Friday, May 30, 2014

दोस्त की बात याद आ गई तो बहुत कपडे सिला लिए मैंने भी

मैं एक दिन अपने  दोस्त के   दफ्तर में बैठा था तो वो मुझसे बोला यार चांदनी chouk चलना है मैंने कहा क्योँ ,वो बोला कुछ कपडे खरीदने हैं वहाँ जाकर उसने लगभग ९० जोड़ी कपडे अपने लिए खरीदे ,मै बोला यार तू पागल हो गया है क्या ,कपड़ों पर ज्यादा पैसा खर्च करना बेवकूफी है ,फैशन बदलते रहते हैं ,नए नए कपडे आते रहते हैं ,फिर ज्यादा कपडे हों तो केयर भी नहीं हो पाती ,दीमक ,कीड़े लगने का डर,यानी की सभी प्रकार नुकसान ही नुक्सान है ,जब मै उसको सबकुछ बोल चुका तो फिर वो बोलने लगा की सुन ,लाख रूपये की एक ही बात बताऊंगा ,
वो बोला भाई आज मेरा व्यापार अच्छा चल रहा है मेरे पास धन की कमी नहीं है खूब आ रहा है खूब जा रहा है ,मै और मेरा pariwaar खूब मजे ले रहे है ,व्यापार का क्या पता कब दिवाला निकल जाय और मै पैसे पैसे के लिए मोहताज हो जाऊं ,तब मुझे ३ चीजों की जरूरत होगी रोटी कपड़ा और मकान ,रोटी तो आदमी कहीं भी जाकर खा लेगा मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा लंगर ,यार दोस्त रिश्तेदार किसी के यहाँ भी जाएगा रोटी मिल जायेगी ,मकान मेरे पास रहने के लिए है ही ,कोई परेशानी नहीं होगी ,अब यदि मेरे पास कपडे नहीं होंगे तो मै क्या पहनूंगा ,नंगा घूमूँगा तो कोई पास नहीं बिठाएगा ,उधार मांगूंगा तो कोई उधार नहीं देगा ,मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा फाटे  पुराने कपड़ों में जाऊंगा तो कोई khaane को दे या ना दे भिखारी जानकार भगा भी देंगे नौकरी मांगने जाऊंगा यदि अच्छे कपडे नहीं होंगे तो कोई नौकरी भी नहीं देगा ,फाटे पुराने में घूमूँगा तो इज्जत भी चली जायेगी कोई अपने यहां शादी ब्याहों में भी नहीं बुलाएगा ,ऐसी बहुत सी बाते हैं जिसके कारण मैंने ९० जोड़ी कपडे सिलवाये हैं .एक तो ये कपडे हर तरीके से मेरी इज्जत को ढाप कर रखेंगे ,किसी को पता भी नहीं चलने देंगे की मेरा दिवाला निकल चुका है ,और कपड़ों के भुलावे में आकर कोई ना कोई शरीफ आदमी मेरी हेल्प भी कर सकता है होसकता है की अपना व्यापार दोबारा खड़ा कर सकूँ ,
और देखों इन ९० जोड़ी कपड़ों में मै काम से काम ४ जोड़ी भी १ साल में इस्तेमाल करूंगा तो २३ साल तो निकल ही जाएंगे ,अब मेरी उम्र ५० साल है इसलिए ५० +२३ =७३साल हो सकता है फिर मेरी राम राम सात हो जाए क्योंकि इतनी उम्र आजकल होती है ,तो भाई इन ९० जोड़ी कपड़ों के sahaare इज्जत से रह सकूंगा ,खा सकूंगा ,मर सकूंगा ,
और मजे की बात बता दूँ की उस मेरे दोस्त का कुछ दिन बाद ही दिवाला भी निकल गया और १५ साल तक वो दिल्ली में रहा और मैंने जब भी उसे देखा उन्हीं अच्छे कपड़ों में देखा ,पर उसका चेहरा लटका रहता था ,शायद वो उस बात को भूल गया था पर मुझे याद थी ,उसके कुछ दिन बाद वो अमेरिका चला गया अब वहीँ पर व्यापार कर रहा है ,कहते हैं की वो वेल सेटल्ड है ,
इसलिए भाई मैंने भी और बहुत से देश के लोगों और नेताओं ने इतने कपडे सिल्वा लिए हैं की कल को कुछ भी हो पर हमारी हवा तो कपड़ों के बल पर वैसी ही रहेगी ,उसमे अंतर नहीं पडेगा | जय हिन्द 












 

मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो

मैंने अपने २ अप्रैल २०१४ के लेख में लिखा था  कि यदि मोदी प्रधानमंत्री  बने तो देश में भूकम्प आ जायेगा,आंधी और तूफ़ान आएंगे ,महंगाई बढ़ जायेगी ,फसलें नष्ट हो जाएंगी , तो वो भी ६ कि तीव्रता वाला भूकम्प आ गया ,आंधी और  तूफ़ान आज आ गए जिनमे दिल्ली राजधानी में ही सैंकड़ों पेड टूट कर गिर गए ,कितनी ही गाड़ियां टूट फुट गईं ,बिजली घंटों तक गुल रही ,चारों और हाहाकार सा मच गया ,ट्रेफिक जाम हो गया ,
आम की फसल नष्ट हो गई ,और भी तरबूज खरबूजे ,खीरे की फसल नष्ट हो गई ,
लगभग सभी दालें १०० रूपये से ऊपर चली गई ,आता भी 20 रुपया किलो तेज हो गया ,जिससे गरीब मार हो गई बिजली और पानी की किल्लत दिन प्रितिदिन बढ़ती ही जा रही है ,जनता दुखी है .अच्छे दिन भी जो की मोदी जी लाये हैं जनता को बुरे लगने लगे ,
कैसी है हमारे देश की जनता मिनटों में केजरीवाल अच्छे लगने लगते है .और फिर थोड़ी सी देर में मोदी जी ,और अभी ४ दिन बीते हैं तो कांग्रेस का गीत अलापने लगे ,क्या होगा इस देश का ,
मेरी मोदी जी से करबद्ध प्रार्थना है की वो इस देश की जनता के लिए कोई जादुई चिराग ढूंढ़ कर लाएं जो वर्षों का काम महीनों में और महीनों का काम दिनों में ,और दिनों का काम घंटों में और घंटों का काम मिनटों में कर दे ,और ये आपकी जय जयकार करते रहे ,वार्ना मोदी जी ये तो लुढ़कने वाले लोटे हैं ,किसी भी और लुढक जाएंगे ,फिर मत कहना की मुझे पता नहीं था |
वैसे ये जो सम्पूर्ण घटनाएं जैसा की ऊपर लिख चुका हूँ जो हो रही हैं और १३ का आंकड़ा आपके और आपकी 
सरकार हेतु कुछ अच्छा नहीं है |कृपया माफ़ करना









सरकार के लिए बहुत अच्छा नहीं है 

एक कहावत थी

एक कहावत थी
उनके लिए जिन अभिभावकों के घर मात्र पुत्रियां ही होती थीं,पुत्र नहीं
जोड़ जोड़ मर जाएंगे
चौखन्डे और गोल
माल जमाई खाएंगे
ससुरे की जय बोल ,
परन्तु अब ये कहावत बदलकर उन अभिभावकों के लिए जिनके घर पुत्र ही पुत्र हैं ,पुत्रियां नहीं ,
जोड़ जोड़ मर जाएंगे
चौखन्डे और गोल
माल बहुएं खायेंगी
ससुरे की जय बोल
क्या तर्क सँगत है या नहीं ,यदि है तो क्योँ ?और तर्कसंगत नहीं है तो क्योँ ?

Thursday, May 29, 2014

मोदी जी आ गए
अच्छे दिन लाएंगे
पहली जुलाई से दिल्ली में
बिजली के दाम ड्यौढ़े हो जाएंगे ,
अभी तक यूनिट से बिल लेते थे
 अब लोन के पैसे भी वसूले जाएंगे
ऊपर से सरचार्ज भी लगाया जाएगा
हम तो मोदी जी के गीत गाएंगे
तभी तो अच्छे दिन आएंगे

Monday, May 26, 2014

क्या मोदी जी न्याय कर पाएंगे

ऐरो को भी बुलाया
गैरों को भी बुलाया
नत्थू खेरों को भी बुलाया
पर बचपन जिनके साथ बिताया
उनको मुंह तक भी ना लगाया ,
चाय वालों को भी बुलाया
चाल वालों को भी बुलाया
खोखे  वालों  को बुलाया
ढोकले वालों को बुलाया
परं जिन्होंने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया
उनको मुंह से बोलकर भी ना बुलाया ,
देसी भी आये विदेशी भी बुलाये
दोस्त भी आये दुश्मन भी बुलाए
सभी नाते रिश्तेदार घर बैठे रहे
अपने बुलावे की आस लगाए 
पर जिन्होंने पेट काटकर निवाले खिलाये
उनको भी ना निमंत्रण भिजवाया ,
जिस व्यक्ति ने इतने बड़े समारोह में
अपने परिवार वालों को नहीं बुलाया
माली हालत कमजोर होने के कारण
भाई ,बहन भाभी ,भतीजे ,भतीजी जैसे
ना भूलने वाले रिश्तों को भी भुलाया ,
और तो और जो पत्नी पिछले ४३ वर्ष से
पतिव्रत धर्म का पालन कर रही है
मोदी जी को पति मान व्रत कर रही है
उसे भी समारोह तक  में नहीं बुलाया ,
में कैसे विश्वास  करूँ कि वो व्यक्ति
देश को नै दिशा और दशा दे पायेगा |


















