सांसारिक व्यक्तियों को तनाव रहता है
मानसिक शांति नहीं मिलती
किसी भी अवस्था में शान्ति नहीं है
ह्रदय उद्विग्न रहता है
आत्मा अतृप्त रहती है
किसी भी कार्य में मन नहीं लगता
स्वभाव चिड़चिड़ापन बना रहता है
नकारात्मकता ह्रदय वासित बनी है
चहुँ और तिमिर ही तिमिर बना है
किसी पर विश्वास नहीं होता
सभी क्रूर ,दुष्ट दृष्टि गोचर होते हैं
सवयम पर भी विश्वास नहीं है
जीव जंतुओं से भी प्रेम नहीं होता
वृक्ष ,लताओं से भी लगाव नहींहोता
वातसल्य का भाव उत्त्पन्न नहीं होता
व्यवहारिकता रास नहीं आती
आत्महत्या करने को मन करता है
अकेलापन अच्छा लगता है
जानते हो ऐसा क्योँ होता है
क्योँ कि हम लेना जानते हैं
देने का हमारे पास नाम नहीं होता |
मानसिक शांति नहीं मिलती
किसी भी अवस्था में शान्ति नहीं है
ह्रदय उद्विग्न रहता है
आत्मा अतृप्त रहती है
किसी भी कार्य में मन नहीं लगता
स्वभाव चिड़चिड़ापन बना रहता है
नकारात्मकता ह्रदय वासित बनी है
चहुँ और तिमिर ही तिमिर बना है
किसी पर विश्वास नहीं होता
सभी क्रूर ,दुष्ट दृष्टि गोचर होते हैं
सवयम पर भी विश्वास नहीं है
जीव जंतुओं से भी प्रेम नहीं होता
वृक्ष ,लताओं से भी लगाव नहींहोता
वातसल्य का भाव उत्त्पन्न नहीं होता
व्यवहारिकता रास नहीं आती
आत्महत्या करने को मन करता है
अकेलापन अच्छा लगता है
जानते हो ऐसा क्योँ होता है
क्योँ कि हम लेना जानते हैं
देने का हमारे पास नाम नहीं होता |
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