Sunday, July 25, 2010
दिल्ली में आतंक का माहौल
पिछले कुछ समय से दिल्ली में त्राहि -त्राहि मची हुई है ,प्रितिदीन चोरी ,डकेती ,चैन स्नेचिंग ,दिन दहाड़े घरों में चोरों का घुस जाना ,सड़क प़र चलते आदमी को लूटना और फिर गोली भी मार देना ,आखिर ऐसा क्यों हो रहा है इसके बारे में सोचने का किसी के पास भी टाइम कहाँ है ,आखिर कौन हैं ये लोग ,या दिल्ली पुलिश क्या कर रही है ,जो सड़कों प़र घुमते मोटर साइकिल सवारों को भी नहीं पकड़ पा रही ,जब कि पहले तो पुलिश वालों कि कमी का रोना भी रोया जा रहा था ,अब तो २२००० पुलिश वाले और दिल्ली पुलिश में जुड़ गए है परन्तु इसके बावजूद भी घटनाओं और दुर्घटनाओं का ग्राफ बढता ही जा रहा है ,इसको रोकने में दिल्ली पुलिश सक्षम नहीं है है ,लो एंड आर्डर नाम का कुछ बचा नहीं है ,क्या जनता इसी तरह से लुटती पिटती या मरती रहेगी ,क्या पुलिश कमिश्नर डडवाल साहब के पास इसका इलाज है ,वैसे हमारे कमिश्नर साहब कहते हैं कि ये लुटेरे लगभग ९४ % तक नए चेहरे हैं ,कहने का तात्पर्य है कि दिल्ली पुलिश ने पुराने सभी बदमाश ख़त्म कर दिए या जेलों में बंद है ,और वो साथ में एक बात और भी कहते हैं कि दिल्ली में क्राइम पहले कि तुलना में बहुत कम है ,कितने अच्छे आंकड़े है हमारी दिल्ली पुलिश के ठीक अपनी सरकार कि तरह ,प़र वास्तविकता ये है कि जनता के पास काम नहीं है उनका काम सरकार ने छीन कर बड़े बड़े घरों को दे दिया है ,जब सब्जी भाजी तक बी ही मुकेश अम्बानी और दुसरे बड़े घर बेचेंगे तो भला छोटे मोटे वेंडर क्या करेंगे ,जब भूखे मरेंगे तो छीना झपटी ही करेंगे .
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