Monday, March 22, 2010

तारीख २२/०३ /१०

आज सम्पूर्ण दिन एक ही विषय प़र सोचते रहे कि ,एक ही माँ बाप कि ओलाद ,एक ही कोख से जन्म लिया ,एक जैसा ही पालन पोषण हुआ एक जैसा ही प्यार मिला ,रहने सहने के लिए एक जैसा ही वातावरण ,एक जैसा ही खान पान ,एक ही स्कूल ,वो ही टीचर ,फिर भी उन तीनो भाइयों में ,बहुत बड़ा अंतर ,आखिर क्यों ? मेरी समझ में नहीं आ रहा क्योंकि एक भाई ने तो परिश्रम के बल प़र सत्यता और इमानदारी से सम्पूर्ण परिवार को पाला पोशा ,सम्मान दिलवाया ,उच्च प्रितिष्ठित समाज के लोगों से जान पहिचान भी कराई ,दान दया धर्म को कभी छोड़ा नहीं ,वहीँ प़र दूसरा भाई एक दम छाता हुआ झूट बोलने में माहिर ,सच कभी बोलता ही नहीं ,बड़े भाई से लाखों रुपया लेने के बाद भी उसका कभी पोत पूरा ही नहीं पड़ता ,काफी समझाने के बाद भी लोगों को तंग करना ,उनके मकान आदि किराए पे लेकर उनसे पैसे वसूलना ,.जिससे रुपया ले लेवे उसे वापिस नहीं करना केवल इसी फिराक में लगे रहना कि किस आदमी से कैसे पैसे वसूलने है यानी के अपने पास एक आतंक का माहोल तैयार कर लिया और लोग डरने लगे क्योंकि जो नहीं मानता उसको पुलिस आदि से परेशान करवाना या उसपर मुकद्दमा ठोक देना ,ऐसे ही कार्य करता है और अब बच्चे भी (२ बेटे )उसी कि तरह से हो गए ,सब मिलकर बनी बनाई इज्जत को ख़ाक में मिला रहे हैं ,वहीँ तीसरा भाई उसके विचारों से सहमती रखता है उसी कि तरह दान दया धर्म से उसका कोई मतलब नहीं अगर पैसे जेब में नहीं हैं तो भिकारी से भी छीन लेना ,उलटे सीधे जुगाड़ करके पैसा कमाना ही उसका भी धर्म है ,यानी तीनो भाइयों में जमीन आसमान का फर्क क्यों आ गया ,क्या ये खाली सौबत का असर है अथवा मानव के जींस का ,क्रप्या आप यदि बता सकते हैं तो मेरी समस्या का निराकरण अवश्य करें

No comments:

Post a Comment