Sunday, November 16, 2014

मेरी कहानी असत्य पर आधारित

मेरी पहली शादी जब में १५ साल का था एक गाँव की लड़की से हो गई थी ,तब में कुछ भी नहीं था मेरी हालत ठीक एक कुत्ते जैसी थी क्योंकि सुबह और शाम की रोटी के लिए घर वालों के ऊपर ही निर्भर था जैसे की बेचारा एक कुत्ता पेट भरने के लिए किसी के भी घर की और देखता है मेरे मना करने के बावजूद भी घरवालों ने जबरदस्ती  मेरी शादी कर दी थी ,मैं तब १० वि कक्षा में पढता था ,उसके बाद १२ वि पास की और फिर बी ऐ पास किया और दिल्ली आ गया ,यहां आकर बहुत संघर्ष किया और मैं एक बड़ा आदमी बन गया ,जब मेरे पास अच्छा उद्योग और पैसा ,मोटर गाडी हो गई तो मैं पहली पत्नी को भूल गया और अब वो मुझे अपने स्टेंडर्ड से नीचे की लगने लगी इसलिए मैंने फिर दूसरी शादी कर ली जो अच्छी पढ़ी लिखी ,सुन्दर थी ,
खैर उस मेरी पहली पत्नी ने शादी भी नहीं की और वो मेरे नाम की ही माला आज भी भजती रहती है ,पर मैंने उसे नाही पहले और नाहीं अब यानी की कभी भी घास नहीं डाली फिर भी कभी कभी खत अवश्य भेज देती है जिसमे पति परमेश्वर कह कर सम्बोधित करती है पर मै उसकी चिट्ठी का जवाब कभी भी नहीं देता ,और ये बात किसी को बताता भी नहीं और खत पढ़कर फाड़ कर फेंक देता हूँ,पर मुझे अंदर ही अंदर कुछ ग्लानि सी होती है,
आज मेरे पास भगवान की दिया सबकुछ है अच्छा व्यापार ,मान सम्मान खूब धन दौलत ,२,चार गाड़ियां ,नौकर चाकरों की फौज चारो और से मुझे घेरे  रहती है ,मेरी नेतागीरी भी खूब चलती है मै भी खुद को प्रधान मंत्री राष्ट्रपति से काम नहीं समझता ,पर मेरे साथ सबसे बड़ी दिक्क़तये है की जब भी मेरे गाँव और आसपास के लोग मेरे क्षेत्र के लोग या जनता कहिये मुझसे मिलने आते रहते हैं ,वो मेरे सामने तो मुझे बहुत अच्छा और बड़ा आदमी कहते हैं पर जब भी आपस में बात करते हैं तो एक दुसरे को कहते हैं कि ये यानी की मैं बहुत ही कमीना ,और घटिया आदमी हूँ क्योँकि मैंने अपनी धर्मपत्नी को छोड़ रखा है और पता नहीं किस्से शादी कर राखी है ,और पता नहीं कहाँ कहाँ मुंह मारता फिरता हूँ  ,भाई ये बड़ा आदमी है अब इसे कोई क्या कहे ,और हम सबकी तो मजबूरी हैं हम कुछ कह भी नहीं सकते ,गाँव में जाता हूँ या किसी रिश्तेदारी में जाता हूँ तो सब मेरे बारे में ऐसी बाते करते हैं ,
पर मेरी सबसे बड़ी गलती है की मैंने दूसरी शादी कर ली,यदि मै दूसरी शादी नहीं करता तो शायद मुझे कोई भी कुछ नहीं कहता और दुसरे बड़े बड़े नेताओं की तरह मुझे भी भारत की जनता वैसे ही प्यार करती जैसे कि भारत के अन्य बड़े बड़े नेताओं को करती है ,
ये कहानी पूर्णत: सत्य है पर मेरी कहानी पूरी तरह असत्य पर आधारित है ,
हो सके तो अपनी राय भी मुझे भेजें कि क्या मैं वास्तव में कमीना आदमी हूँ ,या मैंने पहली पत्नी को छोड़कर कुछ गुनाह किया है ,












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