अमावस की तिमिर युक्त रजनी को
मिटटी के दीपों ने पूनम बना दिया
अपने अंदर का तेल बत्तियों को पिला
उनका मुख अग्नि से जला दिया ,
उनसे जाज्वलित होते प्रकाश ने
शशि को भी आइना दिखा दिया
उसको इतना विचलित कर दिया
कि उसने अपना मुखड़ा छिपा लिया,
युगीय परम्परा को चिरस्म्रत कर
देवी देवो को भी विस्मित कर दिया
जनमानस को भी खुशिया देकर
दिवाली नाम से नामकरण कर दिया ,
अब दिवाली पर सब खुशियाँ मनाते हैं
कहते हैं दुश्मन भी मित्र बन जाते हैं
एक दुसरे को मिष्ठान अर्पण करके
आलिंगनबद्ध हो दुश्मनी को भूल जाते हैं |
मिटटी के दीपों ने पूनम बना दिया
अपने अंदर का तेल बत्तियों को पिला
उनका मुख अग्नि से जला दिया ,
उनसे जाज्वलित होते प्रकाश ने
शशि को भी आइना दिखा दिया
उसको इतना विचलित कर दिया
कि उसने अपना मुखड़ा छिपा लिया,
युगीय परम्परा को चिरस्म्रत कर
देवी देवो को भी विस्मित कर दिया
जनमानस को भी खुशिया देकर
दिवाली नाम से नामकरण कर दिया ,
अब दिवाली पर सब खुशियाँ मनाते हैं
कहते हैं दुश्मन भी मित्र बन जाते हैं
एक दुसरे को मिष्ठान अर्पण करके
आलिंगनबद्ध हो दुश्मनी को भूल जाते हैं |
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