Tuesday, December 22, 2015

दहेज़ रुपी लालचियों की कहानी

एक दहेज़ के लालची व्यक्ति के लड़के की शादी में लड़की वाले ने इतना ज्यादा दहेज़ दिया कि दहेज़ को देखकर लालची बाप की बोलती बंद हो गई ,और फिर समस्त दहेज़ और बहु को बिदा कराकर बरात वापिस लड़के घर चल दी ,पहला जमाना था अक्सर बारातें बैल गाडी ,रथ ,रब्बे ,और तांगों से जाती थी ,खूब मस्ती का माहौल था सभी बाराती और लड़का और लड़के के पिता बहुत खुश थे ,अचानक रस्ते में कहीं एक खांचा ( कीचड भरा रास्ता )आ गया ,सभी गाड़ियां उसमे फंस गईं, तो उस कीचड को हटाने के लिए कुछ जैसे की फावड़ा आदि की जरूरत  होती है ,परन्तु वो नहीं था तो सभी की एक मंत्रणा चल रही थी ,तभी लड़की का बाप बोला की साले ने सब कुछ दिया पर एक फावड़ा नहीं दिया ,अब सोचिये उस लड़की कि बाप को क्या पता था की बारातियों की गाड़ियां कीचड में फंसेगी ,खैर किसी तरह बाराती और दुल्हन घर व् पहुँच गई ,अब लड़की की चादर रस्ते में कहीं अटक गई होगो तो गई सीने के लिए बहु ने सुई मांगी तो सास कहती है क्या तेरे बाप के पास एक सुईं बी नहीं थी देने को ,कहने का तातपर्य है कि इतना बड़ा दहेज़ लेने की बात भी भविष्य में घर में जो भी वस्तु नहीं  होगी उस पर गालिया दी जाएंगी लड़की और लड़की के बाप को |जब गालियां ही खानी है तो इससे अच्छा है कि दहेज़ दिया ही न जाये |

Wednesday, November 4, 2015

मैं सहिष्णु हूँ

हिन्दू पूजते मंदिर मात्र
सिक्ख पूजते गुरुद्वारे
मुस्लिम जाते मस्जिद केवल
पर मैं पूजूं सब द्वारे ,
राम भी मेरे ,ईशा भी मेरे
नानक और मक्का मदीना मेरे
इन सभी के आशीष से
जीवन के क्षण  बीते सारे ,
सभी ग्रन्थ देते  उपदेश
सत्य ,अहिंसा ,प्रेम ,ईमान
गुरु ग्रन्थ साहिब हो या बाइबिल
चाहें गीता हो या कुरआन ,
पवित्र स्थलों के महत्त्व को जानो
ग्रंथों के उपदेशों को मानो
एक दूजे का रखो ध्यान
मिटाओ ना किसी का निशाँ ,
हमारी कोई जाति नहीं है
सभी की जाति है इंसान
हिंसा  के मत बनो पुजारी
ना बनो खुनी दरिंदे ,या हैवान ,
चलो मिलकर बजाएं घंटियाँ
और मिलकर लगाएं अजान
गुरुबाणी गायें गुरुदेव जी की
मधुरं मिलान  कर बने इंसान |








Monday, September 7, 2015

महानदी

स्वर्ण ,चांदी ,ताम्र ,अभरक
मिटटी ,रेत से बने पथ पर
हरित किनारी वाली साडी पहिन
इतराती इठलाती ,मचलती
नीली नीली आभा दर्शाती ,
  से सभी को अपनी शीतलता से
तृप्त कराती ,प्यास बुझाती
गाँव गाँव और शहर शहर
ऊबड़ खाबड़ जंगलों में
मंगल करती स्वयं भटकती ,
अशुद्धता को कंठ लगाती
अनमने स्वभाव  से
नृत्य करती बहे जा रही है
निरंतरता का पाठ पढ़ाती
अविरलता को ह्रदय लगाती |

Saturday, July 11, 2015

भ्र्ष्टाचार के कारण डूबती नैया

नेताओं की चिता पर
लगेंगे  हर रोज मेले
भ्र्ष्टाचार कर कर के
सम्पूर्ण देश डुबो दिया ,
बाकी जो थोड़ा बचा था
वो भी स्वाहा होने लगा
नवेले नेताओं के कारण
कर्जा  रोज बढ़ता गया  ,
जनता रोज पिसती रही
नेता पेट भरता रहा
देश कंगला हो गया
और नेता अमीर हो गया ,
कर्जदार जब मांगने लगे
नेता कुर्सी छोड़ भाग गया
कर्जदारों ने एक साथ मिलकर
देश को वाटर मेलन बना दिया

भाइयो ,वाटर मेलन चीन के इतिहास का वो काला अध्याय है ,जिसमे कर्ज में डूबे हुए चीन को कुछ देशों ने जिन्होंने चीन से कर्जा लेना था तरबूज की शेप में बाँट दिया था ,और शायद वो देश थे , अमेरिका ,फ़्रांस ,जर्मन ,ऑस्ट्रेलिया ,इंग्लैंड |


