Monday, October 13, 2014

बीफ का निर्यात

हमारी सरकार जिन बूढी गाय माताओं और बूढ़े बैल बाबाओं को काट काट कर उनका मांस निर्यात कर रही है और करोड़ों डॉलर कमा रही है ये कोई बहुत ज्यादा नहीं है ,यदि इन मरने वाली गाय माताओं और बैल बाबाओं का गोबर जो ये प्रितिदिन घास फूस खाकर बनाते हैं ,यदि उसकी कम्पोस्ट खाद बनाकर भी निर्यात किया जाए ,अथवा अपनी कृषि योग्य खेती में ही उपयोग में लाया जाए तो ,मांस निर्यात से ज्यादा करोड़ों की कमाई हो सकती है ,,और ऐसा भारत भर में सदियों से होता चला आया है और जमीन से इन्हीं की खाद के बल पर ना जाने कितना पैसा और अन्न पैदा करते रहे हैं ,
पर हमारी सरकारों को तो बिना हाथ हिलाये ही करोड़ों रुपया चाहिए फिर चाहे कितने  ही निरीह पशु क्योँ ना मारे जाएँ उनके लिए तो भैंस और गाय या बैलों में कोई अंतर नजर नहीं आता ,परन्तु मेरे विचारों में जो हिन्दू होकर भी गाय को गौमाता और बैल को बैल बाबा नहीं मानता वो वास्तव में हिन्दू ही नहीं है या हिन्दुओं के नाम पर कलंक है ,
भाइयो मुझे तो ऐसा लगता है जैसे की जो गाय या बैल काट काट कर भेजे जा रहे हैं ये हमारी माताएं और पापा जी ही हैं ,
अत:मेरी इस सरकार से ये प्रार्थना है की कम से कम इन बेचारे बूढ़े गाय और बैलों को काट काट कर इनका मांस तो निर्यात ना करें |

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