Saturday, February 14, 2015

रात्रि आगमन के आनंद की अनुभूति

यदि कोई व्यक्ति रात्रि के आगमन होने पर उसके द्वारा प्रदत आनंद की  अनुभूति को प्राप्त करने में सक्षम नहीं है
या अनुभव नहीं कर पाता है तो या तो वो मानसिक रोगी है ,या धनोपर्जन में लीन है या संसर्ग से तृषित है अथवा असंख्य बीमारियों का घर है ,हां इतना जरूर है की वो गरीब मजदूर या सत्यवादी और ईमानदार व्यक्ति नहीं हो सकता |

आखिरी swaanse

जीवन के अंतिम क्षणों में जब मनुष्य मृत्यु शैया पर पड़ा पड़ा अपने सम्पूर्ण जीवन के सुकर्मों और कुकर्मों का अवलोकन करता हुआ उनका विश्लेषण करता है तो समीपस्थ पड़ी हुई ,और मिलते हुए  सभी प्रकार की सुख सुविधाओं का  उसको उनका अनुभव नहीं होता यानी की वो अवलोकन करने में इतना निग्मन हो जाता है कि उधर ध्यान ही नहीं जाता ,काश वो इतना ही मग्न यदि अपने पूर्ण जीवन में हो जाता तो आज उसे ये दिन देखना ही नहीं पड़ता,
ऐसा में कुछ बुजुर्गों से जो की मृत्यु शैया परपड़े हुए थे ,उनसे  वार्तालाप करके  लिख रहा हूँ और उनका अंतिम वाक्य होता था की कर्मों से बढ़कर कुछ भी नहीं है ,इसलिए मनुष्य कुछ करे या ना करे परन्तु कर्म सदैव ही अच्छे करने चाहिए


Monday, February 9, 2015

इंतहा हो गई
तुम्हारे इन्तजार की
बेकरारी हो रही है
तुम्हारे इकरार की
तलाश हो रही है
किसी ख़ैर ख्वाह की
इबादत  करने को
दिल बेचैन, किसी मजार की ,