Wednesday, July 8, 2015

पत्नी

भाइयो मै ये लेख इस लिए लिख रहा हूँ क्योँकि माँ का गुणगान तो सभी लोग करते हैं परन्तु जो जीवन भर मनुष्य का साथ निभाती है उसके बारे किसी की भी लेखनी दो शब्द नहीं उगलती |
लगभग प्रत्येक मनुष्य के जीवन में
एक स्त्री भी अवश्य आती है
जिसको धर्म  पत्नी  कहा जाता है
और धर्म पत्नी का खिताब उसे
उसके अभिभावकों के द्वारा
दहेज़ स्वरूप लाखों खर्च करके
पति देव  से दिलवाया जाता है |
और शादी के बाद जिंदगी में
कभी कभार ऐसा मौका भी आता है
जब माँ ,बाप भाई बंधु रिश्तेदार
सब पति देव को छोड़ जाते हैं ,
तब एक धर्म पत्नी ही होती है
जो पति का साथ नहीं छोड़ती
स्वयं को पूर्णत:समर्पित करके
खानदान को जाज्वलित करती |
सावित्री बन पति की दीर्घायु हेतु
 ईश से व्रत, कामनाये करती
यदि परिवार को चलाने हेतु
श्रम करना पड़े तो पीछे नहीं हटती ,
पति को परमेश्वर मान करके
उसकी इच्छाओं को सर्वोपरि रख
अपनी इच्छाओं का गला घोँट
कंधे कंधा मिलाकर साथ चलती |
तो कभी कभी सीता बन करके
पति के साथ वनो में विचरण करती 
रावण जैसों के द्वारा अपहरण होने पर 
अपने पति व्रत धर्म को नहीं छोड़ती ,
वापस पति के घर आ जाने पर 
कुलच्छिनी जैसे शब्दों का भ्र्म जान 
आरोप प्रत्यारोप लगाए जाने पर 
अग्नि में कूद जीवन इति करती |
 


















Tuesday, June 23, 2015

मेरी लेखनी


मेरी लेखनी
उसी के लिए
विष वमन करती है
जिसे मैं
पसंद नहीं करता
फिर चाहे वो
मोदी जी हों
या उनके
काम करने या
बदला लेने का तरीका ,
मै केजरीवाल को भी
पसंद नहीं करता
पर उनकी ईमानदारी
और भ्र्ष्टाचार को
रोकने की प्रवर्ति की
सराहना करते हुए भी
कभी नहीं थकता 
उनकी प्रसिद्धि
दिन दूनी रात चौगुनी
बढ़ना हैं है नतीजा ,
मुझे कांग्रेस से भी
शिकवा नहीं है
पर कांग्रेस के
अहंकारी और दम्भी
बेईमान नेताओं से
सदैव ही रहा है शिकवा
आज जो कांग्रेस के
बुरे हालात हुए हैं
ये भ्र्ष्टाचारी नेताओं के
किये कर्मों का है नतीजा  |




Monday, June 8, 2015

हम तो छोड़कर
जाने वाले थे प्रिये
पर तुमने मेरा दामन
अश्रुओं से  भर दिया ,
उसे निचोड़कर
सुखाने की फ़िराक में
हम तुम्हें छोड़कर
जाना ही भूल गये   |

Monday, June 1, 2015

जमात

गधों के भी कभी
सींग हुआ करते थे
पर खुदा ने एक दिन
उनको नेस्तनाबूद कर दिया
क्योँकि गधों की जमात में
आदमी पैदा होने लगे थे |

Thursday, May 28, 2015

मात्र मुस्कुराना
देखकर
किसी यौवना का 
जो उन पर फ़िदा
हो जाते हैं ,
वो खुद
एक दिन
खुद को
महा बेवक़ूफ़
बताते हैं 

Thursday, May 21, 2015

बदलाव

हमारे देश की
प्रकृति ,प्रवृति
और प्रसूति भी
अजब की विभूति है ,
जब प्रकृति में
परिवर्तन आता है तो 
आँधियाँ चलती हैं 
ओले गिरते हैं
तूफ़ान आते हैं और
महा वृक्ष धराशाई हो जाते हैं ,
जब यहाँ की प्रवृति
परिवर्तन चाहती है तो
जनता के विचार
स्वत् :परिव्रत हो जाते हैं
और जिसको भी चाहा
उसे राजा बना देते हैं ,
जब प्रसूति
परिवर्तन चाहती है तो
एक एक के घर में
दस दस हो जाते हैं
और धीरे धीरे बहुत बदला
अब एक में एक ही नजर आते हैं |













Tuesday, May 19, 2015

दुहेजियां की घोड़ी
जितनी उछले उतनी थोड़ी
चाहे सफ़ेद ,लाल हो
या काली थोड़ी थोड़ी
बिदकने लगती है
चढ़ते ही ड्योढ़ी   |
तो मित्रों आपका ख्याल है ,जरूर लिखना ,

Monday, May 18, 2015

एक कहावत

एक कहावत है ,
माँ गोबर पाथती घूम रही है ,
बेटा  बिटोरे बख्श रहा है  ,
ठीक यही हाल आज भारतवर्ष का है ,देश में पैसा नहीं है ,किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योँकि वो सरकार के या धन्नासेठों के कर्ज में डूब रहे हैं ,मोदी सरकार उन बेचारे किसानों की तो सुन नहीं रही है जिनके प्रयत्नों से खेती करके हमारे देश की जनता पल रही है ,और हमारी सरकार ब्याज तक भरने के लिए बाहरी मुल्कों से कर्जा ले रही है ,और उसके बावजूद हमारे आदरणीय P M श्री नरेंद्र मोदी जी "नार्थ कोरिया " जैसे मुल्क को " १ अरब  डॉलर यानी कि लगभग १०० करोड़ डॉलर ,लगभग ६ हजार ४ सौ  करोड़  रूपये का कर्जा बाँट कर आ रहे हैं हैं ना मजे कि बात ,धन्य हैं हमारे देश के दयालू P M ,भगवान उनका सदैव भला करें |

