Thursday, May 22, 2014

वाणी से क्या क्या और क्योँ निकलता है

वाणी से क्या क्या और क्योँ निकलता है ,
वाणी वही  सब कुछ उगलती है जो कुछ व्यक्ति के ह्रदय में भरा होता है ,यदि ह्रदय में गंदगी भरी है तो वो गन्दी गन्दी ,बुरी बुरी गालियों का प्रयोग करता है जैसा की हम कुछ मित्रों को फेस बुक पर लिखते हुए देख चुके हैं ,यदि प्रेम भरा है तो वो प्रेम पूर्ण कविताएँ और विचार प्रस्तुत करते हैं ,यदि क्रोध भरा है तो ज्वलनशील विचारों से फेसबुक के पन्नों को जलाकर राख कर देते हैं ,यदि वीरता और शौर्य उनके ह्रदय में है तो वो वीरत्व से परिपूर्ण लेख लिखते हैं ,यदि जिनका ह्रदय राजनीति से ओतप्रोत है तो वो राजनितिक घटनाओं और संभावनाओं का जिक्र ही करते हैं ,कहने का तातपर्य यही है वाणी ,ह्रदय रुपी शब्दकोश से चुने हुए शब्दों को ही प्रसारित करता है अन्य कुछ नहीं ,
परन्तु कुछ लोग बहुत ही समझदार होते हैं उनके पास अच्छे शब्द ना होते हुए भी वो जो भी टूटे फूटे शब्द होते हैं उनको ही जोड़ तोड़ करके अच्छे शब्दों की माला बनाकर अपनी वाणी से प्रस्तुत कर देते हैं फिर वाणी भी उनकी दासता स्वीकार कर लेती है |

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