हम कब तक अव्यवस्थित जिंदगी को जीते रहेंगे
जीवित रहते हुए भी लाश की भांति ढोते रहेंगे
अपनों को दिए सुखों के बदले उनके दिए दुखों को
अपना अहोभाग्य समझकर ही झेलते रहेंगे ,
दिन रात ,उठते ,बैठते ,सोते जागते ,खाते पीते
नाशुक्रे भाई बंधु ,रिश्तेदारों का मनन करते रहेंगे
अन्तोगत्वा भाईचारा ,ममता ,वातसल्य ,प्रेम
जीवन भर उन सभी को अर्पण करते रहेंगे |
जीवित रहते हुए भी लाश की भांति ढोते रहेंगे
अपनों को दिए सुखों के बदले उनके दिए दुखों को
अपना अहोभाग्य समझकर ही झेलते रहेंगे ,
दिन रात ,उठते ,बैठते ,सोते जागते ,खाते पीते
नाशुक्रे भाई बंधु ,रिश्तेदारों का मनन करते रहेंगे
अन्तोगत्वा भाईचारा ,ममता ,वातसल्य ,प्रेम
जीवन भर उन सभी को अर्पण करते रहेंगे |
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