Thursday, May 22, 2014

वाणी से क्या क्या और क्योँ निकलता है

वाणी से क्या क्या और क्योँ निकलता है ,
वाणी वही  सब कुछ उगलती है जो कुछ व्यक्ति के ह्रदय में भरा होता है ,यदि ह्रदय में गंदगी भरी है तो वो गन्दी गन्दी ,बुरी बुरी गालियों का प्रयोग करता है जैसा की हम कुछ मित्रों को फेस बुक पर लिखते हुए देख चुके हैं ,यदि प्रेम भरा है तो वो प्रेम पूर्ण कविताएँ और विचार प्रस्तुत करते हैं ,यदि क्रोध भरा है तो ज्वलनशील विचारों से फेसबुक के पन्नों को जलाकर राख कर देते हैं ,यदि वीरता और शौर्य उनके ह्रदय में है तो वो वीरत्व से परिपूर्ण लेख लिखते हैं ,यदि जिनका ह्रदय राजनीति से ओतप्रोत है तो वो राजनितिक घटनाओं और संभावनाओं का जिक्र ही करते हैं ,कहने का तातपर्य यही है वाणी ,ह्रदय रुपी शब्दकोश से चुने हुए शब्दों को ही प्रसारित करता है अन्य कुछ नहीं ,
परन्तु कुछ लोग बहुत ही समझदार होते हैं उनके पास अच्छे शब्द ना होते हुए भी वो जो भी टूटे फूटे शब्द होते हैं उनको ही जोड़ तोड़ करके अच्छे शब्दों की माला बनाकर अपनी वाणी से प्रस्तुत कर देते हैं फिर वाणी भी उनकी दासता स्वीकार कर लेती है |

Monday, May 19, 2014

एक वर्ण ऐसा भी है

हिन्दूओं को ऋषि मुनिओं ने चार वर्णों में बाँट दिया था ,जिनमे प्रमुख ,१ क्षत्रिय २ पंडित ३वैश्य ४ शूद्र थे ,ये सभी वर्ण युगों से अपने कर्मों के साथ साथ देश और प्रदेश के लाभ हेतु समय असमय या कोई कठिनाई उत्पन्न होने पर अन्य कार्य भी कर लेते थे पर अपना मुख्य कार्य अवश्य करते थे  ,पर अब ये सभी वर्ण सभी कार्य ,चाहे सामाजिक हों या राजनितिक अथवा व्यापारिक सब कुछ कर लेते हैं और राजनीति में तो बहुत ही बढ़चढ़ कर पार्ट अदा करते हैं ,
परन्तु इनमे एक वर्ण ऐसा भी है जो अपनी मान मर्यादा ,गौरव ,अपना इतिहास ,अपनी राजनीतिक आकांक्षा ,अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को भूलकर अपने रक्त की ऊष्मा को बरकरार रखकर अपने ही रक्त का रक्तं पिपाशु बनकर दुसरे वर्णों ,दूसरी राजनितिक पार्टियों ,चाहे वो कांग्रेस हो या भाजपा अथवा बसपा या सपा अथवा कोई भी अन्य उन सभी के सार्वभोमियों ,अध्यक्षों ,नेताओं ,नेत्रियों ,के हाथों अथवा इशारों तक की कठपुतली बनकर अपने ही रक्त को भी हल्दीघाटी में हरवाकर संकोच नहीं कर रहा है ,जो कार्य पहले भाट,, चारण ,कवि किया करते थे वो कार्य भी आज यही वर्ण कर रहा है ,और आनंदित करने वाली बात ये है की उनको लज्जा नाम की चीज नहीं है अपितु फक्र महसूस कर रहे हैं ,
आखिर  क्योँ ,इस  वर्ण को ऐसा क्या हो गया है जब की धनाभाव भी नहीं है ,शिक्षा का अभाव भी नहीं है ,शक्ति का अभाव भी नहीं है ,शौर्यता का अभाव नहीं है ,कहने कहने का तातपर्य है की किसी चीज का भी अभाव नहीं है यदि अभाव है तो संगठन का ,एकता का ,जो आज ५०० वर्षों से नहीं हो पा रहा है ,
तो क्या ये वर्ण एक दिन ऐसे ही रेंगता हुआ और जलालत भरी जिंदगी जीता हुआ काल कवलित हो जाएगा ,या कोई भीष्म इसे फिर से जीवन दिलवा सकेगा ,शायद नहीं ,क्योँकि कोई किसी की सुनता ही नहीं ,और जहां कोई किसी की सुनता नहीं तो वहाँ ना तो कोई अवतार हो सकता है और नाहीं कोई नेता और नाही कोई उबारने वाला ,जय श्री राम