Wednesday, May 6, 2015

हशरतों की आग में इंसान
कभी कभी  इतना मसरूफ  हो जाता है
कि उनको पाने की चाह में 
इंसान ना रह ,खब्बीस और मगरूरहो जाता है ,
सोचने समझने का माद्दा नहीं रहता उसमे
वो इंसान से शैतान बन जाता है 

Thursday, April 30, 2015

लड़कियों और महिलाओं को अधिक खतरा किनसे

जी हाँ मेरे विचारानुसार लड़कियों और महिलाओं को खतरा असामाजिक तत्वों से कम और सामाजिक तत्वों से अधिक होता है ,क्योँकि असामाजिक तत्वों से तो महिलाओं का सामना कभी कभी होता है परन्तु सामाजिक तत्वों से तो उनको प्रितिदिन ही दो चार होना पड़ता है |
आजकल समाचारों और कोर्ट के केसेस को देखकर पता चलता है की जितने भी रेप या छेड़ छाड़ और बदमाशियां होती हैं उनमे अधिकतर मित्र या भाई के मित्र ,पडोसी जो रोज घर में आते जाते रहते हैं ,कहीं किसी के चाचा की निगाहें भतीजी पर हैं तो कहीं किसी देवर की निगाहें भाबी पर और कहीं कहीं तो ससुर की निगाहें पुत्र वधु पर,और कहीं जीजा की नजर सालियों परया नंदोई की निगाह साले की पत्नी पर और कहीं सौतेले बाप की निगाह अपनी बेटी तक पर  लगी  होती है और जैसे ही इन लोगों को मौका मिलता है ये अपना काम कर जाते हैं और बेचारी महिलायें शर्म के मारे या धमकाने के कारण या और किसी तरह से फंसी होने के कारण या घरवालों के प्रभावित होने के कारण बेचारी या तो अपने आपको बचाती रहती हैं या फिर उनका शिकार बन कर रह जाती हैं और यदि वो इस बात का जिक्र अपने पति ,भाई या माँ बाप को भी कहती हैं तो उन लोगों का प्रभाव इनके ऊपर इतना होता है की उनपर कोई आसानी से सुनने को राजी नहीं होता अब बताइये क्या किया जाए क्यां इनसे कोई बेचारी महिला या लड़कियों को मुक्ति दिलाएगा ,|
जीवन में कुछ अनमोल रत्न बहुत ही भाग्यशाली लोगों को मिलते हैं
उच्च स्थान
सच्चा मित्र
भरत जैसे भाई
सावित्री जैसी पत्नी
विष्णु जैसा पति
कौशल्या जैसी माँ 
प्रह्लाद जैसा पुत्र
जीवन पर्यन्त निरोगी काया

लोकोक्ति

ना शुक्रे यांिु कि किसी का अहसान ना मानने वाले ,नास्तिक ,यानी ईश्वर को ना मानने वाले ,प्रकृति से छेड़ छाड़ करने वाले ,खुद को खुदा या भगवान मानने वालों को ईश्वर अपने लोक में स्थान तक भी नहीं देता बल्कि इस प्रकार के लोग इसी मृत्यु लोक में भूत पिशाच ,पिशाचनी बनकर अतृप्त आत्मा लिए घुमते रहते हैं युग युगांतरों तक ,देवों के देव महादेव

लोकोक्ति

कहते हैं की अपना पेट तो कुत्ते बिल्ली ,कीड़े मकौड़े ,आधे अधूरे ,सभी भर लेते हैं परन्तु असली मनुष्य वही है जो पहले किसी दुसरे का पेट भरे और फिर अन्न जल ग्रहण करे ,गीता में भगवन कृष्ण ने भी यही कहा है कि(जो मनुष्य कमाई करके उससे यदि स्वयं ही अपना भरण पोषण करता है तो वो पाप को ग्रहण कर रहा है )और अंत में पाप का ही  भागी होता है और फिर उसे पुनर्जन्म में कुत्ते बिल्ली ,कीड़े मकौड़ों और आधे अधूरे जैसा ही जीवन यापन करता है ,इसलिए आप और हम सभी मानव है हमको किसी भी प्रेरणा के स्रोत कि आवश्यकता  नहीं  बल्कि हम स्वयं उस ज्ञान को प्राप्त कर चुके हैं कि अब हम को क्या करना है क्योँकि प्रकृतिं,भगवान या धरती माँ का नियम है कि जो बोओगे वही काटोगे |

Wednesday, April 15, 2015

स्वराज्य क्या है ?

स्वराज्य एक ऐसा शब्द है
जिसे गांधी जी ने चलाया
सुभाष ने जीवन भर सींचा
और जनता को समझाया ,
आजाद,  भगत, सुखदेव ने
अपना अपना रक्त बहाया
और ना जाने कितने वीरों ने
आहूत हो ,देश आजाद कराया ,
नेहरू इंदिरा ने जिसे सराहा
शास्त्री जी ने परचम फहराया
उसके बाद आते गए ,खाते गए
देश को  महाकंगाल बनाया ,
अब नित  नए नेता आ रहे हैं
नित नयी  कहानी सूना रहे हैं
भोली जनता को मूर्ख बना रहे हैं
स्वराज्य के  गीत गा रहे है,
पहले केजरी  ने स्वराज्य पाया 
अब योगेन्द्र पाना चाह रहे हैं ,
और स्वराज्य पाने के चक्कर में
सारे जनता दल१  दल बना रहे हैं ,
कथन है जिस घर में शान्ति नहीं
वो घर कभी साबुत बच नहीं सकता
और जिस देश में बद्मिनी फ़ैली हो
वो देश कभी स्वतंत्र रह नहीं सकता |







