Friday, July 2, 2010
आखिर इतने दिन बाद क्यों ?
सभी ब्लॉगर भाई सोच रहे होंगे कि आखिर इतने दिन तक मैं कहाँ रहा और ब्लॉगर प़र लिखना क्यों छोड़ दिया तो भाइयो मैं आपको बता दूँ मेरे अपनों ने जिनमे मेरी सोतेली माँ ,२ छोटे भाई और एक बहन जिन सब को पाल पोश कर मैंने बड़ा किया उनकी शादियाँ ,उनको बिजनेस ,उनको चुनाव आदि लड़ाकर ,नेता बना कर ,यानी के अपने पिताजी कि म्रत्यु के बाद सम्पूर्ण घर का भार उठाया और गरीबी कि रेखा से ऊपर उठाकर इस काबिल बनाया कि वो एक अच्छे समाज में बैठ सके और अच्छे आदमी बन सके का भार उठाया प़र वो बजाय अच्छे बन्ने के घटिया ही बने रहे ,उनको मैंने अपना सर्वस्व तक दे दिया ,ले देकर एक मकान और इज्जत बची थी उसको भी वो छीनने कि फिराक में लगे रहते है ,दुसरे वो चाहते हैं कि मुझे कहीं ना कहीं फंसा कर रखें ताकि मैं उन्नति ना कर सकूँ और उनका असरिया बना रहूँ इस लिए उन अपने परिवार के लोगों ने मिलकर मुझे ससुराल भेज दिया था सो मई वहाँ प़र कुछ दिन बिता कर आया हूँ दुसरे आप जानते हैं कि ससुराल कि खुमारी आसानी से उतरती नहीं इसलिए मैं आपसे भी संपर्क ना कर सका वैसे उनका इरादा अभी भी मुझे दोबारा ससुराल भेजन इ का है क्योंकि मैं अपना मकान और इज्जत उनकी भेंट चदानी नहीं चाहता प़र उन सबकी कोशिस यही है कि वो किसी भी तरह शाम दाम दंड भेद से ये घरोंदा मुझसे छीन लें ,इस बारे में मेरा एक शेर है "मेरे अपने लगे रहे सदा इसी फ़िराक में ,जलता रहूँ मैं हमेशा बाटी जले चिराग में "Show
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आराम से आईयेगा...वो ज्यादा जरुरी काम हैं. यहाँ तो किसी तरह काट लेंगे. शुभकामनाएँ.
ReplyDeletepriy bandhu ji aapne jo comment mujhe bhejaa hai mai theek tarah se uskaa matlab nahin samajh sakaa ,krpyaa vistaar poorvak likhen
ReplyDeletedhanywaad sahit