Monday, September 1, 2014

क्या हिन्दुओं में लड़कों की कमी है ?

कुछ लोग कहते हैं क्या हिन्दुओं में लड़कों की कमी है ,
हन्दुओं में लड़कों की कमी नहीं है ,"परन्तु  अच्छे और पढ़े लिखे लड़कों की बहुत भारी कमी है ,
क्योँकि पहले तो जो लड़के अच्छी तरह से पढ़लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं या अच्छी नौकरी पा लेते है वो तो किसी भी गैर बिरादरी में शादी रचा लेते हैं ,अब बचते हैं थोड़े बहुत संस्कारी पढ़े लिखे लड़के ,तो वहाँ "एक अनार और सौ बीमार "वाला हाल होता है वहाँ पर जब बोली लगती है तो जो अधिक पैसे वाला है वो ही उसे खरीदकर अपनी बहन या बेटी की शादी उसके साथ शादी कर देता है ,अब जो बाकी पढ़ी लिखी वेल क्वालिफ़िएड ,अच्छी नौकरी करने वाली लडकियां बचीं वो क्या करें वो किसके साथ शादी करें ,या तो वो किसी दूसरी बिरादरी में जाकर शादी करें या फिर अपनी बिरादरी में जो काम पढ़े लिखे आधे अधूरे ,मजदूरी करते ,या अपनी थोड़ी बहुत खेती बिगाड़ते या,किराया खाते लड़के  बचे ,उनसे शादी करने का पट्टा अपने गले लटका कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लें क्या उनके लिए यही नियति है ,भाई अब लड़की पहले वाली लड़की गाय ,भैंस या बकरी नहीं रही की ,माँ बाप ने जब चाहा ,जिसके भी गले में या जिस खूंटे से भी बांधा और जिंदगी में मरने जीने को छोड़ दिया ,परन्तु अब वो समझदार हो गई हैं इसलिए जिंदगी को नरक बनाने के लिए तैयार नहीं है ,और मजे की बात ये है की वो आधे अधूरे कम पढ़े लिखे भी बिना मोटा दहेज़ लिए पढ़ी लिखी नौकरी करती लड़की से शादी करने के लिए भी उनके अभिभावक तैयार नहीं होते यानी की उनको बहु नहीं बल्कि पैसा कमाने वाली घर में काम करने वाली मोटा दहेज़ लेकर आने वाली ,वंश को चलाने वाली एक नौकरानी चाहिए यानी की बहु या लड़की नहीं बल्कि एक मशीन हो गई |

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