Friday, May 9, 2014

मिडिया बिकाऊ है या नहीं

ये तो अब सिद्ध हो गया की हमारे देश का मीडिया बिकाऊ नहीं है चाहे कोई कितने ही पैसे का लालच क्योँ न दे क्योंकि अभी लोकसभा के चुनावों में एक जानी मानी पार्टी ने मीडिया को खरीदने की बहुत कोशिश की पर खरीद ना सके वो बात दीगर है की जो उन्होंने देखा वो ही दिखाया और जो नहीं देखा वो नहीं दिखाया ,जैसे की उस पार्टी के कैंडिडेट पर कहाँ जूता फेंका  गया ,कहाँ पर चांटा मारा गया ,कहाँ काले झंडे दिखाए गए ,कहाँ पर पत्थर मारे गए ,कहाँ पर उनकी पार्टी ने गुंडा गर्दी की ,कहाँ पर उनके गुर्गों ने गालियां दीं ,कहाँ पर शराब बांटी गई ,ये सब मीडिया ने नहीं देखा तो उन्होंने नहीं दिखाया ,और उन्होंने अपार भीड़ देखि ,रोड शो देखा ,कर्नल निजामुद्दीन के पैर छूटे हुए देखा ,उनके कैंडिडेट की तालियां और वाह वाही देखि ,तो वो दिखा दी ,अब वो वाही तो दिखाएँगे जो देखेंगे ,जो देखा ही नहीं उसे कैसे दिखाएँगे तो भाई मीडिया पर बिकने का आरोप लगाना बेतुका है और यदि बहती गंगा मैया में उन्होंने भी हाथ धो लिए तो कौन सा गुनाह कर दिया ,कोई रोजाना तो चुनाव होते नहीं ऐसे चुनाव तो ५ साल में १ बार ही होते है तो भाई कमाने का मौका तो मिलना भी चाहियें ,
पर हाँ एक बात अवश्य देखि गई की कुछ चैनल ,केवल आजतक को छोड़कर ज्यादातर केजरीवाल और कांग्रेस के मामले में काफी चुप्पी साढ़े बैठे थे पता नहीं क्योँ ,इनसे इनकी नाराजगी क्युओं थी इस बार ,चलो केजरीवाल जी तो बेचारे गरीब की जोरू थे ,पर कांग्रेस तो ऐसी नहीं थी उनके साथ भी मीडिया का सौतेला व्यवहार क्योँ ,

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