Tuesday, February 18, 2014

केजरीवाल का जहाज आखिर क्योँ डूबा ?

दिल्ली की जनता के गले में ये बात नहीं उतर रही की जो सरकार दिल्ली की जनता ने बड़ी ख़ुशी ख़ुशी केजरीवाल & पार्टी यानि की आम आदमी पार्टी को २८ सीट पर विजय श्री दिलवाई थी, और ख़ुशी ख़ुशी केजरीवाल जी को  कोंग्रेस ने अपना  समर्थन देकर आम आदमी पार्टी की सरकार बनवाई थी ,और उस वक्त केजरीवाल जी ने दिल्ली की जनता से घूम घूमकर पूछा था की सरकार बनाये या नाबनाए तो दिल्ली की ८०%जनता ने कहा की सर्कार बनाओ ये शब्द हैं खुद केजरीवाल जी के ,बस यहीं से षणयंत्र शुरू हो गया जो की भाजपा नार कोंग्रेस का सम्मिलित था ,जिसे केजरीवाल जी ने नोट नहीं किया और उन्होंने समझा की दिल्ली की ८०% जनता उनके साथ है ,यदि वो इसको नोट करके विचार करते तो केजरीवाल जी अपनी सरकार ही नहीं बनाते |
वास्तविकता ये थी की दिल्ली  की ३४% जनता ने आम आदमी पार्टी को अपना वोट दिया था और जब केजरीवाल जी ने सरकार बनाने को पूछा तो ८०% जनता ने कहा की सरकार बनाओ अब आप सोचिये की की ४६%लोग अन्य कौन थे जो सरकार बनाने को कह रहे थे ,तो भाइयो ये ही लोग भाजपा औरकोंग्रेस के थे जिनको दोनों पार्टी ने पहले ही पढ़ा दियाथा ,यदि उस समय केजरीवाल जी ये पहले ही समझ लेते की उन्हें वोट तो मात्र ३४%ने दिया है तो सरकार कैसे बना सकते हैं ,पहली गलती थी |
दूसरी गलती इनके पास कोई भी समझदार या तजुर्बेकार सलाहकार नेता नहीं था और जो सलाहकार थे वो जी हजूरी वाले ही थे और नेतागिरी के नाम पर निल थे |
जिसके पास अच्छे सलाहकार नहीं होते वो तो डूबते ही हैं चाहे व्यापारी हों या नेता |
जो इनके सपोर्टर या समर्थक कोंग्रेसी थे उनसे इन्होने न कुछ सीखा और नाही कुछ सीखना चाहा ,उनसे तो इन्होने पूछा तक नहीं |
यदयपि यदि ये पूछते भी तो वो इनको सही सलाह देते इसकी भी कोई गारंटी नहीं थी फिर भी पूछने में कोई बुराई नहीं थी |
इनके अलावा भी और बहुत से वयोवृद्ध नेता तजुर्बेकार  थे जो दिल से केजरीवाल जी के साथ थे और सलाह मश्वरा भी देना चाहते थे पर कोई उनसे पूछता तो सही |,काफी लोगो ने आपको फेसबुक पर भी लिख लिख कर भेजा पर आपने किसी को भी कोई जवाब नहीं भेजा |
कुछ आपके अंदर ये अहंकार की आप बहुत ही समझदार व्यक्ति हैं शायद भारत में आप जैसा समझदार कोई व्यक्ति है ही नहीं ,अपने साथियों को आपने कहा अहंकार मत करना पर आपके अंदर अहंकार कूट कूट कर भरा था ,ये ही वास्तविकता थी
दुसरे जिन लोगों के हाथ से आपने सत्ता छीनी वो आपको भला कैसे बख्सते ,या जो लोग आपको समर्थन दे रहे थे आपने सभी जरूरी काम छोड़कर आप उनके पीछे हाथ धोकर पद गये यानि की जिस थाली में खाना उसी में छेड़ करना ,जिस L G से आपको काम पढ़ना था आप उसे कोंग्रेस का एजेंट कह रहे हैं ,
बार बार आपने मजमे लगाने शुरू कर दिए जैसे की tel बेचने वाले या मंजन बेचने वाले लगाते हैं |
और फिर आपने एकदम ही जन  लोकपाल बिल ले आये उसे  आप पास कराना चाहते थे सोचो जिनको आप परेशान कर रहे है न वो आपको भला कैसे जनलोकपाल बिल पास काने देते |
फिर एकदम ही बिना सोचे समझे दिल्ली सरकार का त्यागपत्र ,आपने उस जनता से भी पूछना ग्वेवारा नहीं समझा जिसने आपको दिल्ली की गद्दी पर बिठाया 
शायद आप नहीं जानते जो चुनाव अंदर बैठकर लड़े जाते हैं उनका हश्र कुछ और & जो बाहर से लड़े जाते हैं उनका हश्र कुछ और ,इसलिए आप अब लोकसभा चुनाव का हश्र देखना और जनता का भी स्व्भाव देखना ,यदि हो सके तो दिल्ली की जनता को एक बार फिर अपनी बनाने की सोचो ,एक कहावत है "तेते पैर पसारिये ,जैती लम्बी सौर "
आये दिन आपके मंत्रीयौ के  जो दिल में आया बोल दिया नए नए पंगे लेने शुरू कर दिए  |कभी पुलिस से तो कभी चेनल वालों से ,
आपकी सबसे बड़ी गलती थी आपने २८ सीट होने के बावजूद अपनी सरकार बनाई आखिर क्योँ ? जबकि भाजपा ने ३२ सीट होने पर भी सरकार नहीं बनाई क्योंकि वो भली भांति जानते थे की हश्र क्यां होगा 
और आपने समर्थन भी उस पार्टी का लिया जिससे आप लड़ रहे हैं जहां करप्शन ही करप्शन है ,आप साँपों से कैसे उम्मीद करते हो की वो जहर नहीं उगलेंगे |

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