Tuesday, March 23, 2010
तारीख २३\ ३ \२०१० मंगलवार
Monday, March 22, 2010
तारीख २२/०३ /१०
Friday, March 19, 2010
इस दुनिया में किस प़र विश्वास करें
Tuesday, March 16, 2010
आज कि दिनचर्या
इसी इन्तजार में हमको रात हो गई भूखे , प्यासे थे ही सो आज का हमने माँ शैल पुत्री का उपवास रख लिया जब कि आज मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था ,रास्ते में आते हुए भैरों मंदिर पड़ता है वहाँ भी उनके दर्शन करते चले आये ,दरअसल आज हम ई ,ओ ,डब्लू गए थे
Monday, March 15, 2010
मरघट वाले हनुमान जी ,जमुना बाजार
Saturday, March 13, 2010
सत्यमेव जयते लिखने से कुछ नहीं होगा
कल ही में एक सरकारी दफ्तर में गया ,तो वहाँ के अधिकारी अपने मोबाइल फोन प़र चिपक रहे थे ,और में आधा घंटा से वहाँ बेठा था जब भी में कूच कहना चाहता तो वो २ मिनट के लिए कह देते ,और फोन प़र पता नहीं क्या क्या झूठ पे झूठ बोले जा रहे थे ,बड़ी मुश्किल से मेरी और मुखातिब हुए और बोले बताओ क्या काम है ,मैंने अपना काम बता दिया तो बोले आज नहीं कल आ जाओ आज काम बहुत है ,मैंने कहा साहब मैं बहुत दूर से आया हूँ क्रप्या आज ही करा दीजिए आपकी मेहरबानी होगी ,अरे मेहरबानी तो आप करोगे ,चलो करता हूँ अच्छा ,सुविधा शुल्क निकालो ,मैंने कहा ये सब क्या होता है ,अरे समझा करो ,बोले देखो बोर्ड प़र क्या लिखा है ,वहाँ तो लिख रहा है किसी को भी रिश्वत ना दें इसलिए हम रिश्वत नहीं लेते प़र सुविधा तो आपको देंगे ,इसलिए सुविधा शुल्क नाम रख लिया
अच्छा कितना देना है ,चलो १० गांधी जी दे दो ,क्या मतलब ,यार मतलब नहीं जानते कमाते तो हो पेटी .और खोके ,और १० गांधी का मतलब नहीं जानते अरे भाई इसका मतलब है वो बड़े नोट जिनपे गांधी जी छपे हों ,मैंने कहा सर आप तनखा भी तो लेते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं प़र उसमे होता क्या है भाई रोजाना हारा थका जाता हूँ तो २ ,४ पेग भी पीने होते है और फिर मुर्गमुसल्लम भी तब कहीं सारे दिन की थकान उतरती है ,प़र सर यहाँ तो सारे दिन आप मजे से बैठे ही तो रहते हो ,हाँ हाँ क्यों नहीं एक दिन बैठकर दिकाओ तो जाने आप तो आते पीछे हो और भागने की कोशिश पहले करते हो ,फिर भाई ऊपर वाले भी हैं सन्ति से मंत्री तक पैसा भेजना पड़ता है ,इन स्लोगनों और फोटो सोतो टांगने से कुछ भी नहीं होता ,सारे काम पैसे से ही होते हैं ये तो हम टांग लेते हैं हमारे दांत तो भाई खाने के और दिखाने के और है ,तो भाई समझ गए ना इनसे यु,पी हो या हिन्दुस्तान कोई फर्क नहीं पड़ता
Tuesday, March 9, 2010
महिला बिल विधेयक
Monday, March 8, 2010
आज महिला दिवस है
Sunday, March 7, 2010
Saturday, March 6, 2010
मे or meriबेटी मीनाक्षी सम्पूर्ण दिन के https://www.aninews.in/news/national/general-news/cbi-registers-fir-against-fsl-rohini-officials-for-tampering-with-reports20190928104203/ निबटा कर अपनी कार से अपने घर लौट रहे थे ,शाम का समय था और कार मैं खुद चला रहा था समय लगभग ७ बजे होंगे ,हम लाल किले के पास से गुजरकर और मरघटों वाले प्राचीन हनुमान मंदिर के पास से गुजरे तो मैंने हनुमान जी को हाथ जोड़ और मत्था भी नवाया ,उससे कुछ ही दूर लगभग १०० गज ही सड़क प़र आगे पहुंचे थे की प़र ट्रेफिक जाम था अत; कार रोकनी पड़ी ,थोड़ी ही देर में जैसे ही रास्ता खुला तो मैंने कार को आगे बढानी चाही तो ऐसा लगा कि कार पीछे कि तरफ को सरपट भाग रही है है और मैं भयभीत हूँ कि अब मेरी का किसी ना किसी कार को टक्कर मार देगी और इतना जबरदस्त एक्सीडेंट होगा कि हम बाप घटना जो शुकर्वार को मेरे साथ घटी ?
