Sunday, February 28, 2010

होली एक पवित्र त्यौहार

आज होली का पवित्र त्यौहार था इसलिए हम आज अपने परिवार के साथ घर में ही रहे और भाँती _भाँती के व्यंजन बनवाकर खाए और खूब मस्ती की छानी यद्यपि हमने भांग तो नहीं खाया क्योंकि कुछ लोग सोचते होंगे की मस्ती तो भांग खाकर ही आती प़र ऐसा नहीं है मस्ती तो तभी आती जब आपके परिव्वर के सदस्यौं में आपसी ताल मेल बहुत अच्छा हो और सभी स्वास्थ्य हों ,अहंकार रहित और परस्पर प्रेम की भावना हों खैर अभी तो बच्चे छोटे हैं सो अभी तक सबकुछ सही हिउ है आगे का भगवान् मालिक है ,उसके बाद शाम को होलिका दहन हुआ तो हम भी उसमे सम्मिलित हुए और वहाँ के सभी कालोनी के मित्रों से भी होली बधाई का आदान प्रादान हुआ ,सभी अच्छे लोग है ,कल रंग की होली है देखते है कैसा सुन्दर माहौल होगा ,आपसे भी मेरी प्रार्थना है की कल आप ख़ुशी ख़ुशी ,वात्सल्य से ,अहंकार रहित होकर ,छोटे बड़े का भेद भाव मिटाकर होली के रंग से सरोबार हों और आनंद लें

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