Thursday, February 13, 2014

वचन ,प्रतिज्ञा

यदि भीष्म पितामाह अपनी पिता शांतनु सेन कि दूसरी पत्नी से अपनी शादी ना करने कि प्रतिज्ञा ना करते तो आज प्रत्येक प्रतिज्ञा करने वाले से यह ना कहा जाता कि क्या तुम्हारी  ये भीष्म प्रतिज्ञा है |
यदि श्री राम चन्द्र जी अपने माता पिता के प्रत्येक वचन का पालन  ना करते या सभी मर्यादाओं का पालन ना करते तो तो मर्यादा पुरुषोत्तम ना कहलाते और नाही मर्यादा पुरुषोत्तम जैसी कहावत बनती |
यदि रावण के भाई विभीषण रावण  कि नाभि में अमृत होने का राज श्री रामचंद्र जी को ना बताते  तो ना तो रावण का वध ही होता और नाहीं ये कहावत बनती कि "घर  का भेदी लंका ढाये "
यदि कुम्भकर्ण जी रात दिन सोता ही नहीं रहता तो जो आदमी ज्यादा से ज्यादा सोता है तो लोग उसे कहने लगते हैं कि वो तो "कुम्भकर्ण है क्योंकि वो कुम्भकर्ण की भांति सोता ही रहता है इसलिए ये कहावत बनी |
भाजपा ने भी जनता को शायद बचन दे रखा है कि" कसम राम कि खायेंगे पर मंदिर वहीँ बनाएंगे  "इसलिए जनता उनको भी बार बार चुनकर लोकसभा में भेज ही देती है ,कितनी भोली जनता है मेरे देश की,भगवन के नाम पर कुछ भी करने को तैयार |

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