Friday, May 30, 2014

दोस्त की बात याद आ गई तो बहुत कपडे सिला लिए मैंने भी

मैं एक दिन अपने  दोस्त के   दफ्तर में बैठा था तो वो मुझसे बोला यार चांदनी chouk चलना है मैंने कहा क्योँ ,वो बोला कुछ कपडे खरीदने हैं वहाँ जाकर उसने लगभग ९० जोड़ी कपडे अपने लिए खरीदे ,मै बोला यार तू पागल हो गया है क्या ,कपड़ों पर ज्यादा पैसा खर्च करना बेवकूफी है ,फैशन बदलते रहते हैं ,नए नए कपडे आते रहते हैं ,फिर ज्यादा कपडे हों तो केयर भी नहीं हो पाती ,दीमक ,कीड़े लगने का डर,यानी की सभी प्रकार नुकसान ही नुक्सान है ,जब मै उसको सबकुछ बोल चुका तो फिर वो बोलने लगा की सुन ,लाख रूपये की एक ही बात बताऊंगा ,
वो बोला भाई आज मेरा व्यापार अच्छा चल रहा है मेरे पास धन की कमी नहीं है खूब आ रहा है खूब जा रहा है ,मै और मेरा pariwaar खूब मजे ले रहे है ,व्यापार का क्या पता कब दिवाला निकल जाय और मै पैसे पैसे के लिए मोहताज हो जाऊं ,तब मुझे ३ चीजों की जरूरत होगी रोटी कपड़ा और मकान ,रोटी तो आदमी कहीं भी जाकर खा लेगा मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा लंगर ,यार दोस्त रिश्तेदार किसी के यहाँ भी जाएगा रोटी मिल जायेगी ,मकान मेरे पास रहने के लिए है ही ,कोई परेशानी नहीं होगी ,अब यदि मेरे पास कपडे नहीं होंगे तो मै क्या पहनूंगा ,नंगा घूमूँगा तो कोई पास नहीं बिठाएगा ,उधार मांगूंगा तो कोई उधार नहीं देगा ,मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा फाटे  पुराने कपड़ों में जाऊंगा तो कोई khaane को दे या ना दे भिखारी जानकार भगा भी देंगे नौकरी मांगने जाऊंगा यदि अच्छे कपडे नहीं होंगे तो कोई नौकरी भी नहीं देगा ,फाटे पुराने में घूमूँगा तो इज्जत भी चली जायेगी कोई अपने यहां शादी ब्याहों में भी नहीं बुलाएगा ,ऐसी बहुत सी बाते हैं जिसके कारण मैंने ९० जोड़ी कपडे सिलवाये हैं .एक तो ये कपडे हर तरीके से मेरी इज्जत को ढाप कर रखेंगे ,किसी को पता भी नहीं चलने देंगे की मेरा दिवाला निकल चुका है ,और कपड़ों के भुलावे में आकर कोई ना कोई शरीफ आदमी मेरी हेल्प भी कर सकता है होसकता है की अपना व्यापार दोबारा खड़ा कर सकूँ ,
और देखों इन ९० जोड़ी कपड़ों में मै काम से काम ४ जोड़ी भी १ साल में इस्तेमाल करूंगा तो २३ साल तो निकल ही जाएंगे ,अब मेरी उम्र ५० साल है इसलिए ५० +२३ =७३साल हो सकता है फिर मेरी राम राम सात हो जाए क्योंकि इतनी उम्र आजकल होती है ,तो भाई इन ९० जोड़ी कपड़ों के sahaare इज्जत से रह सकूंगा ,खा सकूंगा ,मर सकूंगा ,
और मजे की बात बता दूँ की उस मेरे दोस्त का कुछ दिन बाद ही दिवाला भी निकल गया और १५ साल तक वो दिल्ली में रहा और मैंने जब भी उसे देखा उन्हीं अच्छे कपड़ों में देखा ,पर उसका चेहरा लटका रहता था ,शायद वो उस बात को भूल गया था पर मुझे याद थी ,उसके कुछ दिन बाद वो अमेरिका चला गया अब वहीँ पर व्यापार कर रहा है ,कहते हैं की वो वेल सेटल्ड है ,
इसलिए भाई मैंने भी और बहुत से देश के लोगों और नेताओं ने इतने कपडे सिल्वा लिए हैं की कल को कुछ भी हो पर हमारी हवा तो कपड़ों के बल पर वैसी ही रहेगी ,उसमे अंतर नहीं पडेगा | जय हिन्द 












 

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