और एक

Friday, May 16, 2014

काल चक्र योग को कोटि कोटि बधाई

आज काल चक्र योग ने ,शुक्र शनि ,राहु ,केतु के भरपूर सहयोग से भारत भू पर अपना सम्पूर्ण कार्य भलीभांति फलीभूत कर दिया ,अब भविष्य की गतिविधियाँ क्या और कैसे प्रसारित होंगी,ये ज्येष्ठ मास सम्पूर्ण वृतांत सहित निर्धारित करेगा जो एक वर्ष ४ मॉस १६ दिन तक प्रभावी होगा ,जय श्री राम

Wednesday, May 14, 2014

आज गुजरात में भाजपा की बैठक में क्या हुआ ,
आडवाणी जी भी अड़ गए
जोशी जी को आ गया जोश
सुषमा धीरे धीरे सिसक रहीं
मोदी के  जी   उड़ गए होश  ,
जेटली जी खिसियाते रहे
राजनाथ जी मिमियाते रहे
कोई किसी की सुनता नहीं
कैसे चलाएंगे सम्पूर्ण देश |

मैंने हमेशा अपनी जिंदगी को
उन्ही लोगों के हवाले किया ,
जिनसे सदा मै वफ़ा करता रहा
पर वो मुझे दगा ही देते रहे ,
मैं उन्हें अमृत पिलाता रहा
फिर भी वो जहर उगलते रहे
जब मुझे उनकी जरुरत पड़ी
तो सब अहसान फरामोश हो गए |

Friday, May 9, 2014

मिडिया बिकाऊ है या नहीं

ये तो अब सिद्ध हो गया की हमारे देश का मीडिया बिकाऊ नहीं है चाहे कोई कितने ही पैसे का लालच क्योँ न दे क्योंकि अभी लोकसभा के चुनावों में एक जानी मानी पार्टी ने मीडिया को खरीदने की बहुत कोशिश की पर खरीद ना सके वो बात दीगर है की जो उन्होंने देखा वो ही दिखाया और जो नहीं देखा वो नहीं दिखाया ,जैसे की उस पार्टी के कैंडिडेट पर कहाँ जूता फेंका  गया ,कहाँ पर चांटा मारा गया ,कहाँ काले झंडे दिखाए गए ,कहाँ पर पत्थर मारे गए ,कहाँ पर उनकी पार्टी ने गुंडा गर्दी की ,कहाँ पर उनके गुर्गों ने गालियां दीं ,कहाँ पर शराब बांटी गई ,ये सब मीडिया ने नहीं देखा तो उन्होंने नहीं दिखाया ,और उन्होंने अपार भीड़ देखि ,रोड शो देखा ,कर्नल निजामुद्दीन के पैर छूटे हुए देखा ,उनके कैंडिडेट की तालियां और वाह वाही देखि ,तो वो दिखा दी ,अब वो वाही तो दिखाएँगे जो देखेंगे ,जो देखा ही नहीं उसे कैसे दिखाएँगे तो भाई मीडिया पर बिकने का आरोप लगाना बेतुका है और यदि बहती गंगा मैया में उन्होंने भी हाथ धो लिए तो कौन सा गुनाह कर दिया ,कोई रोजाना तो चुनाव होते नहीं ऐसे चुनाव तो ५ साल में १ बार ही होते है तो भाई कमाने का मौका तो मिलना भी चाहियें ,
पर हाँ एक बात अवश्य देखि गई की कुछ चैनल ,केवल आजतक को छोड़कर ज्यादातर केजरीवाल और कांग्रेस के मामले में काफी चुप्पी साढ़े बैठे थे पता नहीं क्योँ ,इनसे इनकी नाराजगी क्युओं थी इस बार ,चलो केजरीवाल जी तो बेचारे गरीब की जोरू थे ,पर कांग्रेस तो ऐसी नहीं थी उनके साथ भी मीडिया का सौतेला व्यवहार क्योँ ,

