Friday, May 30, 2014

एक कहावत थी

एक कहावत थी
उनके लिए जिन अभिभावकों के घर मात्र पुत्रियां ही होती थीं,पुत्र नहीं
जोड़ जोड़ मर जाएंगे
चौखन्डे और गोल
माल जमाई खाएंगे
ससुरे की जय बोल ,
परन्तु अब ये कहावत बदलकर उन अभिभावकों के लिए जिनके घर पुत्र ही पुत्र हैं ,पुत्रियां नहीं ,
जोड़ जोड़ मर जाएंगे
चौखन्डे और गोल
माल बहुएं खायेंगी
ससुरे की जय बोल
क्या तर्क सँगत है या नहीं ,यदि है तो क्योँ ?और तर्कसंगत नहीं है तो क्योँ ?

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