Friday, March 27, 2015

सूक्ष्म दृष्टि

मैं रोता रहा
वो हँसते रहे
वो जख्म देते रहे
मैं हँसता रहा ,
वो गम देते रहे
मैं भुलाता रहा
वो आंसू देते रहे
मैं पीता रहा ,
मैं श्रम करता रहा ,
वो उदरपूर्ति करते रहे ,
मैं लाता रहा
 वो लगाते रहे ,
मैं भाई कहता रहा
वो दुश्मन समझते रहे
मैं जलता रहा
वो जलाते रहे ,
मैंने मंदिर बनाया था
वो शमशान बनाते रहे
मोहवश मैं दबता रहा
वो दबाते रहे ,
मैंने कुछ  बोला
वो टालते  रहे 
मैं सुख देता रहा
वो मुझे सताते रहे ,
मैं दुलार करता रहा
वो दुश्मनी निभाते रहे
मैं उनको दूध पिलाता रहा
वो मेरे बच्चों को
विष पिलाते रहे |














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