मिलावट का प्रचलन
आज बेइंतहा हो गया है
अपनों के अंदर भी
खून कम पानी अधिक हो गया है
जिसके मद्दे नजर
हर शख्स बेमानी हो गया है
अपनों की परवाह ना कर
खुद मौला मसानी हो गया है |

Tuesday, April 14, 2015

जख्म

जख्मों को जितना कुरेदता हूँ
हरे, होते ही नजर आते हैं
जख्म देने वालों के चेहरे
एक एक कर नजर आते हैं
बस खुदा से इल्तजा करता हूँ 
ना देना जख्म उनको कभी 
वरना कुरेदकर हरा कर लेंगे
और तोहमत लगाएंगे जमाने को |

Monday, April 13, 2015

जिंदगी भर तो ,
मुझे तुम जलाते रहे ,
मृत्यु के पश्चात
मुझे मत जलाना ,
मेरे अपने ,यार दोस्तों
और नजदीकी रिश्तेदारो |
जिंदगी तुम्हारे नाम
करने के बावजूद भी
तुमको ख़ुशी ना दे सका
कीड़े मकोड़ों को भी
 कुछ मिल जाएगा प्यारो |

Friday, April 3, 2015

aajkal ke आशिक़

आजकल के आशिक़ अपनी माशुका से
पहले तो दिन रात फ्लर्ट करते रहते हैं
फिर कुछ दिन रंगरेलियां मनाने के बाद
दूध से मक्खी की तरह  दूर कर देते हैं  ,
करने लगते हैं किसी और माशूक़ की तलाश
जब तक नहीं पाते उसके पीछे लगे रहते हैं
पा जाने पर उसका भी इस्तेमाल करते हैं
फिर खुद को मजनू का बाप कहते हैं ,
जब ऐसा उनकी ओलाद भी करती है 
तो फिर सभ्य  समाज को  दोष देते हैं
परन्तु अपने गिरहबान में नहीं झांकते
क्योँकि तब वो ही समाजी ठेकेदार होते हैं |

 


Wednesday, April 1, 2015

आज मुर्ख दिवस के सबसे बुद्धिमान नेता ,

आज के दिन यानी कि १ अप्रैल २०१५ के सबसे अधिक बुद्धिमान नेता और नेत्री.
चूहों कि तलाश में चुप चाप ..........................श्रीमती सोनिया गांधी
चुप चाप छुपकर कहीं बैठे हैं ........................श्रीमान राहुल गांधी
अब कौन सा हथकंडा अपनाया जाए ............कुमारी मायावती
अगली बार पिताजी के क्षेत्र में किसे नचवाएंगे .......श्री अखिलेश यादव
श्री प्रणव मुखर्जी के बाद प्रेजिडेंट कैसे .............श्री मुलायम सिंह यादव
अब यार कितने झूठ ,कैसे बोलूं ......................श्रीमान संबित पात्रा
अब दिल्ली को पानी कैसे दूँ ...........................ठक्कर साहब ,हरयाणा
अब ये ५ साल तो निकल जायेंगे ,अगले ५ साल का क्या जुगाड़ करूँ ,कौन सा जुमला तैयार करूँ ,कौन सी लोलीपॉप जनता को खिलाऊँ .......................आदरणीय मोदी जी
अब १० माह में १४ देश तो घूम लिया और कितना घूमू .......आदरणीय मोदी जी
और सबसे बड़ा बुद्धिमान कौन है .......................बेचारे केजरीवाल, जिन्होंने पार्टी हेतु रात दिन एक किये पर मिल रहा है बाबा जी का ठुल्लु

आज मुर्ख दिवस पर बताएं भारत में कितने %मूर्ख

मैं प्रितिवर्ष मूर्ख दिवस पर हिसाब लगाता था की आखिर देश में कितने % मूर्ख हैं पर इस बार मैंने सोचा की आज ये सवाल हम जनता से ही क्योँ न पूछें ,
आज देश में कितने ही बुद्धिमान लोग ,अपनी मूर्ख स्त्रियों को झेल रहे हैं ?
और इसी प्रकार कितनी ही बुद्धिमान स्त्रियां भी अपने मूर्ख पतियों को शादी के बाद से झेल रही हैं ?
govt  नौकरियों में कितने ही बुद्धिमान अफसर, अपने मूर्ख बॉस को नौकरी की खातिर मजबूरी में झेल रहे हैं?
इसी प्रकार प्राइवेट नौकरियों में कितने ही बुद्धिमान लोग अपने मूर्ख मालिकों की जाली कटी सुनते रहते हैं ?
इसी प्रकार GOVT और PRIVATE दफ्तरों और फर्मों में भी कितने ही बुद्धिमान बॉस और मालिक मूर्ख नौकरों को झेलते ही रहते हैं ?
कितने ही बुद्धिमान माँ बाप अपनी मूर्ख ओलाद को झेल रहे है ?
और कितने ही बुद्धिमान बच्चे भी तो अपने मूर्ख बाप को झेल रहे हैं ?
इसी प्रकार हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति खुद को बुद्धिमान और सामने वाले सभी को मूर्ख समझता है ?
इसी प्रकार प्रत्येक परिवार में एक बुद्धिमान व्यक्ति ही अनेकों मूर्ख भाई बहनो को झेल रहा है मात्र एक इज्जत की खातिर ,की कोई यूं ना कहे या कोई कूं ना कहे ?
इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति खुद को मूर्ख समझकर कहिओ न कहीं किसी ना किसी के सामने नाक रगड़ रहा है ?
मजे की बात ये है की जब भी चुनाव आते हैं तभी नेता ,अपने क्षत्र की जनता को मूर्ख बना कर वोट लेकर चला जाता है और फिर वो अक्लमंद वोटर अगले ५ साल तक उस मूर्ख नेता को झेलता रहता है ?
और वो बुद्धिमान नेता भी अगले ५ साल तक अपने से बड़े नेता या मेयर ,या मुख्य मंत्री ,अथवा प्रधान मंत्री जैसे मूर्ख लोगों को झेलता रहता है ?
और फिर सम्पूर्ण विद्वान जनता सभी मुर्ख नेताओं को झेलती रहती है ?
और फिर सम्पूर्ण देश की जनता अखिलेश जी ,मायावती ,चौहान ,खट्टर साहब ,रमन जी ,और ना जाने कितने ही  नेताओं के साथ साथ मोदी जी जैसे नेताओं को अगले ५ साल तक झेलेगी ,इसे कहते हैं ,"सब कुछ लुटाकर होश में आये तो क्या हुआ "|
अब मेरी मआपसे करवद्ध प्रार्थना है कि आप गिनती करके बताइये कि देश में मूर्खों का कितना % है ?
सभी देश कि जनता और नेताओं और मालिकों या बॉस और अफसरों अथवा सभी मंत्री और संतरियों से प्रार्थना है कि मेरी इस बात का बुरा न माने क्योँकि आज मूर्ख दिवस है "और मैं भी तो आप सभी कोगों में से हूँ "