Wednesday, May 7, 2014

प्रियंका वढेरा ने मोदी जी को कहा ,

प्रियंका वढेरा ने कहा मोदी जी के बारे में की वो निचले स्तर की राजनीती करते हैं ,
तो मोदी जी ने प्रियंका की बात का इतना बुरा माना की वो बोले कि मै नीची जाती से आता हूँ इसलिए निचले स्तर कि राजनीति करता हूँ ,और प्रियंका अब जाति बिरादरी कि ओछी राजनीति पर उत्तर आई है ,यद्द्य्पी उन्होंने ऐसा कहकर दलित और बेक वर्ड का कार्ड खेलना चाहा और कांग्रेस को नुक्सान पहुचना चाहा पर वो ही उनके गले कि हड्डी बन गया और मायावती ने काफी खरी खोटी सूना दी और फिर मोदी ठन्डे हो गए ,अब वो बेचारे क्या करें ,अब तो उनको अपनी जाति भी बतानी पड़ेगी |जय श्री राम

मायावती जी ने मोदी जी के बारे में क्या कहा ?

बी एस पी सुप्रीमो मायावती जी ने ने मोदी जी के बारे में कहा की यदि मोदी जी कहते हैं की वो नीची जाति से आते हैं और निचले स्टार की राजनीति करते हैं तो फिर बता क्योँ नहीं देते की वो कौन सी नीची जाति है जिससे वो आते हैं फिर मोदी (बनिया )जाति का तमगा लगा कर क्योँ घुमते हैं ,अब या तो मोदी में दिमाग नहीं है या फिर बौखला गए हैं ,या फिर जनता जनार्दन को कुछ बना रहे हैं ,यानी के दोनों हाथों में लड्डू लेकर चल रहे हैं ,ये तो धोखा है ,

