Monday, March 3, 2014

कुछ पाने हेतुं कुछ करना पड़ता है

पथ को पगों से
जितना ज्यादा नापा जाता है
उतना ही अधिक
अनुभव  प्राप्त किया जाता है
पुस्तकों को जितनी बार
जितना ज्यादा बांचा जाता है
उतना बड़ा विद्वान् बन
विद्वत्ता को प्राप्त किया जाता है
अक्षरों  को जोड़जोड़कर
जो वाक्य  तैयार किया जाता है
वो ही एक दिन दोहे बन
रामायण जैसा ग्रन्थ बन जाता है 
विद्वानो से समागम कर
जितना समय बिताया जाता है
अतयधिक ज्ञान वर्धन कर
विद्वानो में सम्म्लित हुआ जाता है |

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