Monday, March 30, 2015

चुटकुला परन्तु एक दम सत्य घटना

एक दिन एक हमारे दोस्त के पिताजी हमारे घर आये ,वो कुछ अक्खड़ स्वभाव के थे शायद उनका ऐसा स्वभाव फौज के कारण हो क्योँकि वो फौज में कर्नल थे ,कुछ बातें पत्नियों के संबंध के बारे में होने लगी ,तो मैंने कहा अंकल पत्नी तो प्यार की भूखी है  ,तो वो बोले ऐसी बात नहीं ,पहले तो उन्होंने तुलसी दास जी का दोहा सुनाया "पशु ,गंवार शूद्र अरु नारी ,चारों ताडन के अधिकारी "और फिर बोले मुझे देखो ना मैं तेरी आंटी को "जूते की नौक पे रखता हूँ और वो फिर वही करती है जैसा मैं कहता हूँ "
तो मैंने कहा वो तो आराम से कहोगे तो भी करेंगी ,अरे ऐसी बात नहीं होती तुम अभी पत्नियों को कहाँ समझोगे हमको तो भुकतते हुए ५० साल हो गए और इतना कहकर वो उठकर चल दिए गर्मी की ताप्ती दोपहर में ,मैंने उनको रोक की जरा शाम होने दो फिर चले जाना ,
फिर शाम होते ही उठ खड़े हुए भाई घर जाना है बहुत लेट हो जाऊंगा तुम्हारी आंटी घर राह देख रही होगी ,हमने कहा अब तो शाम हो गई बस खाना तैयार है ,खाकर चले जाना ,बोले नहीं ,कुछ तुर्मुरान लगे खेर किसी प्रकार रोक और उनको खाना खिला दिया ,और खाना खाते ही उठ खड़े हुए ,बोले बस अब जाने दो भाई ,मैंने कहा नहीं आज तो आप हमारे पास ही रुकेगो ,कल ही जाना है ,
तो एक दम खड़े हुए और बोले ,अबे क्या अब मुझे गंजा ही कराओगे
क्योँ ,आपको कौन गंजा करेगा ,बच्चों की तो ताकत नहीं आपको कुछ भी कहने की .
तड़ाक से बोले ,अरे वो जो है "ताड़का "
मैंने कहा अब ये ताड़का कौन आ गई ,
अरे वो ही तेरी चाची ,मार मार चप्पलों से गांजा कर देगी ,
पर अभी तो आप कह रहे थे कि जूती पे रखता हूँ ,पर अब क्या हो गया ,
हुआ कुछ नहीं वो तो मैंने वैसे ही फाड़ी मारी थी,
अच्छा तो ये बात थी ,आप तो छुपे रुस्तम हो ,
अच्छा एक बात बताऊँ ,जितना में तेरी चाची से डरता हूँ इतना तो मैं कभी बॉर्डर पर भी नहीं डरा,
तो देखा भाइयो आपने ये हाल होता है मर्दों का ,केवल फड़ी मारकर रौब दिखाते हैं |