Saturday, May 3, 2014

एक नारा कितना सत्य कितना असत्य ,हिन्दू मुस्लिम भाई भाई पार्ट ३

एक नारा कितना सत्य कितना असत्य हिन्दू मुस्लिम भाई भाई ,पार्ट ३
मुगलों के समय में हिन्दुओं से बने (कनवर्टेड) मुसलमान आज सम्पूर्ण भारत के ही नहीं बल्कि पाक और बँगला देश के मुसलमान भी हमारे कनवर्टेड भाई हैं ,क्योंकि ये दोनों पार्ट तो भारत में से ही टूट कर बने हैं कोई अलग से तो आये नहीं ,इसका मतलब वो भी हमारे भाई ही हैं ,यदि जरुरत है तो मुल्को को और बाशिंदों को दूरंदेशी की ,मुहब्बत के पैगाम की ,अब सवाल उठता है की ये हिँदु और मुसलमान दोनों एक क्योँ नहीं होते या हो सकते ,इसके बहुत से कारण हैं ,जो निम्नलिखित हैं |
समय का अंतराल जो की थोड़ा बहुत नहीं बल्कि ४०० साल का है जो की एक मायना रखता है ,उसको भरना किसी के भी हिम्मतकी  से बाहर की बात है ,
दुसरे भाई भइयों के झगडे मिल बैठकर नहीं निबटते वो ज्यादातर बन्दूक और तलवारो से ही निबटाए जाते हैं ,
तीसरे नेता जो अपना वोट बैंक समझकर चलते हैं और प्रत्येक ५ वर्ष बाद उनको उकसाते हैं ,लड़वाते है ,हिँदु ,मुस्लिम झगड़ों से राजनीती चमकाते हैं वो एक नहीं होने देते ,और हिँदु मुस्लिम दोनों ही इनकी चालों को समझ नहीं पाते ,इस लिए  वो इनको कभी भी भाई भाई बनने ही नहीं देंगे ,
चौथे हिँदु धर्माधिकारी ,शंकराचर्य ,पीठाधीश ,पुजारी और मुस्लिम धर्माधिकारी काजी ,हाजी उलेमा ,ये कभी भी इनको एक नहीं होने देंगे क्योँकि इनकी रोजी रोटी ही इन लोगों से चलती है और मान सम्मान भी मिलता है इनकी पूजा होती है ,उनको नवाजा जाता है ,
दोनों को प्रथाओं में कुछ ना कुछ अंतर भी आ ही गया है उनको दूर करना बड़ा मुश्किल है ,इबादत का तरीका भी भी अलग हो गया है ,उनमे परिवर्तन करना बड़ा मुश्किल है ,
फिर आपसी बैर इतना लंबा और गहरा हो चुका है की उसे हल करना भी मुश्किल है ,
 अब इसका हल मात्र एक ही है की हम सब कुछ भूलकर शांति के साथ रहें और खुद को एक दुसरे का भाई और परिवार समझे ,जिस प्रकार से  एक घाव को भरने में समय लगता है इसी प्रकार ये घाव  भी एक ना एक दिन बुद्धि चातुर्य से भर ही जाएगा  ,कोशिश करने में क्या बुराई है ,कहते हैं की "करात करात अभ्यास के जड़मति हॉट सुजान ,रस्सी आवत जात ते सील पे होत निशाँ "
जब भाई भाइयों में दुश्मनी हो सकती है तो एक दिन मित्रता भाई बंधुत्व की प्रेरणा भी जाग्रत हो सकती है ऐसा कहीं नहीं लिखा कि दो भाई कभी मिल ही नहीं सकते ,कुछ लोग आज भी मिलने के प्रयास कर रहे हैं परन्तु उनको अभी भी हिन्दू जनमत कि और से ही अनुमति नहीं मिल पाई है ,उदाहरणार्थ ,हरयाणा के अंदर मेव जाति है जो कि काफी तादाद में हैं वो मुस्लिम हैं वो खुद को क्षत्रिय कहते हैं उनके घरों में महाराणा प्रताप कि फोटो लगी भी मिलेंगी में भी कई बार उनसे मिला हूँ उन्होंने क्षत्रियों के साथ हिंदुत्व स्वीकार करने के लिए बहुत बार बात कि हैऔर वो हमारे क्षत्रिय महासम्मेलनों में शिरकत भी कर चुके हैं ,जैसे कि लाल किले के पीछे जो सम्मेलन हुआ था उसमे भी हजारों कि संख्या में आये थे ,और उनको बार बार मिलाने के लिए कहने के बाद हमारे राजपूत आकाओं ने जिनमे डॉ करण सिंह ,राजा दिग्विजय सिंह ,श्री अर्जुन सिंह जी श्री भैरों सिंह शेखावत और भी कई बड़े बड़े नेता थे इन्होने घोषणा तक नहीं की,ये पहला चरण था ,परन्तु पूर्ण नहीं हुआ ,वो लोग आज भी पछताते हैं ,कहने का तातपर्य है की शुरुआत तक नहीं की ,फिर सोचिये की मुस्लिम भाई हिन्दुओं से कैसे मिलेंगे जब हिन्दू ही उनको मिलाने को तैयार नहीं हैं ,
वैसे जो हिन्दू या मुस्लिम लोग अपने आपको बहुत बड़े आदमी कहते हैं या वास्तव में हैं भी वो तो धीरे धीरे शादियां तक करके एक दुसरे के पास खिसक रहे हैं जैसे की ,
सिकंदर बख्त की पत्नी कृष्णा बख्त ,हिन्दू थी  ,सचिन पायलट की पत्नी शेख अब्दुल्ला की बेटी है रिर्टिक रोशन की पत्नी  फिरोज खान की बेटी है शीला दिक्सित की बेटी का पति मुस्लिम है ,इंदिरा गांधी का पति फिरोज खान मुस्लिम थे ,जोशी की बेटी शाहनवाज खान की पत्नी है ,सलमान खान अपने घर में सभी हिन्दू रीती रिवाज निभाते हैं यहाँ तक की उनके रिस्तेदार भी ,शाहरुख़ खान की पत्नी हिन्दू हैं ,कहने का तातपर्य है ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे ,और हमारे गाँवों में तो खासकर सभी हिन्दू मुस्लिम एक दुसरे के त्यौहार होली ,दिवाली ईद ,मिल जुलकर ही आज भी मनाते हैं धीरे धीरे जिस बिमारी को को लगे ४०० साल हो गए उसे ठीक होने में भी ४०० या ५०० साल तो लग ही सकते हैं |
वैसे भी किसी भी राज्य में चले जाइए और वहां के हिन्दू मुस्लिम दोनों को देखिये उनका खाना पीना ,पहनना ओढ़ना ,बोल चाल भाषा ,व्यवहार तीज त्यौहार शौक ,संगीत ,सभी एक जैसे ही मिलेंगे जिससे पता लगता है किइनमे जो समानता है वो भी दर्शाती है कि वास्तव में हिन्दू मुस्लिम दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं ,यानी कि इनकी पैदाइश कहीं एक ही जगह से हुई होगी ,इसमें ज़रा भी असत्य नहीं है कि ये भाई भाई नहीं है |
यदि हमारे देश के नेता ,धर्माधिकारी ,चाहें तो हिन्दू मुस्लिम भाई भाई के नारे को सकारात्मक रूप दे सकते हैं और आपसी जो झगडे आज खड़े हैं वो सब समाप्त हो सकते हैं ,और अगर ये इनको मिलाने के लिए पॉजिटिव सोच बनाये तो काम आसान हो जाएगा |अंत में ,
                                                           हिन्दू मुस्लिम भाई भाई






















