Thursday, May 1, 2014

एक नारा,कितना सत्य ,कितना असत्य ,

आपने अक्सर प्रत्येक नेता के मुंह से ,सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुख से ,और आम आदमी के भी मुख से चाहे वो हिन्दू है या मुसलमान ,कहने का तातपर्य है की भारत का हर व्यक्ति ये कहता भी है .मानता भी है और करके दिखाने की कोशिश भी करता है ,पर फिर भी बुरा वक्त आने पर उस पर अमल नहीं करता ,तो भाइयोंवो नारा है ,"हिन्दू मुस्लिम भाई भाई "
और सत्य भी यही है की आज जितने भी हिन्दू या मुस्लिम भारत में रहते हैं वो वास्तव में ही आपस में भाई भाई ही है बल्कि में तो कहूँगा की एक ही खानदान से संबंधित हैं उसके बावजूद हम एक दुसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं आखिर क्योँ ,हम हक़ीक़त को जानने कि कोशिश क्योँ नहीं करते  ,हाँ ये अवश्य है कि हमको एक दुसरे से अलग हुए ४०० वर्ष या उससे भी ज्यादा बीत चुके हैं ,अब आप कुछ  उदाहरण देखिये जिनसे वास्तविकता का पत्ता चलता है और हम जानते हैं कि किसी वक्त हम आपस में भाई भाई ही थे ,इसमें लेशमात्र भी असत्य नहीं है |
कांति प्रकाश चौहान ...............लियाकत अली चौहान
विजय मालिक .....................साजिद मालिक
राजेंद्र शेखावत ......................मुहम्मद शमीम शेखावत 
भगवती प्रसाद सकलानी........कामरान सकलानी
नरेंद्र सिंह निर्वाण .................मियाँ कासिम निर्वाण
महेंद्र राजपूत .......................जफ़र खान राजपूत
अतर सिंह लोधी .................इसरार मियाँ लोधी
और पता नहीं कितने ही नाम हैं जो आपको ऐसे लगेंगे की ये सब भाई भाई ही है अब आप सोचिये की दोनों अलग अलग हिन्दू और मुस्लिम होते हुए भी जाति सूचक शब्द कैसे एक हो गए इस बात से तो लगता है किकहीं ना कहीं दोनों में कुछ तो मेल है |
हक़ीक़त क्या है हम नेक्स्ट लेख में लिखेंगे ,आप अपनी राय देनी चाहे तो दे सकते हैं 











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