बिना वजह के झूठ पे झूठ

जब भी हम ,या आपंकिसी   भी अपने जान पहिचान वाले या रिस्तेदार या दोस्त से मिलते हैं तो वो हम पर या हम उसपर प्रश्नों की झड़ी लगा देते हैं जैसे कि,
और भाई कैसे हो ?
चाहे अंदर से हम कितने ही दुखी हैं परन्तु जवाब देते हैं ,हां भाई सब ठीक है ,आपकी कृपा से या भगवन कि कृपा है ,|
और घर में  भाई बंधु सब ठीक तो हैं  ?
चाहे भाई बंधुओं ने ऐसी तैसी फेर  राखी हो घर में कोहराम मचा रखा हो और रोजाना जूतों से मारते हों पर हमारा जवाब होगा ,हाँ भाई n सब बहुत अच्छे हैं हमारा कहना ही मानते हैं ,हमको बड़ा सम्मान देते हैं |
और भाबी जी का क्या हॉल है गाडी सही चल रही है ?
चाहे घर में रोटी सब्जी बनानी ,या बर्तन साफ़ करने खुद ही   पड़ते हों पर हमारा जवाब होगा ,यार तेरी भाबी बहुत अच्छी है भगवन ऐसी पत्नी सभी को दें ,उससे शादी करने के बाद तो मेरे भाग्य ही खुल गए |
और बच्चे सब ठीक ठाक पढ़ रहे हैं ?
चाहे सुथरे गली में गुल्ली डंडा या कंचे ही खेल रहे हों और छटे आवारा हों और पढ़ने के नाम पर किताब उठाकर भी न देखते हों ,पर हमारा जवाब होगा ,भैया बड़े लायक बच्चे हैं बस बड़ा होने पर कोई I A S और कोई इंजीनियर वगैराह तो बन ही जाएगा ,|
आपकी सेवा वगैराह करते हैं ना ?
चाहे उनको रोजाना सोते से उठाना या स्कूल कॉलेज जाने के लिए म्हणत करनी पड़ती हो पर हमारा जवाब होगा ,भैया अच्छे बच्चे हैं बड़ी सेवा करते हैं रात को तो मालिश कराते कराते ही नींद आ जाती है भगवन ऐसे ही २ या ४ बच्चे आपको भी दे |
और काम काज कैसा चल रहा है ?
यदि अपना बिज़नेस है काम काज नहीं चल रहा ,घर खर्च चलाने लायक भी कमाई नहीं हो रही है ,कर्ज लेने वाले पीछे पीछे घूम रहे हैं ,पर jawab हॉगा भाई इतना काम है कि फुर्सत ही नहीं मिलती ,बस सारे दिन दिमाग खराब रहता है काम कर कर के तब कहीं जाकर महीने में लाख रुपया मिल पाता है |
और आपकी सेहत कैसी है ?
चाहे शरीर में रोगों ने घर बना रखा हो जैसे कि बी पी से लेकर शुगर ,piles ,कमर में दर्द ,हाथ पैरों में दर्द ,खांसी नजला जुकाम सभी बीमारियां हो रही हैं पर हमारा जवाब होता है भाई स्वास्थ्य बिलकुल ठीक है कोई रोग राग नही है ,बस कभी कभी टांगों में दर्द हो जाता है |
         अब सोचने का विषय ये है कि आखिर हम बिना मतलब के भी इतना बड़ा झूठ कैसे बोल लेते हैं क्योँ बोलते हैं ,क्या सामने वाले को अपने बारे में कुछ भी भान नहीं होने देते ,सब कुछ झूठ ही झूठ , और ऐसा मेरे देश कि सम्पूर्ण जनता ही करती है ,आखिर क्योँ कृपया इसका जवाब अवश्य दें ?

Sunday, March 29, 2015

इश्क़ ही करना है तो
अपनी जोरू से करके देखिये
माशुका बन जायेगी तुम्हारी
तुम्हे अपना आशिक़ समझकर
तोड़ देगी सारे रश्मो रिवाज
तुम्हें अपना मजनू बनाने के लिए  
भीड़ जाएगी  सारी दुनिया से
तुम्हारी लैला कहलवाने के लिए |

Saturday, March 28, 2015

इश्क़ एक जूनून है
इसके पट ना खोलिए
जो भी मजनू बन गया
उसके बर्तन बिक लिए
माशुकाओं के चक्कर में पड़
कितने ही अंदर हो लिए
बचे खुचे जो रह गए
वो  सब कब्रों में सो लिए |

दादा साहब फाल्के पुरस्कार और भारत रत्न

मैं आज तक एक बात नहीं समझ पाया "दादा साहेब फाल्के पुरस्कार "आखिर तभी क्यों दिया जातां है जब की वो या तो मृत्यु को प्राप्त कर चूका होता है अथवा मरणासन्न स्तिथि में होता है या फिर उसके जीवन के अंत में  कुछ ही दिन बाकी होते हैं |
क्या इसके पीछे भी कोई लॉजिक है ,
या जो पुरस्कार राशि दी जाती है वो उसके हर्ज मर्ज में काम आ जाए ,
या यदि उस पुरस्कार वाले व्यक्ति ने अपनी अगली पीढ़ी के लिए कुछ नहीं छोड़ा तो अंतिम समय सरकार धन राशि देकर उनके लिए कुछ छोड़ जाने की अभिलाषा को पूर्ण कर देती है ,
या फिर उस व्यक्ति पर कुछ कर्जा वगेरह चढ़ा हो तो वो उसे चुकाकर आराम से मृत्यु के प्राप्त कर सके ,
या फिर तत्कालीन सरकार ये पुरस्कार देकर खुद को गौरान्वित करने का प्रयत्न करती है ,
या सतकर्म करने वालों को उसके बदले में कुछ कर देने का दम्भ भरने के लिय ऐसा कुछ करती है |
इसी प्रकार से' भारत रत्न "का खिताब देने में भी कुछ कुछ ऐसा ही करती है ,अभी कल आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत रत्न से नवाजा गया वो भी उनके घर जाकर ,यद्यपि ये एक अच्छा कदम है की एक अच्छे व्यक्ति को सम्मान उसके घर जाकर भी दिया जा सकता है ,परन्तु जब आदरणीय महामहिम प्रणव मुखर्जी उनको भारत रत्न प्रदान कर रहे थे तो शायद उनको ये भी पता नहीं था की उनके साथ क्या हो रहा है ,नाही वो कुछ बोल रहे थे और नाही कुछ शायद देख भी रहे थे उनकी ग्रीवा एक तरफ को झुकी हुई थी अब ऐसे पारितोषिक का भी क्या लाभ की प्राप्त करने वाले को पता ही न लगे ,यदि ये पुरस्कार उनको अब से ५ या १० वर्ष पहले दे दिया जाता तो उसके प्राप्त करने का आनंद ही कुछ और होता ,चलो देर आये दुरुस्त आये .
पर में देश के कर्णधारों से प्रार्थना करूँगा की वो दादा साहेब फाल्के अथवा भारत रत्न जिन महानुभावों को भी प्रदान करे कृपया समय के रहते ही दे दें अथवा ऐसी बुरी स्तिथि में देने का कोई फायदा नजर नहीं आता क्योँकि अक्सर मैनें ऐसे महानुभावों को पुरस्कार प्राप्त करते ही कुछ ही समय के अंतराल में स्वर्गवासी होते देखा है जिसके कारण मेरा ह्रदय प्लावित होता है |