 


















Friday, May 2, 2014

एक नारा कितना सत्य कितना असत्य हिन्दू मुस्लिम भाई भाई (पार्ट २)

एक नारा  कितना सत्य कितना असत्य हिन्दू मुस्लिम भाई भाई पार्ट २
दरअसल भारत में मुस्लिम ११ वि शताब्दी के बाद आने शुरू हुए ,पहले वो अफगानिस्तान तक ही सिमित थे ,क्योँकि उस समय में ईरान ईराक ,अरब ,अफगानिस्तान जॉर्डन या जितने भी मुस्लिम देश थे वो सभी रेतीले थे वहाँ पर कृषि योग्य भी खेती नहीं थी ,फल  फ्रूट ,और कुछ मसाले आदि का या पशु पालन का व्यापार होता था जिसमे की भेड़ ,ऊंट ,भैंस आदि प्रमुख थे ,हालात ख़राब थे भुखमरी जैसा हाल होता था ऐसे उनको पता चला की पास में ही भारत नाम का एक देश है जो की सोने की चिड़िया भी है और वहां के राजा महाराजा मात्र आपस में लड़ने भिड़ने के सिवाय और कुछ नहीं करते ,आराम तालाब थे ,ऐसे में उन्होंने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया और झुंडों या कबीलों के रूप में भारत में प्रवेश करने लगे उनके पास बहुत ही बढ़िया नस्ल के अरबी घोड़े होते थे ,और उन्होंने भारत पर धीरे धीरे हमले करने शुरू कर दिए और छोटी बड़ी लूट मार करके भाग जाते थे फिर कुछ समय बाद आ जाते थे  कुछ समय तक ऐसे ही चलता रहा ,और उसके बाद ,
पृथ्वीराज चौहान के समय में मुहम्मद गौरी अफगानिस्तान से १७ बार भारत में आया और उसको पृथ्वीराज चौहान ने १६ बार हराकर वापस भेज दिया परन्तु १७ वि बार पृथ्वीराज मुहम्मद गौरी के हत्थे चढ़ गया और ११९२ में उनका निधन हो गया और गौरी भी वापस चला गया ,उसके बादऔर  मुस्लिम बादशाह भारत में आते रहे जैसे शेरशाह सूरी ,नादिर शाह ,ख़िलजी ,लोदी ,परन्तु एक बात जरूर थी क़ि तब तक भारत में मुस्लिम कौम का नाम भी नहीं था परन्तु उसके बाद ,
मुग़ल शासक बाबर तीसरी बार भारत में १५२० ,१५२१ में आया और जबरदस्त हमला किया माल मत्ता लूटा और जल्दी ही कंधार  में कुछ गड़बड़ी होने के कारण वापस चला गया ,कुछ थोड़े बहुत सैनिक भारत में छोड़ गया ,उसके बाद फिर १५२६ में लौटा और पानीपत में अब्राहिम लोदी को हराया ,उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई और राज काज उनके पुत्र हुमायु ने संभाल लिया उसके बाद जलालुद्दीन अकबर जो क़ि एक धार्मिक और नेक बादशाह था उसने अपने धर्म को बढ़ावा दिया पर मुहब्बत के पैगाम के साथ जिसके कारण मुग़ल   खानदान ने भारत में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए ,उसके बाद जहांगीर और शाहजहाँ ,और फिर एक क्रूर बादशाह ओरंगजेब जिसने सबसे लंबा शासन किया और कट्टरता के साथ किया उसने अपने काल में एक प्रण कर लिया था क़ि सवा मन जनेऊ रोजाना उतरवाने  हैं यानी क़ि जिसने जनेऊ जान बचाने के लिएउतार दिया और  मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया तो वो बच गया वरना जिसने नहीं उतारा और मुस्लिमधर्मनहीं स्वीकारा उसका कत्ल कर दिया गया ,इस प्रकार प्रतिदिन हजारों लाखों क़ि संख्या में हिन्दू लोग धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनने लगे ,और ये सिलसिला जब तक ओरंगजेब ज़िंदा रहा और शासन करता रहा ,चलता रहा इस प्रकार ये सिलसिला १७०७ में ओरंगजेब क़ि मृत्यु के बाद रुका ,ओरंगजेब की मृत्यु के समय भी भारत में मुगलों की संख्या ना के बराबर थी क्योंकि या तो राजशाही लोग थे अथवा सैनिक ,जो सैनिक थे वो तो ओरंगजेब की मृत्यु के बाद होने वाली लड़ाइयों में काम आ गए और बादशाह के कुटुम्बी राजशाही लोग धीरे धीरे समाप्त होते चले गए और मीरजाफर के बाद तो मानो सब कुछ मुग़ल सामराज्य का सफाया ही हो गया और आज भी यदि मुग़ल सल्तनत के कुछ वारिस निजामुद्दीन में रहते हैं जो लालकिले का कुछ प्रिवीपरश जैसा पैसा लेने के लिए दिल्ली सरकार के पास आते है जो की ना के बराबर है ,या कुछ मुगलों के वारिस हैदराबाद में रहते हैं वरना मेरी जानकारी के अनुसार मुगलई खानदान हिन्दुस्तान से लगभग समाप्त हो चुका है ,यदि किसी भाई के पास कोई जानकारी हो तो मुझे सूचित करें ,
मेरा कहने का तातपर्य है क़ि ये वो ही हमारे हिन्दू भाई है जो ओरंगजेब क़ि तलवार के डर से  उस समय में मुस्लिम बन गए थे पर इतना समय लगभग ४००  साल बीत जाने के कारण ये अपने नए धर्म में इतने घुल मिल गए क़ि अब वो अपने पुराने धर्म के बारे में सोच भी नहीं सकते ,पर जो जाती सूचक शब्द आज भी उनके साथ लगे हैं वो इनका पीछा नहीं छोड़ते  और छोड़ भी नहीं सकते क्योँकि उस धर्म के उपदेश ,प्रथाएं ,नियम इबादत  सब उनकी जिंदगी में शर्बत में चीनी क़ि तरह मिल गए हैं |पर मुख्य मुद्दा ये ही है की आज जो मुस्लिम भाई भारत में रह रहे हैं ये लगभग सभी हिन्दू से कनवर्टेड मुस्लिम हैं जो ओरंगजेब के समय में हुए थे
अब ये क्योँ नहीं मिल सकते या इनको कौन मिलने नहीं देना चाहते ,या इनका मन क्या कहता है ,हिन्दू मुस्लिम के प्यार में अड़ंगा क्योँ है , इनकी मजबूरियाँ क्या हैं ,दोनों में समानताएं कयांहैं ,














