Monday, March 30, 2015

चुटकुला परन्तु एक दम सत्य घटना

एक दिन एक हमारे दोस्त के पिताजी हमारे घर आये ,वो कुछ अक्खड़ स्वभाव के थे शायद उनका ऐसा स्वभाव फौज के कारण हो क्योँकि वो फौज में कर्नल थे ,कुछ बातें पत्नियों के संबंध के बारे में होने लगी ,तो मैंने कहा अंकल पत्नी तो प्यार की भूखी है  ,तो वो बोले ऐसी बात नहीं ,पहले तो उन्होंने तुलसी दास जी का दोहा सुनाया "पशु ,गंवार शूद्र अरु नारी ,चारों ताडन के अधिकारी "और फिर बोले मुझे देखो ना मैं तेरी आंटी को "जूते की नौक पे रखता हूँ और वो फिर वही करती है जैसा मैं कहता हूँ "
तो मैंने कहा वो तो आराम से कहोगे तो भी करेंगी ,अरे ऐसी बात नहीं होती तुम अभी पत्नियों को कहाँ समझोगे हमको तो भुकतते हुए ५० साल हो गए और इतना कहकर वो उठकर चल दिए गर्मी की ताप्ती दोपहर में ,मैंने उनको रोक की जरा शाम होने दो फिर चले जाना ,
फिर शाम होते ही उठ खड़े हुए भाई घर जाना है बहुत लेट हो जाऊंगा तुम्हारी आंटी घर राह देख रही होगी ,हमने कहा अब तो शाम हो गई बस खाना तैयार है ,खाकर चले जाना ,बोले नहीं ,कुछ तुर्मुरान लगे खेर किसी प्रकार रोक और उनको खाना खिला दिया ,और खाना खाते ही उठ खड़े हुए ,बोले बस अब जाने दो भाई ,मैंने कहा नहीं आज तो आप हमारे पास ही रुकेगो ,कल ही जाना है ,
तो एक दम खड़े हुए और बोले ,अबे क्या अब मुझे गंजा ही कराओगे
क्योँ ,आपको कौन गंजा करेगा ,बच्चों की तो ताकत नहीं आपको कुछ भी कहने की .
तड़ाक से बोले ,अरे वो जो है "ताड़का "
मैंने कहा अब ये ताड़का कौन आ गई ,
अरे वो ही तेरी चाची ,मार मार चप्पलों से गांजा कर देगी ,
पर अभी तो आप कह रहे थे कि जूती पे रखता हूँ ,पर अब क्या हो गया ,
हुआ कुछ नहीं वो तो मैंने वैसे ही फाड़ी मारी थी,
अच्छा तो ये बात थी ,आप तो छुपे रुस्तम हो ,
अच्छा एक बात बताऊँ ,जितना में तेरी चाची से डरता हूँ इतना तो मैं कभी बॉर्डर पर भी नहीं डरा,
तो देखा भाइयो आपने ये हाल होता है मर्दों का ,केवल फड़ी मारकर रौब दिखाते हैं |







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