Friday, March 27, 2015

सूक्ष्म दृष्टि

मैं रोता रहा
वो हँसते रहे
वो जख्म देते रहे
मैं हँसता रहा ,
वो गम देते रहे
मैं भुलाता रहा
वो आंसू देते रहे
मैं पीता रहा ,
मैं श्रम करता रहा ,
वो उदरपूर्ति करते रहे ,
मैं लाता रहा
 वो लगाते रहे ,
मैं भाई कहता रहा
वो दुश्मन समझते रहे
मैं जलता रहा
वो जलाते रहे ,
मैंने मंदिर बनाया था
वो शमशान बनाते रहे
मोहवश मैं दबता रहा
वो दबाते रहे ,
मैंने कुछ  बोला
वो टालते  रहे 
मैं सुख देता रहा
वो मुझे सताते रहे ,
मैं दुलार करता रहा
वो दुश्मनी निभाते रहे
मैं उनको दूध पिलाता रहा
वो मेरे बच्चों को
विष पिलाते रहे |














Friday, March 20, 2015

अंतर

सभी अनभिज्ञ हैं
कि क्या लुप्त है                                                                          
भविष्य के गर्भ में                        
सभी स्वयं के                             
अनुमान लगाते हैं                      
सदैव इस संदर्भ में |

         दो 
जो कभी असत्य था
आज वो सत्य क्योँ है
जो कभी  सत्य था
वो आज असत्य क्योँ है
क्या कोई मुझे बताएगा
सत्य और असत्य में   
अंतर क्या है            

Thursday, March 12, 2015

भलाई

"भला करने वाले तू भलां किये जा
भलाई  के बदले बुराई लिए जा ,"
जी हाँ ,आप जिस किसी का भी भला कर रहे हैं और वो आपकी भलाई का अहसान भी नहीं मानता तो कोई बात नहीं आप अपने मार्ग पर प्रसस्त रहिये और उससे आकांक्षा भी मत करिये ,तो समाज ऐसे लोगों को अहसान  फरामोश कहता है ,और" अहसान फरामोश को तो भगवान नरक में भी स्थान नहीं देता ,जिसके कारण उसको इसी  पृथ्वी पर भूत प्रेत या पिशाच बन कर ही रहना पड़ता  है और जन्म जन्मों तक भटकता रहता है ,और हाँ एक बात और ,
यद्यपि वो व्यक्ति शारीरिक तौर पर या अहंकार वश आपके भले कार्य की ना तो उचित तरीके से प्रशंसा करता है और नाही उसे स्वीकारता  है परन्तु उसकी अंतरात्मा सदैव उसको अच्छा या भला ही स्वीकारती है तो जिसके कारण आपको लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है ,
और उसकी आत्मा सदैव उसे धिक्कारती रहती है जिसके कारण वो शमन या शन्ति को भी प्राप्त नहीं होता |
याद रखिये भले काम का नतीजा भी भला ही होता है | 

Monday, March 2, 2015

नाइंसाफी

जीते जी जिस बन्दे को लोग
झूठा ,बेईमान ,ठग ,धोखेबाज कहते हैं ,
मृत होने पर उसके मुर्दे शरीर को
रस्ते भर झुक झुक कर आदाब करते हैं ,
दफनाते या जलाये जाते वक्त में
दुनिया भर का नायाब इंसान कहते हैं ,
या खुदा ये कैसा इंसाफ है तेरे बन्दों का
जो जिन्दों से ज्यादा मुर्दों का ख्याल रखते हैं |

Saturday, February 14, 2015

रात्रि आगमन के आनंद की अनुभूति

यदि कोई व्यक्ति रात्रि के आगमन होने पर उसके द्वारा प्रदत आनंद की  अनुभूति को प्राप्त करने में सक्षम नहीं है
या अनुभव नहीं कर पाता है तो या तो वो मानसिक रोगी है ,या धनोपर्जन में लीन है या संसर्ग से तृषित है अथवा असंख्य बीमारियों का घर है ,हां इतना जरूर है की वो गरीब मजदूर या सत्यवादी और ईमानदार व्यक्ति नहीं हो सकता |

आखिरी swaanse

जीवन के अंतिम क्षणों में जब मनुष्य मृत्यु शैया पर पड़ा पड़ा अपने सम्पूर्ण जीवन के सुकर्मों और कुकर्मों का अवलोकन करता हुआ उनका विश्लेषण करता है तो समीपस्थ पड़ी हुई ,और मिलते हुए  सभी प्रकार की सुख सुविधाओं का  उसको उनका अनुभव नहीं होता यानी की वो अवलोकन करने में इतना निग्मन हो जाता है कि उधर ध्यान ही नहीं जाता ,काश वो इतना ही मग्न यदि अपने पूर्ण जीवन में हो जाता तो आज उसे ये दिन देखना ही नहीं पड़ता,
ऐसा में कुछ बुजुर्गों से जो की मृत्यु शैया परपड़े हुए थे ,उनसे  वार्तालाप करके  लिख रहा हूँ और उनका अंतिम वाक्य होता था की कर्मों से बढ़कर कुछ भी नहीं है ,इसलिए मनुष्य कुछ करे या ना करे परन्तु कर्म सदैव ही अच्छे करने चाहिए


