
उसके लिए  हिन्दू मुस्लिम
 गुंडे और आवारा ,बदमाश
 वहाँ की जनता और पुलिश
ऐसे कांडों से अनभिग्य होते हैं ,
क्योंकि वहाँ धुंआ नहीं होता
और आग लगाईं जाती है
ऊपर ऊपर से सुर्रियाँ चलाकर
दोनों और चोपड़ बिछाई जाती है,
हिन्दू नेता हिन्दुओं को भड़काते हैं
और मुस्लिम नेता मुस्लिमों को
धार्मिक और कट्टरपंथियों को
भांति भांति की घुट्टी पिलाते हैं ,
और फिर वो शुरू हो जाते हैं
गली कूंचे मुहल्लों को सुलगाते हैं
एक दुसरे का खून पीने को आतुर
पडोसी पडोसी के रिश्ते भूल जाते हैं ,
दो चार दिन में सब शांत हो जाते हैं
दोनों और से काफी  मर जाते हैं
फिर नेताओं का आना शुरू हो जाता है
पीड़ित कम रोता है ,नेता रोता ही जाता है ,
मरने वालों के प्रति सभी पार्टी नेता
अपनी संवेदना व्यक्त करते जाते हैं
सांत्वना  देते हैं सभी के कुटुम्बियों को
और एक दो लाख टेक फेंक जाते हैं |


Thursday, September 12, 2013

आतंकवादी कौन है

आतंकवादी हम किसे कहते हैं
सीमापार से आने वालों को
आतंक  मचाने वालों को
या आतंक सहने वालों को ,
आतंकियों को पनाह देने वालों को
आतंकियों से गुफ्तगू करने वालों को
आतंकियों को प्रेम दरसाने वालों को
या हथियार मुहैया करने वालों को ,
उनके आगे घुटने टेकने वालों को
या मिल बैठ कर सुलझाने वालों को
आतंकियों की वकालत करने वालों को
या वोट की खातिर अपना बताने वालों को ,
उनके कर्मों पर पर्दा डालने वालों को
उनकी सहूलियतों से मजा लेने वालों को
उनकी धमकियों से डरने वालों को
या पाक से प्रेम करने वालों को ,
आतंकियों को बम बनाकर देने वालों को
या इधर उधर बम फोड़ने वालों को
अपने ही भाइयों पर जुल्म करने वालों को
उनका सर्वस्व नष्ट कर राख करने वालों को |