दिल्ली की मुख्य मंत्री एक महिला के होने के बाद भी यहाँ कि एक ज्वलंत समस्या है जिसको कि सभी पुरुष तो नहीं जानते होंगे क्योंकि दिल्ली सरकार ने पुरुषों के लिए यहाँ की सड़कों के किनारे थोड़ी थोड़ी दूरी पर ही पेशाब घर बनवा रखे है उसके बावजूद भी वो कहीं पर भी किसी दिवार के सहारे खड़े होकर गधों की भांति पेशाब कर लेते हैं उनको ये भी शर्म ,ह्या नहीं आती की उनके आस पास से स्त्रियां ,बच्छियाँ या पुरुष भी गुजर रहे हैं ,इतना भी इन्तजार नहीं कर सकते की कुछ दूर जाकर वो इस किरया को कर लें ,परन्तु कभी कभी ऐसा भी होता है हम प्रयत्न करने के बाद भी रोक नहीं पाते लिहाजा कहीं पर भी खड़े होकर पेशाब कर लेते हैं ,मैं दिल्ली सरकार से और मुख्यमंत्री जी से और दिल्ली की सम्पूर्ण जनता जिनमे स्त्री पुरुष दोनों ही हैं से पूछना चाहता हूँ की जो स्तिथि आदमियों के साथ होती है क्या ये ही परिस्तिथि ,दिल्ली में बसी हमारी बहनो ,माताओं के साथ भी होती होगी ,तो वो उस समय में क्या करें क्योंकि लज्जा के कारण वो बेचारी तो इधर उधर भी उरिनेटिंग नहीं कर सकती ,उनको फिर किसी के घर में ही शरण लेनी पड़ेगी ,एक विकट स्तिथि है और यदि उसके साथ किसी का पेट ख़राब हो तो क्या करे ,क्या १५ वर्ष तक दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के बाद भी उनको ये बात कभी ख्याल नहीं आई ,जब आप स्त्री होते हुए भी स्त्रियों का भला नहीं कर पाई या उनकी समस्या को नहीं समझ पाई तो फिर आज वो आपको वोट ना दें तो कैसा लगेगा तो अभी भी मेरी आप से शीला दिक्सित जी से और जो भी नई सरकार आने वाली है उनसे प्रार्थना है की वो दिल्ली की महिलाओं के लिए प्रत्येक किलोमीटर पर रोड्स के किनारे पेशाब घर (टॉयलेट्स) अवश्य बनवा दें ताकि उनको ऐसी विकट स्थिति आने पर उनको निजात मिल सके |
Saturday, November 30, 2013
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