Monday, February 9, 2015

इंतहा हो गई
तुम्हारे इन्तजार की
बेकरारी हो रही है
तुम्हारे इकरार की
तलाश हो रही है
किसी ख़ैर ख्वाह की
इबादत  करने को
दिल बेचैन, किसी मजार की ,

Saturday, January 17, 2015

किरण बेदी जी आये 
या कांग्रेस की किरण वालिया 
कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगी 
मुख्य मंत्री केजरीवाल जी का 
जितना सोर मचाएंगी शाजिया
उतना ही पढ़ा जाएगा फातिया 
आप की आंधी में दो बार हारी 
अब क्या तीर मारेंगी शाजिया ,

 

Thursday, January 15, 2015

क्रोध का प्रकोप

क्रोध किस प्रकार के लोगों पर हावी होता है ,
सत्यवादी ,अहंकारी ,कर्मठ  परोपकारी  शारीरिक रूप से  कमजोर और अराजनीतिग्यऔर कभी कभी अत्यंत शांतिप्रिय और ऋषि मुनि लोगो पर भी '
क्रोध किस प्रकार के लोगों पर असर नहीं करता ,
झूठे ,बेईमान ,धूर्त ,राजनीतिज्ञ ,देशद्रोही ,स्वार्थी ,हरामखोर ,और मक्कार लोगों को |

Saturday, January 10, 2015

मोदी जी की रैली

आज मोदी जी की रैली रामलीला मैदान मैं थी ,लगभग आप सभी ने दूरदर्शन पर रैली का आनंद अवश्य लिया होगा और उससे भर्मित भी अवश्य हुए होगे ,मैं कुछ बातें आपसे शेयर करना चाहता हूँ ,कृपया उनका जवाब भी देना चाहे तो अवश्य ,हाँ और ना में दे दीजियेगा |
भाजपा के बड़े बड़े नेताओं ने रैली में आने वालों की संख्या की घोषणा की थी की काम से काम एक लाख व्यक्ति अवश्य आएंगे ,क्या आपको लगा की रैली में एक लाख आदमी थे ?
मेरे हिसाब से मुश्किल से ५० से ६० हजार व्यक्तियों ने शिरकत की ,
क्या रैली में महिलाओं की संख्या थी
मेरे हिसाब से महिला नाम मात्र को भी नजर नहीं आई ,यदि आपने भाजपा की स्त्री शक्ति देखि हो तो बताइये ?
क्या भीड़ को देखकर मोदी जी और अमित शाह जी खुश थे या चिंतित नजर आ रहे थे क्योँ ?
मेरे हिसाब से दोनों ही बहुत चिंतित थे और उनके हिसाब से प्रोग्राम के मुताबिक जनता नगण्य थी ,
आपके हिसाब से दिल्ली वाले कितने लोग या दिल्ली वासियों की कितनी संख्या होगी ?
मेरे हिसाब से तो १० हजार भी दिल्ली वासी नहीं थे खली बड़े बड़े नेता मंच पर बैठने के लिए आये थे
क्या वास्तव में मोदी जी को शासन करना आता है तो कैसे ?
मेरे हिसाब से शासन नहीं तानाशाही आती है ,
मोदी जी का नया वायदा २०२२ तक दिल्ली में सभी झुग्गी वासियों को मकान दिए जायेंगे ,क्या वास्तव में वो दे पाएंगे या नहीं ?
मुझे उम्मीद नहीं है क्योँकि ऐसे वायदे लगभग सभी सरकारें करती आई हैं परन्तु आज तक किसी ने वायदा पूरा नहीं किया ,ये तो एकं लोली पाप दिया जा रहा है
२०२२ का क्या पता भारत में तो कल का भी किसी को पता नहीं क्या मोदी जी जानते हैं कि २०२२ तक वो प्रधानमंत्री भी रहेंगे या नहीं |
मोदी जी ने कहा हमने महंगाई काम कर दी ,मेरे हिसाब से तो महंगाई भाजपा ने बढाई है ,शायद मोदी जी को अब चाय ,सब्जी दाल  खरीदनी नहीं पड़ती इसी लिए उनको दाल आते का पता नहीं है ,हां आंकड़े उन्होंने जरूर घटाई है |
मोदी जी ने केजरीवाल को निशाना बनाते हुए कहा की जिसको जो काम आता है उसे वही काम करना चाहिए ,इस हिसाब से तो उनको bachpan से चाय बेचनी आती है तो उनको चाय ही बेचनी चाहिए ,शासन वो खुद भी नहीं कर सकते ,केजरीवाल तो फिर भी पढ़े लिखे आदमी हैं वो तो कुछ भी कर सकते हैं |
दिल्ली में रैली की भीड़ देखकर क्या आपको लगता है किदिल्ली की जनता चुनाव में भाजपा को वोट देकर जीत दिल वायेगी ,
मुझे नहीं लगता की दिल्ली में भाजपा जीतेगी 
मेरी अपनी राय के मुताबिक़ दिल्ली की जनता बेवक़ूफ़ नहीं है जो की ठोकर खाकर भी संभालना नहीं जानती वो दिल्ली की कुर्सी पर किसी भी बड़बोले को मुख्य मंत्री नहीं बना सकती 
आज  फिर मोदी जी और अमित शाह ने फिर वही पुरानी घिसी पिटी झूठी बातें करके जनता को मात्र गुमराह करने वाला  काम किया है नया कुछ भी नहीं |