Thursday, May 1, 2014

एक नारा,कितना सत्य ,कितना असत्य ,

आपने अक्सर प्रत्येक नेता के मुंह से ,सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुख से ,और आम आदमी के भी मुख से चाहे वो हिन्दू है या मुसलमान ,कहने का तातपर्य है की भारत का हर व्यक्ति ये कहता भी है .मानता भी है और करके दिखाने की कोशिश भी करता है ,पर फिर भी बुरा वक्त आने पर उस पर अमल नहीं करता ,तो भाइयोंवो नारा है ,"हिन्दू मुस्लिम भाई भाई "
और सत्य भी यही है की आज जितने भी हिन्दू या मुस्लिम भारत में रहते हैं वो वास्तव में ही आपस में भाई भाई ही है बल्कि में तो कहूँगा की एक ही खानदान से संबंधित हैं उसके बावजूद हम एक दुसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं आखिर क्योँ ,हम हक़ीक़त को जानने कि कोशिश क्योँ नहीं करते  ,हाँ ये अवश्य है कि हमको एक दुसरे से अलग हुए ४०० वर्ष या उससे भी ज्यादा बीत चुके हैं ,अब आप कुछ  उदाहरण देखिये जिनसे वास्तविकता का पत्ता चलता है और हम जानते हैं कि किसी वक्त हम आपस में भाई भाई ही थे ,इसमें लेशमात्र भी असत्य नहीं है |
कांति प्रकाश चौहान ...............लियाकत अली चौहान
विजय मालिक .....................साजिद मालिक
राजेंद्र शेखावत ......................मुहम्मद शमीम शेखावत 
भगवती प्रसाद सकलानी........कामरान सकलानी
नरेंद्र सिंह निर्वाण .................मियाँ कासिम निर्वाण
महेंद्र राजपूत .......................जफ़र खान राजपूत
अतर सिंह लोधी .................इसरार मियाँ लोधी
और पता नहीं कितने ही नाम हैं जो आपको ऐसे लगेंगे की ये सब भाई भाई ही है अब आप सोचिये की दोनों अलग अलग हिन्दू और मुस्लिम होते हुए भी जाति सूचक शब्द कैसे एक हो गए इस बात से तो लगता है किकहीं ना कहीं दोनों में कुछ तो मेल है |
हक़ीक़त क्या है हम नेक्स्ट लेख में लिखेंगे ,आप अपनी राय देनी चाहे तो दे सकते हैं