Sunday, July 13, 2014

ख़्वाब शेर

ख़्वाब में नूर ऐ हुश्न को देखा
तो बल्लियों उछलने लगे 
नृत्य किया उसके साथ तो
 खुद को नवाब समझने लगे 
ख़्वाब जब टूट गया तो
खुद को मनहूस कहने लगे
बेगम ने पूछ लिया तो
शर्म से गाल लाल हो गए |

Tuesday, July 8, 2014

क्या मुस्लिम भाई कुछ रौशनी डालेंगे

क्या मुलिम भाई १५वि शताब्दी से पहले के अपने इतिहास पर कुछ रौशनी डालने की कृपा करेंगे?
क्या वो इस  शताब्दी से पहले भारत में रहते थे ,यानी कभी  भारत के बाशिंदे थे ?
यदि बाशिंदे थे तो वो किस प्रांत  ,(सूबा )या स्टेट में रहते थे और उस वक्त उनको जनसंख्या  कितनी थी ?
और वो किस खानदान ,या कबीले के सदस्य थे ,
क्या उनको पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता थी ?
उस वक्त भारत में किन लोगो ,जातिय (समुदाय ) का राज्य था यानी कि कौन सा वर्ण राज्य करता था ,
यदि वो भारत में नहीं थे तो तो वो भारत में कब आये ,और कहाँ से आये ,
और अपने साथ अपनी सभ्यता और संस्कृति के हिसाब से क्या क्या साथ लेकर आये थे ,
या फिर मुग़ल बादशाह बाबर के साथ भारत में आये थे और फिर उनकी संताने भारत में ही बस गई और यदि सभी मुग़ल आज भारत में हैं तो वो इस वक्त कहाँ और किस prdesh में हैं ,
यदि सभी मुस्लिम भाई मुग़ल खानदान  से संबंधित हैं तो ओरंगजेब के जमाने के कनवर्टेड हिन्दू अब कहाँ चले गए हैं या वो भी आज भारत में ही हैं 
आज देखने में आता है कि जो जाती या वर्ण जैसे राजपूत ,चौधरी ,मालिक जायसी ,चौहान ,राणा ,सकलानी ,राणावत ,शेखावत ,राजावत , और बहुत कुछ शब्द हैं जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों में ही मिलते हैं इसका क्या कारण है ,
मैं ये सबकुछ मात्र अपनी जानकारी और इतिहास कि तह में जाने के लिए लिख रहा हूँ  कोई भी हिन्दू या मुस्लिम भाई इसे अन्यथा ना ले ,यदि कोई हिन्दू भाई भी इस लेख पर प्रकाश डालना चाहे तो उसका भी स्वागत है |

Monday, July 7, 2014

अश्क़ बहते हुए देखकर
भला पसीना किसका नहीं छूटता
तपस भरी हो अगर जिस्म में
भला लावा किसका नहीं फूटता
इश्क़ जब कुलाचें मारता है तो
उलटा सीधा कुछ नहीं सूझता
दिल आ जाए गर गधी पर तो
हंसनी भी लगती है बदसूरत बेवफा,

Tuesday, July 1, 2014

वो कहती हैं कभी हम
बेजुबान हुआ करते थे
ठीक गधे की मानिंद ,
पर अब वो कहती हैं
हम बदजुबान हो गए हैं
ठीक आदमी की मानिंद,
इतना फर्क आने का
आखिर ये माजरा क्या है
पहले तुम खफा थी हमसे
अब हम तुमसे खफा हैं