Friday, March 5, 2010
प्राताप गद के आश्रम की दुर्घटना
बाबा के आश्रम प्राताप गढ़ में श्राध्य के समय में भगदड़ मचने से जो ६३ जनों की जिनमें बच्चे बूढ़े ,स्त्रिया और जवान सम्मिलित है वो एक जून की रोटी के लिए बेचारे इस संसार से बिदा हो गए और काफी लोग कुचले भी गए जिनमे काफी लोगों की हालत खराब है ,उन सबको देखकर मेरा ह्रदय बहुत दुखी है मोर मैं सभी ब्लोगर्स से भी प्रार्थना करूंगा की वो भी उनकी आत्मा की शान्ति के लिए भगवान् जी से प्रार्थना करे
दुसरे मैं आश्रम वासियों से प्रार्थना करूंगा की वो इस प्रकार के फंक्सन नाही किया करे तो अच्छा है और यदि करें भी तो वहा प़र सुरक्षा का इंतजाम होना जरूरी है कहते है की दस हजार लोग भंडारे में थे तो गुरूजी को उनकी सुरक्षा का भी तो इंतजाम करना चाहिए था ,अब गुरूजी या देश की जनता अथवा वर्तमान सरकार ही बताये इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है ,मेरे विचारों में तो गुरूजी ही हैं वैसे भी पूरे जीवन में गुरूजी ने जितने पुन्य नहीं कमाए होंगे जितने की पाप आज एकत्रित हो गए
Thursday, March 4, 2010
हैदराबाद की हवाई दुर्घटना
Monday, March 1, 2010
चित्रकूट वाले बाबा
आखिर हिन्दू जनता इनके भाषणों में या इनके शब्दजाल में अथवा इनके सम्मोहन में ,क्योँ और कैसे फंसती है ये कहते हैं की प्रत्येक स्त्री पुरुष को अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए ,यदि जो भी व्यक्ति गुरु नहीं बनाता तो उसको सही रास्ता नहीं मिलता या उसको भगवान् से मिलाने वाला रास्ता केवल गुरु ही बता सकता है और जिसने गुरु नहीं बनाया उसको मोक्ष भी नहीं मिलता ,परन्तु वो ये नहीं बताते की गुरु कैसा होना चाहिए ,वो कहते हैं की गुरु के केवल गुण देखो अवगुण मत देखो क्योंकि गुण देखने की परख तो तुम्हारे अन्दर है परन्तु अभी तुम इतने सक्षम नहीं हो की जिसको गुरु बनाना चाहते हो उसके अवगुणों की व्याख्या कर सको ,गुरु की भर्त्सना मत करो वरना आपको महापाप लगेगा और ८४ लाख योनिओं में भी उस पाप को धो नहीं पाओगे ,जहां भी गुरु के प्रवचन हो रहे हों चाहे वो स्थान कितनी ही दूर क्योँ ना हो गुरु के दर्शन करने अवश्य जाओ ,सभी जरूरी कारू छोड़ दो ,अगर आप वहां समय पे नहीं पहुंचे और आपको ये पता है की उस जगह पे प्रवचन हो रहे हैं तो आपका बड़ा गर्क हो जाएगा ,यानी के उनके ह्रदय में एक दर पैदा कर दिया और यदि आप समय पे सभी गुरु के प्रवचनों का पान करेंगे तो आपके सभी कार्य सही समय प़र सिद्ध हो जायेंगे ,परन्तु ये सब भ्रांतियां हैं ,भोले भाली जनता को बेवक़ूफ़ बनाने का तरिका है
