Thursday, April 30, 2015

लड़कियों और महिलाओं को अधिक खतरा किनसे

जी हाँ मेरे विचारानुसार लड़कियों और महिलाओं को खतरा असामाजिक तत्वों से कम और सामाजिक तत्वों से अधिक होता है ,क्योँकि असामाजिक तत्वों से तो महिलाओं का सामना कभी कभी होता है परन्तु सामाजिक तत्वों से तो उनको प्रितिदिन ही दो चार होना पड़ता है |
आजकल समाचारों और कोर्ट के केसेस को देखकर पता चलता है की जितने भी रेप या छेड़ छाड़ और बदमाशियां होती हैं उनमे अधिकतर मित्र या भाई के मित्र ,पडोसी जो रोज घर में आते जाते रहते हैं ,कहीं किसी के चाचा की निगाहें भतीजी पर हैं तो कहीं किसी देवर की निगाहें भाबी पर और कहीं कहीं तो ससुर की निगाहें पुत्र वधु पर,और कहीं जीजा की नजर सालियों परया नंदोई की निगाह साले की पत्नी पर और कहीं सौतेले बाप की निगाह अपनी बेटी तक पर  लगी  होती है और जैसे ही इन लोगों को मौका मिलता है ये अपना काम कर जाते हैं और बेचारी महिलायें शर्म के मारे या धमकाने के कारण या और किसी तरह से फंसी होने के कारण या घरवालों के प्रभावित होने के कारण बेचारी या तो अपने आपको बचाती रहती हैं या फिर उनका शिकार बन कर रह जाती हैं और यदि वो इस बात का जिक्र अपने पति ,भाई या माँ बाप को भी कहती हैं तो उन लोगों का प्रभाव इनके ऊपर इतना होता है की उनपर कोई आसानी से सुनने को राजी नहीं होता अब बताइये क्या किया जाए क्यां इनसे कोई बेचारी महिला या लड़कियों को मुक्ति दिलाएगा ,|

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