संसार में जितने मनुष्य प्रक्र्तिवश अंधे हैं ,उससे कितने ही गुना स्वार्थ वश अंधे हैं ,प्रकृतिवश अँधा व्यक्ति इस संसार की प्रत्येक वस्तु ,जीव जंतु जानवर सहित भाई बंधु पिता माता सभी से अगाध प्रेम करता है ,परन्तु स्वार्थवश अँधा व्यक्ति अपने सिवाय इन सभी में से किसी को भी प्यार नहीं करता,और यदि करता भी है तो उसे जिससे उसकी स्वार्थसिद्धि हो जाए |
Wednesday, May 24, 2017
Sunday, May 21, 2017
MODI JI NE KAHA
मोदी जी ने कहा कि बिना पढ़े लिखे देश कराते हैं बैलट पेपर से वोटिंग,
कितना अटपटा लगता है अपने देश के प्रधानमंत्री जी के मुख से सुनकर ,जब कि वो खुद डिग्री धारी नहीं है ,
मेरे विचार से बिना पढ़े लिखे राष्ट्राध्यक्ष ही करातें हैं E V M से वोटिंग
क्या ख्याल है आपका भाइयो
कितना अटपटा लगता है अपने देश के प्रधानमंत्री जी के मुख से सुनकर ,जब कि वो खुद डिग्री धारी नहीं है ,
मेरे विचार से बिना पढ़े लिखे राष्ट्राध्यक्ष ही करातें हैं E V M से वोटिंग
क्या ख्याल है आपका भाइयो
Monday, May 1, 2017
यारी करो ऐसी करो जैसे लुटिया नीर ,
अपना गला फंसाये के लावे नीर झकोर |
मनुष्य को चन्दन की भांति होना चाहिए क्योँकि वो अपनी शीतलता से सर्पों को भी सुख शांति प्रदान करता है ,और जब कोई व्यक्ति उसको अपने मस्तक पर तिलक स्वरूप धारण करता है तो उसे भी पूर्ण शीतलता प्रदान कर सुख की अनुभूति कराता है ,यानी की दुष्ट और सभ्य के साथ एक जैसा ही व्यवहार करता है ,परन्तु आज के मनुष्यों में इस गुण की भरी मात्रा में कमी है |
अपना गला फंसाये के लावे नीर झकोर |
मनुष्य को चन्दन की भांति होना चाहिए क्योँकि वो अपनी शीतलता से सर्पों को भी सुख शांति प्रदान करता है ,और जब कोई व्यक्ति उसको अपने मस्तक पर तिलक स्वरूप धारण करता है तो उसे भी पूर्ण शीतलता प्रदान कर सुख की अनुभूति कराता है ,यानी की दुष्ट और सभ्य के साथ एक जैसा ही व्यवहार करता है ,परन्तु आज के मनुष्यों में इस गुण की भरी मात्रा में कमी है |
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