Friday, May 2, 2014

एक नारा कितना सत्य कितना असत्य हिन्दू मुस्लिम भाई भाई (पार्ट २)

एक नारा  कितना सत्य कितना असत्य हिन्दू मुस्लिम भाई भाई पार्ट २
दरअसल भारत में मुस्लिम ११ वि शताब्दी के बाद आने शुरू हुए ,पहले वो अफगानिस्तान तक ही सिमित थे ,क्योँकि उस समय में ईरान ईराक ,अरब ,अफगानिस्तान जॉर्डन या जितने भी मुस्लिम देश थे वो सभी रेतीले थे वहाँ पर कृषि योग्य भी खेती नहीं थी ,फल  फ्रूट ,और कुछ मसाले आदि का या पशु पालन का व्यापार होता था जिसमे की भेड़ ,ऊंट ,भैंस आदि प्रमुख थे ,हालात ख़राब थे भुखमरी जैसा हाल होता था ऐसे उनको पता चला की पास में ही भारत नाम का एक देश है जो की सोने की चिड़िया भी है और वहां के राजा महाराजा मात्र आपस में लड़ने भिड़ने के सिवाय और कुछ नहीं करते ,आराम तालाब थे ,ऐसे में उन्होंने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया और झुंडों या कबीलों के रूप में भारत में प्रवेश करने लगे उनके पास बहुत ही बढ़िया नस्ल के अरबी घोड़े होते थे ,और उन्होंने भारत पर धीरे धीरे हमले करने शुरू कर दिए और छोटी बड़ी लूट मार करके भाग जाते थे फिर कुछ समय बाद आ जाते थे  कुछ समय तक ऐसे ही चलता रहा ,और उसके बाद ,
पृथ्वीराज चौहान के समय में मुहम्मद गौरी अफगानिस्तान से १७ बार भारत में आया और उसको पृथ्वीराज चौहान ने १६ बार हराकर वापस भेज दिया परन्तु १७ वि बार पृथ्वीराज मुहम्मद गौरी के हत्थे चढ़ गया और ११९२ में उनका निधन हो गया और गौरी भी वापस चला गया ,उसके बादऔर  मुस्लिम बादशाह भारत में आते रहे जैसे शेरशाह सूरी ,नादिर शाह ,ख़िलजी ,लोदी ,परन्तु एक बात जरूर थी क़ि तब तक भारत में मुस्लिम कौम का नाम भी नहीं था परन्तु उसके बाद ,
मुग़ल शासक बाबर तीसरी बार भारत में १५२० ,१५२१ में आया और जबरदस्त हमला किया माल मत्ता लूटा और जल्दी ही कंधार  में कुछ गड़बड़ी होने के कारण वापस चला गया ,कुछ थोड़े बहुत सैनिक भारत में छोड़ गया ,उसके बाद फिर १५२६ में लौटा और पानीपत में अब्राहिम लोदी को हराया ,उसके बाद उनकी मृत्यु हो गई और राज काज उनके पुत्र हुमायु ने संभाल लिया उसके बाद जलालुद्दीन अकबर जो क़ि एक धार्मिक और नेक बादशाह था उसने अपने धर्म को बढ़ावा दिया पर मुहब्बत के पैगाम के साथ जिसके कारण मुग़ल   खानदान ने भारत में अपने पैर जमाने शुरू कर दिए ,उसके बाद जहांगीर और शाहजहाँ ,और फिर एक क्रूर बादशाह ओरंगजेब जिसने सबसे लंबा शासन किया और कट्टरता के साथ किया उसने अपने काल में एक प्रण कर लिया था क़ि सवा मन जनेऊ रोजाना उतरवाने  हैं यानी क़ि जिसने जनेऊ जान बचाने के लिएउतार दिया और  मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया तो वो बच गया वरना जिसने नहीं उतारा और मुस्लिमधर्मनहीं स्वीकारा उसका कत्ल कर दिया गया ,इस प्रकार प्रतिदिन हजारों लाखों क़ि संख्या में हिन्दू लोग धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनने लगे ,और ये सिलसिला जब तक ओरंगजेब ज़िंदा रहा और शासन करता रहा ,चलता रहा इस प्रकार ये सिलसिला १७०७ में ओरंगजेब क़ि मृत्यु के बाद रुका ,ओरंगजेब की मृत्यु के समय भी भारत में मुगलों की संख्या ना के बराबर थी क्योंकि या तो राजशाही लोग थे अथवा सैनिक ,जो सैनिक थे वो तो ओरंगजेब की मृत्यु के बाद होने वाली लड़ाइयों में काम आ गए और बादशाह के कुटुम्बी राजशाही लोग धीरे धीरे समाप्त होते चले गए और मीरजाफर के बाद तो मानो सब कुछ मुग़ल सामराज्य का सफाया ही हो गया और आज भी यदि मुग़ल सल्तनत के कुछ वारिस निजामुद्दीन में रहते हैं जो लालकिले का कुछ प्रिवीपरश जैसा पैसा लेने के लिए दिल्ली सरकार के पास आते है जो की ना के बराबर है ,या कुछ मुगलों के वारिस हैदराबाद में रहते हैं वरना मेरी जानकारी के अनुसार मुगलई खानदान हिन्दुस्तान से लगभग समाप्त हो चुका है ,यदि किसी भाई के पास कोई जानकारी हो तो मुझे सूचित करें ,
मेरा कहने का तातपर्य है क़ि ये वो ही हमारे हिन्दू भाई है जो ओरंगजेब क़ि तलवार के डर से  उस समय में मुस्लिम बन गए थे पर इतना समय लगभग ४००  साल बीत जाने के कारण ये अपने नए धर्म में इतने घुल मिल गए क़ि अब वो अपने पुराने धर्म के बारे में सोच भी नहीं सकते ,पर जो जाती सूचक शब्द आज भी उनके साथ लगे हैं वो इनका पीछा नहीं छोड़ते  और छोड़ भी नहीं सकते क्योँकि उस धर्म के उपदेश ,प्रथाएं ,नियम इबादत  सब उनकी जिंदगी में शर्बत में चीनी क़ि तरह मिल गए हैं |पर मुख्य मुद्दा ये ही है की आज जो मुस्लिम भाई भारत में रह रहे हैं ये लगभग सभी हिन्दू से कनवर्टेड मुस्लिम हैं जो ओरंगजेब के समय में हुए थे
अब ये क्योँ नहीं मिल सकते या इनको कौन मिलने नहीं देना चाहते ,या इनका मन क्या कहता है ,हिन्दू मुस्लिम के प्यार में अड़ंगा क्योँ है , इनकी मजबूरियाँ क्या हैं ,दोनों में समानताएं कयांहैं ,














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