Wednesday, March 19, 2014

अभी दो दिन पहले एक प्रसिद्ध चेनल पर राजनितिक  पार्टीस के सभी प्रकार के किर्या कलापों कि समीक्षा और वार्तालाप चल रहा था लगभग सभी पार्टीस के स्पीकर नेता और पत्रकार उपस्थित थे ,जिसमे भाजपा के सुधांसु मित्तल भी थे ,यददपि वो बहुत ही शालीन भाषा में बातचीत कर रहे थे परन्तु उनके साथ उनकी पार्टी के समर्थक एक वरिष्ठ पत्रकार भी थे जो केजरीवाल जी को बार बार राक्षस कहकर सम्बोधित कर रहे थे और कह रहे थे कि मोदी जी के रस्ते में केजरीवाल जैसे कितने ही राक्षस क्योँ ना आ जाएँ पर वो वाराणसी से जीत कर ही आयेंगे ,यहाँ पर सवाल हारने और जीतने का नहीं है सवाल ये है कि जिन नेताओं के मुख्य मंत्रित्व काल में या प्रधान मंत्रित्व  काल में ना जाने कितने ही नर संहार हुए ,कितने ही हिन्दू ,मुस्लिम झगडे हुए कितने निरीह ,मुस्लिम या हिन्दू मारे गये और ना जाने कितने बच्चे यतीम हो गये ,तो वो आदरणीय वरिष्ठ पत्रकार उन नेताओं को क्य़ा बोलेंगे ,शायद उनकी निगाहों में तो वो देवता ही होंगे क्योंकि जिस आदमी ने आजतक किसी चींटी तक को नहीं मारा और नाहीं मरवाया ,नरसंहार या हिन्दू ,मुस्लिम झगडे तो बहुत दूर कि बात है उसको राक्षस बता रहे हैं ,और उनकी देखा देखि अब भाजपा के छुटभैये से लेकर बड़े नेता तक केजरीवाल जी को फेसबुक पर भी और आम जन जीवन के बीच भी राक्षस बोल रहे हैं ,
मुझे तो अफ़सोस है कि इतने वरिष्ठ पत्रकार होने के बाद ऐसी भाषा  का प्रयोग करना और वो भी एक नेक इंसान के लिए  कितना तर्क सांगत है जबकि एक पत्रकार ने उनको रोकने कि कोशिश भी कि पर उनपर कोई असर नहीं हुआ ,हो सकता है उनका हिंदी का ज्ञान ही अधूरा हो जहां वो देवता को राक्षस और राक्षशों को देवता समझ बैठे हों |
ऐसी पढ़े लिखे लोगों का तो भगवान् भी कैसे भला करेगा

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