Thursday, March 20, 2014

प्रमाणिक सत्य

जितना ज्यादा जिस पर भौंकोगे
उतना ज्यादा ही वो सहमेगा
लोगों कि सहानुभूति उसके साथ होगी
क्योंकि जब तुम भौंकोगे  वो नम्र होगा ,
आरोप प्रत्यारोप लगाने से पहले
अपने अंदर झाँक कर देख लेना चाहिए
यदि आपका घर भी शीशे का बना है तो
दुसरे के घर पत्थर नहीं मारना  चाहिए ,
यथार्थ को बार बारअसत्य कहने से
वो कभी भी असत्य  नहीं बन पायेगा
हाँ असत्य को बार सत्य कहने से
उसका सवरूप ही समाप्त हो जाएगा
हमारी वाणी से निकले सुशब्द  ही
हमारे  संस्कारों का बखान करते हैं
जब हम अशुद्ध भाषा प्रयोग करते है
भद्र पुरुष हमको जानवर घोषित करते हैं |


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