Tuesday, September 2, 2014

पैसा हाथों का मेल है

मेरे एक जान पहिचान वाले मुझसे मिलने आये काफी देर तक बात चीत चलती रही और फिर अचानक पैसे को लेकर बात होने लगी ,तो वो बोले भाई "पैसा तो हाथ का मेल है "परन्तु मैं मानने को तैयार नहीं था और मैं कह रहा था की पैसा हाथ का मेल नहीं बल्कि हाथो की मेहनत और मुकद्दर का खेल है ,परन्तु वो भी नहीं मान रहे थे अपनी बात पर अडिग थे ,आखिर किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे और चाय पानी पीकर वो अपने घर बुलंदशहर को वापस चल दिए ,दुआ सलाम कर चले गए , ,अचानक लगभग १ घंटे बाद उनका फोन आया भाई मेरा तो किसी ने पर्स मार लिया शायद ,अब जेब में पैसे नहीं हैं ,मैंने पूछा अभी कहाँ से बोल रहे हो ,बोले आनंद विहार बस अड्डे से ,मैंने कहा वहाँ कैसे पहुंचे ,बोले कुछ पैसे ऊपर वाली जेब में पड़े थे सो टिकट ले लिया और यहाँ पहुँच गया ,
अब वो बोले अब मैं क्या करूँ ,मैंने कहा यार पैसा तो हाथ का मेल है हाथ रगड़ो और पैसा बनाओ और टिकट लो और घर जाओ ,वो बोले मै दुखी हूँ और तुमको मजाक सूझ रही है ,भाई मै मजाक कहाँ कर रहा हूँ मै तो आपकी बात ही दुहरा रहा हूँ ,
अच्छा एक काम करो किसी की दूकान पर काम कर लो मेहनत से पैसे मिल जाएंगे और फिर घर चले जाना ,बोले यार ऐसा कैसे हो सकता है ,एक दिन काम काने के ५० या १०० तो दे ही देगा ,इतने का ही टिकट होगा बुलंदशहर का ,वो तो बात ठीक है पर यार क्योँ मिटटी पलीत करा रहे हो ,मेरा तो यहां कोई जानने वाला भी नहीं है ,मैं बोला फिर मेरे घर आ जाओ ,तो वो बोले मेरी जेब में वहां आने के लिए भी पैसे नहीं है ,अजीब समस्या हो गई ,आखिर मैंने शाहदरा में अपने एक जान पहिचान वाले को फोन किया और उसे आनंद विहार अड्डे पर भेजा और उनको ५०० रूपये देकर आने को कहा ,वो पैसे देकर आ गया ,और फिर एक सप्ताह बाद उनका फोन आया भाई आप ठीक कह रहे थे पैसा हाथ का मेल नहीं बल्कि दोनों हाथो की मेहनत का फल है और उन्होंने ५०० रुपया मनी ऑर्डर भी मुझे भेज दिया ,तो भाइयो आई बात समझ में आप भी जानो और समझो पैसा बहुत मेहनत से कमाया जाता है ,हाथों का मेल नहीं है ,और जब जेब में पैसा नहीं होता तो ५ का नोट ५० का और १० का नोट १०० का और १०० का नोट १००० का नजर आता है |

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