कभी कभी दड़बे से निकालकर मेरे हुश्न के मालिक ,
अपनी नजरे इनायत हम पर भी कर दिया करो
हमारे आशिक़ लाइन लगाकर हमें घूरा करते हैं पर
हम बदनसीब माशूक़ हैं जो सिर्फ तुम पर मरते हैं
कहीं ऐसा ना हो की मुहब्बत में आग लग जाए और
कोई चील कौवा आपकी मासूका को उठा ले जाए
फिर हमें बेवफा माशूका का खिताब देने भर से
आपके दिल में बसी मुहब्बत बदनाम ना हो जाए |
अपनी नजरे इनायत हम पर भी कर दिया करो
हमारे आशिक़ लाइन लगाकर हमें घूरा करते हैं पर
हम बदनसीब माशूक़ हैं जो सिर्फ तुम पर मरते हैं
कहीं ऐसा ना हो की मुहब्बत में आग लग जाए और
कोई चील कौवा आपकी मासूका को उठा ले जाए
फिर हमें बेवफा माशूका का खिताब देने भर से
आपके दिल में बसी मुहब्बत बदनाम ना हो जाए |
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