Friday, March 19, 2010

इस दुनिया में किस प़र विश्वास करें

मैं समझता हूँ कि आज भी इस संसार में ,मैं या मेरे जैसे और भी काफी लोग होंगे जो प्रत्येक जन प़र चाहे वो अपने परिवार का हो अथवा बाहर का जो भी उनके सामीप्य में आता है उस प़र ही विश्वाश कर लेते हैं और जिस प़र भी विश्वाश करते हैं वो ही आदमी चाहे कितना ही अच्छा क्योँ ना हो हमारे जैसे लोगों के साथ विश्वासघात ही करता है अब मैं नहीं समझ पाता कि ये मेरी नियति है अथवा उनकी मजबूरी ,या चालाकी ,जब कि हमारे जैसे लोग उनके हेतु अपने बच्चों के मुंह प़र भी ताला लगाकर उनकी प्रत्येक जरुरत को पूरा करते हैं चाहे वो धन सम्बन्धी हो अथवा सामाजिक या पारिवारिक ,और कितने ही बार तो हम स्वयम देख चुके हैं कि वो हमारे सामने ही हमें बेवक़ूफ़ तक कह देते हैं ,और हमारे पास चुपचाप सुनने के अलावा कोई चारा नहीं होता ,हमारे जैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बाहर के ही नहीं बल्कि अपने घर के वो छोटे भाई बहन जिनको कि हमने खुद आसरा देकर पाला पोसा होता है ,जो कभी हमारा आसरा पाते थे और हम ख़ुशी ख़ुशी उनके लिए हर कार्य करने को तैयार होते थे ,जो आजतक हमने अपने बच्चों को नहीं दिया वो सबकुछ उनको दिया ,उनके लिए जीवन का त्याग किया प़र फिर भी उन्होंने हमारे साथ विश्वास घात किया और हर तरह से बर्बाद करने कि कोशिश कि ,प़र आज तो मैं अपने ऐसे ही एक मित्र के कारण अत्यंत दुखी हूँ और मजबूर हूँ कि उसका नाम भी नहीं लिख सकता ,हाँ इतना जरूर कहूंगा इस तरह के २ मनुष्य मेरे जीवन आये जिनसे मैं किसी भी तरह का आदान प्रदान नहीं करना चाहता फिर भी भगवान् कि माया कि मुझे उन जैसे लोगों के मुंह लगना पड़ता है शायद ये भी मेरी मजबूरी ही समझो ,खैर अभी तो मेरी प्राथना है भगवान् जी से कि जिस संकट में आज फंसा हुआ हूँ मुझे उससे निकाले ,वरना मेरी तो जीवन भर कि म्हणत अगारत जायेगी और एक मुसीबत में अलग से फंस जाउंगा ,हे भगवान् हमारे जैसे व्यक्तिओं को सही रास्ता दिखाओ और हमारे कष्ट दूर करो

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