अब मजे की बात देखिये बाबा भी हम किनको कह रहे हैं ,इनमे बड़े बाबा तो २ या ४ ही होंगे जिनको हम बाबा भी कह सकते हैं क्योंकि वो सब अपनी उम्र से स्वास्थ्य से दुनिया दारी के चक्करों से ,कूच कुछ मोह माया से ,निचुड़ से चुके हैं क्योंकि इन्होने अपने जीवन के सभी भोग विलाश प्राप्त कर लिए ,परन्तु अधिकतर बाबा आपको २५ से ४० साल की आयु के मिलेंगे जिन्होंने ना तो ब्रह्मचारी जीवन ही और नाही गृहस्थ जीवन को पूरी तरह से निभाया है और नाही दौलत भूख इनका पीछा छोड़ रही है ,और नाही अहंकार और कामदेव इनका पीछा छोड़ रहे है खाने पीने की भगवान् की क्रपा से इनको कमी नहीं है और यदि कमी बची है तो केवल सुरा मोर सुन्दरियों की ,और सुंदरियां तो इनके पंडालोंमें आ ही जाती है और कोई ना कोई तो इनकी मीठी मीठी चुपड़ी ,लटकी झटकी बातों में आ ही सकती है वैसे भी इनको अपने पैर छुआने में मजा भी खूब आता होगा जबकि हमारे वेड शास्त्र कहते है की किसी भी स्त्री को अपने पति के सिवा और किसी के पैर नहीं छूने चाहिये प़र क्या कहे वहाँ तो मानो पैर छूने की होड़ लगी होती है और फिर दुआ और दवाई भी चाहिए तो उनको आश्रम में जाना भी पडेगा अब वहां क्या होगा वो तो खुदा ही जाने ,
और अब तो देश में इन बाबाओं की बाढ़ सी आई हुई है जो भी थोड़ा गुरु किस्म (चालाक)सा व्यक्ति है जो शब्द जालों के द्वारा जनता को फंसाना जानता है वो ही अब बाबा बनकर अपना बिजनेस शुरू कर देता है और इस क्षेत्र में आय भी इतनी ज्यादा है की इनको चेले चांटे ,पैसा कमाने के लिए पैसा लगाने वाले मुल्क के सभी कोनो खूब मिल जाते हैं अब ये सबसे कमाऊ बिजनेस गिना जाताइ है ,ये ऐसा बिजनेश है की हलद लगे ना फिटकरी रंग चोखा ,अब तो टी वी के चेनल्स प़र भी इन्ही की बाढ़ है ,अत:मेरी सरकार से प्रार्थना है की इनके हिसाब किताब मंगाकर उनकी पूरी जांच पड़ताल करे क्योंकि ये एक एक पंडाल प़र भी लाखों रूपये खर्च कर रहे ,
ये जनता का समय बर्बाद करते है ,यदि देखा जाए तो पर्यावरण भी दूषित करते है जहां इनके पंडाल लगते हैं वहा ट्रेफिक जाम हो जाता है पुलिश वालों का भी इंतजाम करना पड़ता है ये लोग देश की अर्थ व्यवस्था को भी नुक्सान पहुंचाते है क्योंकि देश का करोड़ों रुपया इनके आश्रमों में डेड मणि के रूप में पडा होता है